राजेंद्र नाथ तिवारी,बस्ती,उत्तर प्रदेश
जब तरकश से तर्क की तीर गायब होजाय,तो मां की गाली का सहारा
गालीबाजों सुन लो – मां को अपमानित करोगे तो बिहार जवाब देगा!
बिहार की धरती छठ का पर्व मना रही है। माताओं-बहनों की तपस्या का यह महापर्व है। इसी बिहार में, उसी मंच से, कांग्रेस और आरजेडी के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां को गालियाँ दीं। ज़रा सोचिए – यह किस मानसिकता का परिचय है? यह मोदी की मां का अपमान नहीं, बल्कि भारत की हर मां का अपमान है।
नामदारों का घमंड : "गद्दी हमारी है"
कांग्रेस और उसके पिछलग्गू दल आरजेडी-समाजवादी पार्टी समझ लें – यह देश अब उनके वंशवाद की जागीर नहीं है। जो लोग चांदी की थाली में पैदा हुए, जो लोग सत्ता को अपने खानदान की बपौती मानते हैं, वे एक गरीब घर के बेटे को प्रधानमंत्री बने देख बौखला गए हैं।इन्हें यह हजम ही नहीं होता कि चाय बेचने वाले की मां का बेटा आज विश्व मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है। इसलिए जब इनके पास तर्क नहीं बचते तो ये गालियों पर उतर आते हैं।
बिहार की संस्कृति बनाम गाली की राजनीति यह वही बिहार है जहाँ गार्गी और मैत्रेयी ने वेदों में अपनी विद्वता दर्ज की। यह वही मिथिला है जिसने सीता जैसी देवी दी।
यह वही भूमि है जहाँ छठ महापर्व पर महिलाएँ दिन-रात उपवास रख अपने परिवार की रक्षा करती हैं।और उसी बिहार में, मंच से मां को गाली? यह केवल मोदी की मां को नहीं, बल्कि छठ की मइया और सीता-गंगा-गायत्री की परंपरा को गाली देना है।
कांग्रेस-आरजेडी : अपमान की फैक्ट्री गाली देने की आदत कांग्रेस के खून में है। कभी मोदी को "नीच" कहा गया, कभी "चायवाला" कहकर मज़ाक उड़ाया गया, और अब तो दिवंगत मां को भी नहीं छोड़ा गया!
आरजेडी के लिए राजनीति का मतलब है जाति का जहर और गाली की बौछार। और कांग्रेस? उसके लिए सत्ता "वंश" से बाहर जाती ही नहीं। दोनों मिलकर बिहार की जनता को समझते क्या हैं? बिहार की मिट्टी सब याद रखती है।