धर्म परिवर्तन व पाक्सो जैसे गंभीर केस में दुबौलिया पुलिस की घोर लापरवाही – आरोपी दिनों तक घूमता रहा आज़ाद

धर्म परिवर्तन व पाक्सो जैसे गंभीर केस में दुबौलिया पुलिस की घोर लापरवाही – आरोपी दिनों तक घूमता रहा आज़ाद

बस्ती। थाना दुबौलिया की कार्यप्रणाली एक बार फिर कटघरे में है। मुकदमा संख्या 144/2025 धारा 137(2), 87, 64(2) (एम) BNS, 5L(6) पाक्सो एक्ट और उत्तर प्रदेश धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3, 5(1) के तहत दर्ज गंभीर केस में पुलिस का रवैया बेहद ढीला और संदेहास्पद साबित हुआ।

पीड़िता को 30 अगस्त 2025 को चौकी इंचार्ज डेईडीहा ने बरामद कर मेडिकल परीक्षण के लिए भेज दिया था। यह कार्रवाई तो हुई, लेकिन इसके बाद पुलिस की सुस्ती और लापरवाही खुलकर सामने आ गई। आरोपी अर्सू उर्फ साहिल पुत्र पीर बक्श, निवासी ग्राम छुलहवा थाना हदगांव जिला फतेहपुर, खुलेआम घूमता रहा और दुबौलिया पुलिस तमाशबीन बनी बैठी रही।

इतना संवेदनशील मामला—जिसमें पाक्सो एक्ट और धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम जैसी धाराएँ लगी हों—उसमें पुलिस को तत्काल और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए थी। लेकिन यहां हालात उलटे रहे। आरोपी को पकड़ने में तीन दिन से अधिक का समय लगा, जिससे साफ हो गया कि थाने के जिम्मेदार अधिकारी या तो मामले को हल्के में ले रहे थे या जानबूझकर आरोपी को बचाने की कोशिश हो रही थी।

01 सितंबर 2025 को पुलिस ने आखिरकार आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय रवाना किया, लेकिन तब तक पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो चुके हैं। ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि दुबौलिया थाने की ढिलाई ने पूरे मामले को और ज्यादा संवेदनशील बना दिया है।

कानूनविद और जनप्रतिनिधि मानते हैं कि ऐसी लापरवाही सीधे-सीधे अपराधियों को बढ़ावा देती है और पीड़ित परिवारों के लिए दूसरी सजा बन जाती है। सवाल उठ रहा है कि आख़िर दुबौलिया पुलिस ने इतने दिनों तक आरोपी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया? किसके दबाव में जांच को धीमा किया गया? और जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

जनता की माँग है कि सिर्फ आरोपी की गिरफ्तारी भर से काम नहीं चलेगा, बल्कि इस मामले में थाने की लापरवाही की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए।


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