साहस, श्रद्धा और संकल्प की अद्भुत यात्रा "मजहबी कुलविंदर सिंह का कैलाश-मानसरोवर तीर्थ सफलतापूर्वक संपन्न, प्रज्ञा प्रकाशन में हुआ भव्य सम्मान"

 साहस, श्रद्धा और संकल्प की अद्भुत यात्रा

"मजहबी कुलविंदर सिंह का कैलाश-मानसरोवर तीर्थ सफलतापूर्वक संपन्न, 


प्रज्ञा प्रकाशन में हुआ भव्य सम्मान"

बस्ती जनपद की पुण्यभूमि पर आस्था, अद्वितीय साहस और आध्यात्मिक समर्पण का गौरवशाली उदाहरण प्रस्तुत करते हुए श्री कुलविंदर सिंह मजहबी ने कैलाश-मानसरोवर की दुर्गम तीर्थयात्रा को सफलतापूर्वक संपन्न कर लिया। वाया गंगटोक संपन्न यह यात्रा केवल भौगोलिक सीमाओं की नहीं, अपितु आत्मिक ऊँचाइयों की भी एक तपःयात्रा थी।

उनकी इस अभिनंदनीय उपलब्धि पर प्रज्ञा प्रकाशन, बस्ती में आयोजित एक गरिमामयी समारोह में उनका अभिनंदन एवं सम्मान किया गया। सम्मान हेतु उपस्थित ‘कौटिल्य का भारत’ के संपादक श्री राजेन्द्रनाथ  तिवारी ने कहा, “यह हम सभी के लिए गर्व और गौरव का क्षण है कि हमारे जनपद के कुलविंदर सिंह मजहबी ने अपनी दृढ़ आस्था और शौर्य से इस कठिनतम यात्रा को न केवल पूर्ण किया, बल्कि समस्त समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने।”यह भी ध्यातव्य है कि मजहबी बस्ती जनपद के पथम सिख यात्री भी हैं जिन्होंने जो इस दुर्गम यात्रा के साक्षी भी बने!

 अंगवस्त्र प्रदान कर उन्हें भावभीनी बधाइयाँ दी गईं। इस अवसर पर नगर के वरिष्ठ साहित्यकार, समाजसेवी व श्रद्धालु जनभाई-बहनों की उपस्थिति ने समारोह को एक आध्यात्मिक आभा से आलोकित कर दिया।पत्रकार,राकेश तिवारी,राजेंद्र उपाध्याय और मनोज कुमार यादव की सारगर्भी उपस्थिति भी आयोजन की साक्षी बनी!

कुलविंदर सिंह मजहबी की यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देती हैइस अद्भुत साहसिक एवं आस्था-निष्ठ यात्रा की उपलब्धि पर उन्हें प्रज्ञा प्रकाशन, बस्ती में एक भव्य सम्मान समारोह में सम्मनित किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए कौटिल्य का भारत के संपादक राजेन्द्र नाथ  तिवारी ने कहा — “यह केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि राष्ट्र और संस्कृति के प्रति समर्पण का प्रतीक है। कुलविंदर सिंह की यह तपपूर्ण साधना जनपद के लिए गौरव का विषय है।”


समारोह में उन्हें पारंपरिक अंगवस्त्र  भेंट कर सम्मानित किया गया। नगर के साहित्यकारों, समाजसेवियों एवं धर्मानुरागी जनता की उपस्थिति ने आयोजन को विशेष गरिमा प्रदान की।


कुलविंदर सिंह की यह यात्रा समाज को यह प्रेरणा देती है कि संकल्प, आस्था एवं पुरुषार्थ से पर्वतों की ऊँचाइयाँ भी झुक जाती हैं।


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