समय निकालकर अवश्य पढ़े। क्योंकि पढ़ेगा भारत, तभी तो आगे बढ़ेगा भारत।
वैसे आज के दिन ही इंदिरा गांधी की चुनावों में धांधली साबित हुई थी और अदालत ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अमान्य करार दिया 1975 में आज के ही दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अमान्य करार दिया था।
अदालत ने उनके खिलाफ लोकसभा चुनाव में धांधली के आरोपों को सही माना था। बाद के घटनाक्रम देश में आपातकाल के काले अध्याय का कारण बने।
आइए मित्रों आपको आज एक ऐसे गद्दार के बारे में बताता हूँ जो बामपंथी प्रोफेसर था और उसने भारतीय इतिहास की किताबों में किस प्रकार उलटफेर कराया और 'इन्दिरा गांधी' ने बामपंथियो का सहयोग लेने के लिए इसको केन्द्रीय शिक्षा मंत्री बनाया बाद में यह राज्यपाल भी रहा इसका नाम था। "प्रोफेसर सैय्यद नूरूल हसन"
बहुत ही नायाब जानकारी शायद आपको और कही नही मिले। भारतीय इतिहास का इंदिरा गांधी द्वारा किया हुआ सत्यानाश।
यह बात सन १९७१ की है। इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए वामपंथी लोगों से मदद चाहिए थी तो समझौता यह हुआ था कि आप प्रधानमंत्री बनी रहो और हमारे लोगों को देश का शिक्षा बोर्ड दे दो।
इसीलिए कट्टर वामपंथी विचारधारा वाले डॉ. नूरूल हसन को केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री का पद सौंपा गया था। परिणाम स्वरूप डॉ. हसन जिस काम के लिए आये थे उसमें लग जाते हैं, उन्होनें प्राचीन हिन्दू इतिहास तथा पाठ्य पुस्तकों के विकृतिकरण का बीड़ा उठा लिया।
सन १९७२ में इन सैकुलरवादियों ने "भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद" का गठन कर इतिहास पुनर्लेखन की घोषणा की और सुविख्यात इतिहासकार यदुनाथ सरकार, रमेश चंद्र मजूमदार तथा श्री जी.एस. सरदेसाई जैसे सुप्रतिष्ठित इतिहासकारों के लिखे ग्रंथों को नकार कर नये सिरे से इतिहास लेखन का कार्य शुरू कराया गया।
घोषणा की गई कि इतिहास और पाठ्यपुस्तकों से वह अंश हटा दिये जाएँगे जो राष्ट्रीय एकता में बाधा डालने वाले और मु&लमानों की भावना को ठेस पहुँचाने वाले लगते हैं। डॉ. नूरूल हसन ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण करते हुए कहा, महमूद गजनवी, औरंगजेब आदि मुस्लिम शासकों द्वारा हिन्दुओं के नरसंहार एवं मंदिरों को तोड़ने के प्रसंग राष्ट्रीय एकता में बाधक है अत: उन्हें नहीं पढ़ाया जाना चाहिए।
वामपंथियों ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर अंग्रेजों से क्षमा माँगकर, अण्डमान के काला पानी जेल से रिहा होने जैसे निराधार आरोप लगाये और उन्हें वीर की जगह 'कायर' बताने की बात लिखीं। (ये बातें डॉ. अमरीश प्रधान द्वारा एक संगोष्ठि में बताई गयी हैं।)
देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ हो नहीं सकता है कि हमारे बच्चे यह नहीं पढ़ पा रहे हैं कि औरंगजेब ने किस तरह से देश में हिन्दुओं का कत्लेआम करवाया था। इन लेखकों ने यह तो लिख दिया कि गांधी की हत्या नाथूराम ने की थी किन्तु यह नहीं बताया कि गुरू गोविन्द जी कैसे शहीद हुए थे…?
