4 लीटर पेंट पोतने के लिए लगाए 233 मजदूर, सरकारी स्कूलों के ये बिल देख आंखें खुली रह जाएंगी मध्यप्रदेश में

शहडोल, मध्यप्रदेश

बेईमान ऒर बेईमानी का अद्भुत  ,अजूबा नमूना

 4 लीटर पेंट पोतने के लिए लगाए 233 मजदूर, सरकारी स्कूलों के ये बिल देख आंखें खुली रह जाएंगी

: एक स्कूल में 233 लोगों को, तो दूसरे स्कूल में 425 लोगों को काम पर लगाया गया. ऐसा वायरल हुए बिल से पता चलता है. जब इस पर सवाल उठे

बिल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल है।

मध्य प्रदेश के शहडोल ज़िले में आने वाले दो स्कूलों में हुए मेंटिनेंस के बिलों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं. जिसे लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं. वायरल बिलों की तस्वीरों के आधार पर कहा जा रहा है कि स्कूल की दीवारों की पेंटिंग के लिए ज़रूरत से बहुत ज़्यादा पैसे खर्च किए गए. मामला सामने आने के बाद अधिकारियों ने कहा है कि जांच चल रही है, जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.

NDTV से जुड़े अनुराग द्वारी की रिपोर्ट के मुताबिक जिन दो स्कूलों की ये घटना बताई जा रही है, वो मध्य प्रदेश के ब्योहारी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं. पहला बिल सकन्दी हाई स्कूल का बताया जा रहा है. जिसके मुताबिक़, स्कूल ने कथित तौर पर एक दीवार पर चार लीटर पेंट लगाने के लिए 168 मजदूरों और 65 राजमिस्त्रियों को काम पर लगाया. यानी कुल 233 लोग. आरोप है कि इसके लिए 1.07 लाख रुपये की राशि निकाली गई.

सकन्दी हाई स्कूल का बिल.

दूसरा बिल निपनिया हायर सेकेंडरी स्कूल का बताया जा रहा है. बिल की वायरल तस्वीर के मुताबिक़, 20 लीटर पेंट लगाने के लिए कथित तौर पर 2.3 लाख रुपये निकाल लिए गए. वायरल बिल के आधार पर पेंटिंग के लिए 275 मजदूरों और 150 राजमिस्त्रियों को काम पर लगाने का भी आरोप लगा है. यानी कुल 425 लोगों को इस काम पर लगाया गया.

इस वायरल बिल में एक और ऐसी बात थी, जिस पर लोगों ने ध्यान दिया. स्कूल में पेंटिंग का काम करने वाली कंपनी है सुधाकर कंस्ट्रक्शन. इस कंपनी ने मई, 2025 में बिल बनाया था. जबकि स्कूल प्रिंसिपल ने 4 अप्रैल, 2025 को ही स्वीकृत कर दिया था. यानी बिल को बनाए जाने से एक महीने पहले ही उसका बिल प्रिंसिपल की तरफ़ से स्वीकृत करा लिया गया था.

शहडोल के दो स्कूलों में सिर्फ़ 24 लीटर पेंट लगाने के लिए 443 मज़दूर और 215 मिस्त्री दिखाए गए और भुगतान किया गया 3.38 लाख रुपये!

₹4704 के पेंट का खर्च बना ₹3,38,000?

शिक्षा नहीं, भ्रष्टाचार का रंग पोता जा रहा है मध्यप्रदेश के स्कूलों की दीवारों पर।

आम इनसान छोटी से छोटी चीज खरीदते हैं तो टैक्स देते हैं और हमारे टैक्स का ईस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है। उचित जांच हो दोषी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए 🙏

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