आखिर कौन चोर? — मोदी बनाम राहुल की संपत्ति पर उठते सवाल

 संपादकीय

राजेंद्र नाथ तिवारी

आखिर कौन चोर? — मोदी बनाम राहुल की संपत्ति पर उठते सवाल



भारत की राजनीति आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहाँ जनता का सबसे बड़ा प्रश्न है—“आखिर कौन चोर है?” यह सवाल केवल चुनावी नारों का हिस्सा नहीं रहा, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा से जुड़ा हुआ मुद्दा बन चुका है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी, दोनों दशकों से भारतीय राजनीति के केंद्र में हैं। एक ओर मोदी जी हैं, जिन्होंने 22 वर्षों से सत्ता की कमान संभाल रखी है। दूसरी ओर राहुल गांधी हैं, जो विपक्ष की सबसे बड़ी उम्मीद के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं। लेकिन दोनों की घोषित संपत्ति का तुलनात्मक अध्ययन जनता के सामने कई परतें खोलता है।


मोदी के शपथपत्र में संपत्ति महज़ ₹3 करोड़ दिखाई देती है—जिसमें न तो कोई आलीशान बंगला है, न ही महंगी गाड़ियाँ। उनकी अधिकांश संपत्ति बैंक के फिक्स्ड डिपॉज़िट और सरकारी बचत योजनाओं में है। इसके विपरीत राहुल गांधी की घोषित संपत्ति लगभग ₹20 करोड़ है—जिसमें गुरुग्राम का महंगा फ्लैट, मेहरौली की कृषि ज़मीन, करोड़ों के शेयर और म्यूचुअल फंड शामिल हैं।


यहाँ सवाल यह नहीं है कि किसने कितनी कमाई की, बल्कि यह है कि “क्या नेताओं की संपत्ति और जनता के बीच पारदर्शिता है?” अगर नेता जनता की सेवा का दावा करते हैं, तो उनकी कमाई, खर्च और निवेश भी जनता के सामने स्पष्ट होने चाहिए। लोकतंत्र का विश्वास तभी मजबूत होगा जब संपत्ति का स्रोत उतना ही पारदर्शी होगा जितना कि उनके चुनावी वादे।


सोशल मीडिया पर यह बहस अब सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रही, बल्कि सीधा टकराव है—“लंबे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद मोदी की संपत्ति इतनी कम क्यों है?” और “सत्ता से बाहर रहते हुए भी राहुल की संपत्ति इतनी अधिक कैसे है?” इन सवालों के जवाब केवल दोनों नेताओं से ही नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक तंत्र से अपेक्षित हैं।


संपादकीय दृष्टिकोण:

राजनीति में पारदर्शिता कोई विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है। जनता को यह जानने का अधिकार है कि उसके नेता कितने ईमानदार हैं। संपत्ति का खुलासा सिर्फ चुनावी औपचारिकता न होकर लोकतांत्रिक जवाबदेही का हिस्सा होना चाहिए। आखिरकार, देश यह जानना चाहता है—“कौन सच्चा सेवक है और कौन छुपा हुआ लाभार्थी?”


अब समय आ गया है कि नारेबाज़ी से आगे बढ़कर, तथ्यों के आधार पर यह तय किया जाए कि असली चोर कौन है और असली चौकीदार कौन?

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