मीडिया अपना पूर्वावलोकन करे। उपराष्ट्रपति


 

उपराष्ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने आज मीडिया बिरादरी से आग्रह किया कि वह गंभीर पूर्वावलोकन करे और अपनी विश्वसनीयता को प्रभावित करने वाले हर अस्वस्थ रुझानों से बचे।


स्वर्गीय चो रामास्वामी द्वारा स्थापित तमिल पत्रिका ‘तुगलक’ की 50वीं वर्षगांठ के समारोह में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने ‘न्यूज’ और ‘व्यूज’ में घालमेल करने के अस्वस्थ रुझान के प्रति चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आजकल कुछ मुद्दों पर एकतरफा रिपोर्ट और असंतुलित कवरेज प्रबंधन के इशारे पर किया जाने लगा है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि निष्पक्ष तरीके से पूरी सूचना देने के बजाए मीडिया के कुछ हिस्सों में मनमर्जी से पाठकों और दर्शकों के सामने सामग्री पेश की जाती है। उन्होंने कहा कि यह रुझान भारतीय लोकतंत्र और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के लिए अच्छी बात नहीं है।


श्री नायडू ने कहा कि पहले पत्रकारिता को मिशन माना जाता था और स्वर्गीय चो रामास्वामी जैसे कई प्रतिष्ठित पत्रकार निडर और निष्पक्ष होकर अपनी कलम चलाते थे। उन्होंने कहा कि ऐसे पत्रकार कभी किसी दबाव या लालच में नहीं आए और उन्होंने अपनी ईमानदारी तथा मूल्यों के साथ कभी समझौता नहीं किया। इन पत्रकारों ने हमेशा पत्रकारिता के बुनियादी सिद्धांतों का पालन किया तथा सटीकता और वस्तुनिष्ठा के उच्च मानकों को कायम रखा।


चो रामास्वामी को बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने पत्रकारिता, सिनेमा, नाटक, राजनीति, विधि और साहित्य की दुनिया में अमिट छाप छोड़ी है।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘तुगलक’ चो रामास्वामी की प्रखर और निडर पत्रकारिता की बदौलत प्रसिद्ध हुई, जिसने राष्ट्रहित को हमेशा प्रमुखता दी। आपातकाल के दौरान चो रामास्वामी के प्रतिरोध को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वे हमेशा पत्रकारिता की आजादी में विश्वास करते थे और पत्रकारिता की आजादी को ठेस पहुंचाने वाली हर गतिविधि का विरोध करने का कोई भी मौका नहीं चूकते थे। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की चो रामास्वामी की शैली में सबको अचम्भित कर दिया था। उनके निडर, साहसी, व्यंग्यात्मक और कटाक्षपूर्ण लेखन तथा नजरिए से सभी हतप्रभ हो गए थे। उन्होंने कहा कि चो रामास्वामी के व्यंग्य और कटाक्ष ने उन्हें न केवल एक कामयाब रंगकर्मी बनाया, बल्कि इसकी बदौलत वे एक लोकप्रिय हास्य कलाकार के रूप में भी सामने आए। श्री नायडू ने कहा कि ‘तुगलक’ की तरह सिनेमा में उनके योगदान से पीढ़ियां प्रभावित हुई हैं।


उपराष्ट्रपति ने लोगों से आग्रह किया कि वे अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए चार ‘सी’ – कैरेक्टर, कैलिबर, कैपेसिटी और कंडक्ट का ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए ये चारों बहुत महत्वपूर्ण हैं।


उपराष्ट्रपति ने ‘तुगलक’ की 50वीं वर्षगांठ पर पत्रिका के एक विशेष संस्करण का विमोचन किया, जिसकी पहली प्रति लोकप्रिय फिल्म अभिनेता श्री रजनीकांत को भेंट की।


समारोह में ‘तुगलक’ के मुख्य संपादक श्री एस. गुरुमूर्ति, लोकप्रिय सिने अभिनेता श्री रजनीकांत, स्वर्गीय चो रामास्वामी के परिजन और अन्य विशिष्टजन उपसथित थे।


 

 


 

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