मुख्य चिकित्सा अधिकारी की छाया में बस्ती में फलफूल रहा अवैध नर्सिंग होम व फर्जी डॉक्टरों का कारोबार
जनहित और स्वास्थ्य व्यवस्था दोनों पर सवालिया निशान
बस्ती, 29 जुलाई —
जनपद बस्ती में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर हो रहा व्यापार अब जनजीवन के लिए खतरे की घंटी बन चुका है। जिले भर में तेजी से उभर रहे अवैध नर्सिंग होम और फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ न कोई कार्यवाही हो रही है, न ही कोई जांच। इससे साफ अंदेशा लगाया जा रहा है कि यह पूरा धंधा मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) कार्यालय की शह पर पनप रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर नगर तक सैकड़ों की संख्या में बिना पंजीकरण, बिना प्रशिक्षित स्टाफ और बिना किसी मान्यता के नर्सिंग होम व क्लीनिक खुले हुए हैं, जहां गंभीर बीमारियों का इलाज ‘झोलाछाप डॉक्टरों’ द्वारा किया जा रहा है। कई जगहों पर प्रसव, ऑपरेशन व अन्य चिकित्सकीय क्रियाएं बगैर न्यूनतम मापदंडों के की जा रही हैं, जो मरीजों की जान से खुलेआम खिलवाड़ है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार शिकायतों के बावजूद न तो किसी अवैध नर्सिंग होम को सील किया गया, न ही फर्जी डॉक्टरों पर कोई ठोस कार्रवाई हुई। ऐसा लगता है कि सीएमओ कार्यालय की आंखों पर जानबूझकर पट्टी बांधी गई है।
स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर सूचीबद्ध अधिकृत चिकित्सालयों की संख्या और वास्तविकता में कार्य कर रहे अस्पतालों के आंकड़े एक-दूसरे से मेल नहीं खाते। इससे विभागीय मिलीभगत की पुष्टि होती है।
जनता की मांग:
- जिले में सक्रिय सभी निजी चिकित्सालयों और क्लीनिकों की जांच हो।
- बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे सभी संस्थानों को तत्काल बंद किया जाए।
- दोषी स्वास्थ्य अधिकारियों पर जवाबदेही तय की जाए।
- जिला प्रशासन द्वारा स्वतंत्र जांच समिति गठित की जाए।
समाप्ति पर एक सवाल:
क्या बस्ती की स्वास्थ्य व्यवस्था को यूं ही कुछ भ्रष्ट अफसरों की जेब भरने के लिए छोड़ा जाएगा, या शासन इस मौत के व्यापार पर कोई अंकुश लगाएगा?