चार सौ से ऊपर एफ आई आर की मालकिन
हरि ओम प्रकाश
भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौर, जिन्हें उनके गीतों "बिहार में का बा?", "यूपी में का बा?", और "एमपी में का बा?" ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरीं, एक बार फिर अपने ट्वीट्स के कारण चर्चा में हैं। नेहा न केवल अपनी गायकी के लिए जानी जाती हैं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर तीखी टिप्पणियों और सरकार की आलोचना के लिए भी मशहूर हैं। हाल ही में, उनके एक ट्वीट ने, जिसमें कहा गया कि "नेहा सिंह राठौर के आखिर पागलपन को क्या नाम दिया जाए," ने सोशल मीडिया पर नया विवाद खड़ा कर दिया है। यह लेख उनके इस बयान, इसके पीछे के संदर्भ, और इसके प्रभावों पर विस्तृत चर्चा करता है।
नेहा सिंह राठौर: एक परिचय
नेहा सिंह राठौर बिहार के कैमूर जिले की रहने वाली हैं और भोजपुरी लोक संगीत के माध्यम से सामाजिक मुद्दों जैसे महंगाई, भ्रष्टाचार, और सरकारी नीतियों पर व्यंग करती हैं। 2019 में अपने करियर की शुरुआत करने वाली नेहा ने अपने गीतों को सोशल मीडिया पर वायरल करवाकर लाखों लोगों का ध्यान खींचा। उनके गाने "बिहार में का बा?" (2020) और "यूपी में का बा?" (2022) ने न केवल लोकप्रियता हासिल की, बल्कि उन्हें राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय बना दिया। नेहा ने 2022 में हिमांशु सिंह से शादी की, जो एक लेखक हैं और दिल्ली में कोचिंग संस्थान से जुड़े रहे हैं.
विवादों से रिश्ता
नेहा सिंह राठौर का नाम विवादों से अछूता नहीं रहा। उनके गीत और ट्वीट्स अक्सर सरकार और सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ होते हैं, जिसके कारण उन्हें कई बार कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। उदाहरण के लिए, 2023 में उनके गीत "यूपी में का बा? पार्ट 2" के कारण कानपुर देहात की एक घटना को लेकर पुलिस ने उन्हें नोटिस जारी किया था। इसके अलावा, 2025 में पहलगाम आतंकी हमले पर उनकी टिप्पणियों ने बड़ा विवाद खड़ा किया, जिसमें उनके खिलाफ लखनऊ में भारतीय दंड संहिता और आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई.
हाल ही में, नेहा ने अपने ट्वीट में "नेहा सिंह राठौर के आखिर पागलपन को क्या नाम दिया जाए" लिखकर एक बार फिर सुर्खियां बटोरीं। यह ट्वीट उनके आलोचकों और समर्थकों दोनों के लिए चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोगों ने इसे उनकी बेबाकी का प्रतीक माना, तो कुछ ने इसे "ध्यान खींचने की रणनीति" करार दिया।
ट्वीट का संदर्भ और प्रतिक्रियाएं
नेहा का यह ट्वीट उनके विशिष्ट व्यंगात्मक अंदाज में था, जिसमें उन्होंने संभवतः अपने खिलाफ होने वाली आलोचनाओं और ट्रोलिंग का जवाब देने की कोशिश की। हालांकि, ट्वीट का सटीक संदर्भ स्पष्ट नहीं है, क्योंकि यह किसी विशिष्ट घटना या मुद्दे का उल्लेख नहीं करता। फिर भी, इसे उनके हाल के विवादों, विशेष रूप से पहलगाम आतंकी हमले पर उनकी टिप्पणियों से जोड़ा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर इस ट्वीट को लेकर प्रतिक्रियाएं दो ध्रुवों में बंटी हुई हैं। उनके समर्थकों ने इसे उनकी निडरता और सरकार से सवाल पूछने की हिम्मत का प्रतीक बताया। एक यूजर ने लिखा, "नेहा सिंह राठौर ने वही किया जो एक सच्चा नागरिक करता है — सत्ता से सवाल पूछे। लोकतंत्र में सवाल पूछना गुनाह नहीं, जिम्मेदारी है।" दूसरी ओर, उनके आलोचकों ने इसे देश विरोधी और उत्तेजक करार दिया। एक यूजर ने टिप्पणी की, "नेहा सिंह राठौर इस वक़्त पाकिस्तानी चैनलों पर छाई हुई हैं। नेहा का दावा कि पहलगाम हमला ख़ुद मोदी ने कराया है, पाकिस्तानियों के बहुत काम आ रहा है।"
