आगरा में धर्मांतरण गैंग का पर्दाफाश: हिंदू से ईसाई बनवाने का आरोप !
आगरा,लखनऊ,मनोज श्रीवास्तव
उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के शाहगंज थाना क्षेत्र में स्थित केदार नगर कॉलोनी में एक घर को धर्मांतरण का अड्डा बनाया गया था। यहां प्रत्येक रविवार को प्रार्थना सभा या धर्म सभा के नाम पर लोगों को इकट्ठा किया जाता था, जहां गरीब, बीमार और असहाय हिंदुओं को लालच देकर ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता था। पुलिस ने स्थानीय लोगों की शिकायत पर लगभग एक महीने की गोपनीय जांच के बाद छापा मारा और गैंग के सरगना सहित आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपियों में पांच पुरुष और तीन महिलाएं शामिल हैं। यह घटना 1-2 सितंबर 2025 के आसपास की है, जो हाल ही में सामने आई है। गिरफ्तार आरोपियों के नाम और भूमिका ,पुलिस ने निम्नलिखित आठ लोगों को हिरासत में लिया है:
राजकुमार लालवानी (सरगना, उर्फ पास्टर राजकुमार): केदार नगर कॉलोनी का निवासी। वह चार साल पहले मुंबई में हिंदू से ईसाई धर्मांतरण कर आया था। अपने घर में सभाएं आयोजित करता था, बाइबल पढ़वाता था, हाथों में बंधे कलावे (हिंदू परंपरा का प्रतीक) कटवाता था और लोगों को गरीबी, बीमारी से मुक्ति का लालच देता था। उसका एक यूट्यूब चैनल "चर्च ऑफ गॉड आगरा" भी था, जहां वीडियो अपलोड किए जाते थे।सीअनूप कुमार: पंचशील कॉलोनी, देररैठा (शाहगंज थाना क्षेत्र) का निवासी। सभाओं में सहयोग करता था। जयकुमार: राधे हाइट्स, शास्त्रीपुरम सिकंदरा का निवासी। अरुण कुमार: बारह खंबा सराय ख्वाजा (शाहगंज थाना क्षेत्र) का निवासी। कमल कुंडलानी: राहुल ग्रीन, दयालबाग (न्यू आगरा थाना क्षेत्र) का निवासी।
तीन महिलाएं: नाम स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं हैं, लेकिन वे सभाओं में सक्रिय भूमिका निभाती थीं और लोगों को प्रलोभन देने में सहायता करती थीं। कुछ रिपोर्टों में गिरफ्तारियों की संख्या 11 बताई गई है, जिसमें पांच महिलाएं शामिल हैं, लेकिन अधिकांश स्रोत आठ पर सहमत हैं। यह मामला उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण विरोधी कानून (Uttar Pradesh Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Act, 2021) के तहत दर्ज किया गया है।
घटना का विवरण और जांच प्रक्रिया, शिकायत का आधार: स्थानीय भाजपा नेता सुनील कर्मचंदानी ने उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय से शिकायत की थी। बाद में मामला पुलिस आयुक्त दीपक कुमार तक पहुंचा। मोहल्ले के निवासियों ने बताया कि राजकुमार के घर पर ईसाई मिशनरी आते थे, जहां हिंदुओं को देवी-देवताओं की पूजा छोड़ने और ईसाई बनने का दबाव बनाया जाता था। सभाओं में "चमत्कार" और "झाड़-फूंक" का झांसा दिया जाता था।
पुलिस की कार्रवाई: शाहगंज पुलिस ने एक महीने तक निगरानी की। दो महिला पुलिसकर्मियों को सादे कपड़ों में "पीड़ित" बनाकर सभाओं में भेजा गया। वहां आरोपियों ने उनके कलावे कटवाए, बाइबल पढ़ने को कहा और धर्मांतरण का दबाव डाला। सबूत जुटाने के बाद 2 सितंबर 2025 को छापा मारा गया।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन: पूछताछ में राजकुमार ने कबूल किया कि उसका संपर्क दुबई, स्पेन और भारत के अन्य हिस्सों से था। हर रविवार सुबह 4 बजे ऑनलाइन मीटिंग्स होती थीं, जिनके बदले गल्फ देशों से फंडिंग आती थी। यह रकम उसकी बेटी और साथियों के बैंक खातों में जमा की जाती थी। पुलिस अब फंडिंग स्रोतों की जांच कर रही है।
पृष्ठभूमि और संदर्भ ,आगरा में धर्मांतरण के मामले हाल के वर्षों में बढ़े हैं। जुलाई 2025 में ही एक अन्य बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ था, जहां अब्दुल रहमान कुरैशी (कन्वर्टेड मुस्लिम) समेत दर्जन भर लोग गिरफ्तार हुए थे। वे यूट्यूब के जरिए प्रोपगैंडा फैलाते थे। इसी तरह, अगस्त 2025 में एक महिला संतोषी उर्फ मिंदर कौर को ईसाई धर्मांतरण के लिए गिरफ्तार किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन मामलों पर सख्ती बरती है, क्योंकि राज्य में अवैध धर्मांतरण पर सजा 1 से 10 साल की कैद और जुर्माना है।
यह घटना धार्मिक स्वतंत्रता और जबरन धर्मांतरण के बीच संतुलन की बहस को फिर से उजागर करती है।