मानवता का सजीव उदाहरण बनी 'साथी हाथ बढ़ाना ट्रस्ट'
बस्ती, उत्तरप्रदेश .
जब रिश्ते साथ छोड़ दें और हालात मुंह मोड़ लें, तब समाज में कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो निःस्वार्थ भाव से पराये दर्द को अपनाते हैं। 'साथी हाथ बढ़ाना ट्रस्ट' ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सेवा का कोई धर्म नहीं होता – बस एक भाव होता है, मदद का।
आईसीयू में भर्ती जरूरतमंद राधेश्याम के लिए 5 यूनिट प्लेटलेट्स जुटाकर ट्रस्ट ने केवल जीवन बचाने का कार्य नहीं किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि इंसानियत अभी जिंदा है। जब मरीज का परिवार डोनर के लिए संघर्ष कर रहा था, तब यह संस्था उनके लिए संजीवनी बनकर सामने आई।
ब्लड बैंक के समन्वय से किया गया यह प्रयास न केवल राहत का माध्यम बना, बल्कि समाज में यह संदेश भी दे गया कि अगर संगठन और व्यक्ति संकल्प लें, तो कोई भी संकट इतना बड़ा नहीं कि उससे पार न पाया जा सके।
राजकुमार पांडेय और उनकी टीम जिस जज्बे से लगातार जरूरतमंदों की सहायता कर रही है, वह आज के समय में प्रेरणा का स्रोत है। यदि इसी भावना से और संगठन भी आगे आएं, तो न सिर्फ ब्लड व प्लेटलेट्स की कमी दूर होगी, बल्कि समाज में आपसी सहयोग और सेवा की भावना भी गहराएगी।
साथी हाथ बढ़ाना ट्रस्ट आज केवल एक संस्था नहीं, बल्कि एक उम्मीद का नाम बन चुका है।