कानूनी और सामाजिक प्रभाव
नेहा के ट्वीट्स और बयानों के कारण उनके खिलाफ कई शहरों में 400 से अधिक एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जिसमें लखनऊ, अयोध्या, और गाजियाबाद शामिल हैं। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 196(1)(a), 197(1)(c), 353(2), और आईटी एक्ट की धारा 69A के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। कुछ आलोचकों ने उन्हें "पाकिस्तान समर्थक" और "देशद्रोही" तक कहा है, जबकि नेहा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह जनता को जगाने की कोशिश कर रही हैं, न कि किसी देश विरोधी गतिविधि में शामिल हैं।
उनके इस हालिया ट्वीट ने भी कानूनी कार्रवाई की संभावना को बढ़ा दिया है। गाजियाबाद के विधायक नंद किशोर गुर्जर ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की थी, जिसमें उनके ट्वीट्स को "पाकिस्तान के लिए प्रचार" और "राष्ट्रीय एकता के खिलाफ" बताया गया। इसके जवाब में नेहा ने कहा, "मैं अपने विरोधियों को नहीं, जनता को जगाने की कोशिश कर रही हूं।"
नेहा की रणनीति: सवाल या सनसनी?
नेहा सिंह राठौर की रणनीति हमेशा से चर्चा का विषय रही है। उनके समर्थक उन्हें एक निडर आवाज मानते हैं, जो सरकार की खामियों को उजागर करती है। उनके गीत और ट्वीट्स सामाजिक मुद्दों जैसे बेरोजगारी, महिला सुरक्षा, और आतंकवाद पर सवाल उठाते हैं। उदाहरण के लिए, कोलकाता रेप केस में उन्होंने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा, जो उनके सामान्य बीजेपी-विरोधी रुख से हटकर था।
हालांकि, उनके आलोचक मानते हैं कि नेहा जानबूझकर विवादास्पद बयान देती हैं ताकि सुर्खियों में बनी रहें। एक यूजर ने ट्वीट किया, "अब कुछ नया लाइए…एक ही टाइप की चीजें बोर करने लग जाती हैं।" कुछ ने उनके ट्वीट्स को "पाकिस्तान द्वारा प्रचारित" बताकर उनकी मंशा पर सवाल उठाए हैं।
निष्कर्ष
नेहा सिंह राठौर का हालिया ट्वीट "नेहा सिंह राठौर के आखिर पागलपन को क्या नाम दिया जाए" उनके बेबाक और विवादास्पद व्यक्तित्व का एक और उदाहरण है। उनकी गायकी और सोशल मीडिया उपस्थिति ने उन्हें एक ऐसी शख्सियत बना दिया है, जो समाज के एक वर्ग के लिए प्रेरणा है और दूसरे वर्ग के लिए आलोचना का केंद्र। उनके ट्वीट्स और गीत न केवल राजनीतिक बहस को हवा देते हैं, बल्कि लोकतंत्र में सवाल पूछने की आजादी और अभिव्यक्ति की सीमा जैसे गंभीर मुद्दों को भी सामने लाते हैं।
हालांकि, उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और ट्रोलिंग यह दर्शाते हैं कि उनकी यह "पागलपन" कहलाने वाली शैली उन्हें कानूनी और सामाजिक चुनौतियों में भी डाल रही है। भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि नेहा अपनी इस बेबाकी को कैसे आगे ले जाती हैं और क्या वह इन विवादों से उबरकर अपनी आवाज को और बुलंद कर पाएंगी .