बस्ती में हक की लड़ाई लड़ते-लड़ते युवक ने किया आत्महत्या का प्रयास, जिलाधिकारी कार्यालय पर मचा हड़कंप
बस्ती | विशेष संवाददाता
बस्ती जिले में सरकारी तंत्र की निष्क्रियता और विवादित भूमि पर प्रभावशाली कब्जेदारों की मनमानी से तंग आकर एक युवक ने ज़िला मुख्यालय पर आत्महत्या का प्रयास किया। यह घटना न केवल प्रशासन की संवेदनहीनता पर सवाल उठाती है, बल्कि गरीब और हाशिए के लोगों की आवाज़ की अनसुनी होती वास्तविकता को भी सामने लाती है।
घटना के पीछे का कारण एक लंबे समय से चला आ रहा ज़मीनी विवाद है। आत्महत्या का प्रयास करने वाले युवक भगौती प्रसाद पुत्र राम लखन, ग्राम पाण्ड तप्पा कनेला, परसाना नगर पूर्व, तहसील बस्ती के निवासी हैं। उन्होंने जिलाधिकारी को दिए शिकायती पत्र में उल्लेख किया कि उनकी पैतृक भूमि पर दबंगों द्वारा कब्जा किया गया है। भूमि के अन्य उत्तराधिकारियों द्वारा किसी तीसरे व्यक्ति को ज़मीन का हिस्सा बेंच दिया गया, जबकि भगौती प्रसाद की सहमति न ली गई और न ही उन्हें हिस्सेदारी का लाभ मिला।
शिकायत में उन्होंने यह भी बताया कि तहसील कार्यालय में वर्षों से प्रकरण लंबित है। आरोप यह भी है कि लेखपाल व संबंधित अधिकारी पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं और दबंगों को संरक्षण दे रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से बार-बार न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कोई ठोस कार्यवाही न होते देख अंततः युवक ने ज़िला कार्यालय के बाहर ज़हर खाकर आत्महत्या का प्रयास किया।
घटना के बाद मौके पर मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई। भगौती प्रसाद को तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।
प्रशासन की चुप्पी और पक्षपातपूर्ण कार्यशैली पर उठे सवाल
इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ज़मीन विवाद की जानकारी होने के बावजूद स्थानीय प्रशासन ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। लेखपाल द्वारा दिए गए विवादित हलफनामे, पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट और न्याय में हो रही देरी ने युवक को यह आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
विधानसभा स्तर पर उठेगा मुद्दा?
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और विपक्षी दलों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि यदि समय रहते दोषियों पर कार्यवाही नहीं हुई तो यह मामला विधानसभा तक पहुंचेगा।
न्याय मिलेगा या फिर एक और फाइल बंद हो जाएगी?
अब देखने की बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है। क्या भगौती प्रसाद को न्याय मिलेगा या फिर यह एक और मूक पीड़ित की फ़ाइल बनकर सरकारी दफ़्तरों की धूल फांकती रह जाएगी?
(यह खबर घटना के आधार पर तैयार की गई है, संबंधित विभागों से पुष्टि हेतु प्रयास जारी हैं।)
रिपोर्ट: कौटिल्य का भारत