राजेंद्र नाथ तिवारी,बस्ती,उत्तर प्रदेश
"मृत नहीं, महाशक्ति बनती भारत की अर्थव्यवस्था"
हाल ही में कुछ नेताओं द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था को "मृत अर्थव्यवस्था" कहे जाने की नादान टिप्पणी ने न केवल आर्थिक तथ्यों की अनदेखी की है, बल्कि देश की मेहनतकश जनता और नीति निर्माताओं के परिश्रम का भी अपमान किया है। इस तरह की टिप्पणी, विशेषकर जब वह किसी वरिष्ठ नेता द्वारा की जाती है, तो यह केवल अज्ञानता नहीं बल्कि दुर्भावना का परिचायक बन जाती है।
भारत की अर्थव्यवस्था आज वैश्विक मंच पर एक चमकता सितारा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक और OECD जैसे संस्थान लगातार यह स्वीकार कर रहे हैं कि भारत वर्तमान में दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। 2023-24 में भारत की अनुमानित GDP वृद्धि दर 8.2% रही, जबकि वैश्विक औसत 3% से भी कम था। क्या एक "मृत अर्थव्यवस्था" इतने उच्च स्तर की वृद्धि दर हासिल कर सकती है?
भारत का डिजिटल क्रांति मॉडल—विशेषकर UPI और आधार आधारित सेवाएं, आज वैश्विक अध्ययन का विषय बन गई हैं। जुलाई 2025 में UPI के माध्यम से हर महीने 1400 करोड़ से अधिक लेन-देन हुए, जो दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था की जड़ें अब डिजिटल, पारदर्शी और समावेशी हो चुकी हैं।
रोज़गार और उद्यमिता के क्षेत्र में भी भारत बड़ी छलांग लगा रहा है। स्टार्टअप इंडिया, मुद्रा योजना, और PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) जैसे कार्यक्रमों ने देश में नए प्रकार का औद्योगिक और नवाचार आधारित वातावरण तैयार किया है। भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जहाँ 100 से अधिक यूनिकॉर्न कंपनियाँ हैं। क्या ये उपलब्धियाँ किसी मृत अर्थव्यवस्था की पहचान हैं?
यह सच है कि भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश के सामने महंगाई, बेरोज़गारी, और आय असमानता जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। परन्तु, ये चुनौतियाँ किसी भी विकासशील राष्ट्र का हिस्सा होती हैं और इनसे निपटने के लिए वर्तमान सरकार नीतिगत सुधारों, बुनियादी ढांचे में निवेश और वंचित वर्गों को सबल बनाने के प्रयास कर रही है। यह कहना कि भारत की अर्थव्यवस्था मृत है, उन सभी प्रयासों की उपेक्षा करना है, जिनसे आज भारत वैश्विक मानचित्र पर सिर ऊँचा किए खड़ा है।
राहुल गांधी जैसे नेता जब इस प्रकार के अवास्तविक और अपमानजनक बयान देते हैं, तो यह केवल उनकी अर्थशास्त्र संबंधी समझ की कमी को ही नहीं दर्शाता, बल्कि यह उनकी राजनीतिक हताशा को भी उजागर करता है। भारत की आर्थिक यात्रा एक संघर्ष, नवाचार और सबका साथ–सबका विकास की कहानी है, जिसे दुनिया सम्मान से देख रही है।
इसलिए, भारत को "मृत अर्थव्यवस्था" कहने वालों को चाहिए कि वे तथ्यों से परिचित हों, दृष्टि व्यापक करें, और जनता के आत्मविश्वास को चोट पहुँचाने की जगह उसका सम्मान करें। भारत आज आर्थिक महाशक्ति की ओर अग्रसर है—और यह यात्रा किसी भ्रमित आलोचक से नहीं रुकेगी।