सबसे बड़ा मजाक यह है कि स्कूल की किताबों में कौन सा लेखक क्या लिख रहा है इसकी जाँच करने के लिए कोई भी बोर्ड नहीं है। कोई लिखता है कि राम नहीं थे, तो कोई महाभारत को एक कहानी लिखता है, किन्तु एक खास धर्म से पंगा नहीं लेता है आज भी कांग्रेस की दया के चलते ही कई वामपंथी लोग शिक्षा बोर्ड पर कब्जा किये बैठे हैं।
इसी योजना के तहत JNU जैसे अनेक तथाकथित 'स्वायत्त' विश्वविद्यालयों की स्थापना करके भी उन्हें वामपंथियों को सौंप दिया गया जो आज देशविरोधी जहर उगलने वाले 'बच्चों' का पोषण कर रहे हैं। इस विषय में केंद्र सरकार को एक आयोग बनाकर "इनके गठन के उद्देश्यों की पूर्ति" की जाँच करवाकर कार्यवाही करनी चाहिए।
शिक्षा बचाओ, इतिहास पढ़ाओ…!!
भारत बचाओ, भारतीयता बचाओ…!!
वैसे आज के दिन ही इंदिरा गांधी की चुनावों में धांधली साबित हुई थी और अदालत ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अमान्य करार दिया 1975 में आज के ही दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अमान्य करार दिया था।
अदालत ने उनके खिलाफ लोकसभा चुनाव में धांधली के आरोपों को सही माना था। बाद के घटनाक्रम देश में आपातकाल के काले अध्याय का कारण बने।
आइए मित्रों आपको आज एक ऐसे गद्दार के बारे में बताता हूँ जो बामपंथी प्रोफेसर था और उसने भारतीय इतिहास की किताबों में किस प्रकार उलटफेर कराया और 'इन्दिरा गांधी' ने बामपंथियो का सहयोग लेने के लिए इसको केन्द्रीय शिक्षा मंत्री बनाया बाद में यह राज्यपाल भी रहा इसका नाम था। "प्रोफेसर सैय्यद नूरूल हसन"
बहुत ही नायाब जानकारी शायद आपको और कही नही मिले। भारतीय इतिहास का इंदिरा गांधी द्वारा किया हुआ सत्यानाश।
यह बात सन १९७१ की है। इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए वामपंथी लोगों से मदद चाहिए थी तो समझौता यह हुआ था कि आप प्रधानमंत्री बनी रहो और हमारे लोगों को देश का शिक्षा बोर्ड दे दो।
इसीलिए कट्टर वामपंथी विचारधारा वाले डॉ. नूरूल हसन को केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री का पद सौंपा गया था। परिणाम स्वरूप डॉ. हसन जिस काम के लिए आये थे उसमें लग जाते हैं, उन्होनें प्राचीन हिन्दू इतिहास तथा पाठ्य पुस्तकों के विकृतिकरण का बीड़ा उठा लिया।
सन १९७२ में इन सैकुलरवादियों ने "भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद" का गठन कर इतिहास पुनर्लेखन की घोषणा की और सुविख्यात इतिहासकार यदुनाथ सरकार, रमेश चंद्र मजूमदार तथा श्री जी.एस. सरदेसाई जैसे सुप्रतिष्ठित इतिहासकारों के लिखे ग्रंथों को नकार कर नये सिरे से इतिहास लेखन का कार्य शुरू कराया गया।
घोषणा की गई कि इतिहास और पाठ्यपुस्तकों से वह अंश हटा दिये जाएँगे जो राष्ट्रीय एकता में बाधा डालने वाले और मु&लमानों की भावना को ठेस पहुँचाने वाले लगते हैं। डॉ. नूरूल हसन ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण करते हुए कहा, महमूद गजनवी, औरंगजेब आदि मुस्लिम शासकों द्वारा हिन्दुओं के नरसंहार एवं मंदिरों को तोड़ने के प्रसंग राष्ट्रीय एकता में बाधक है अत: उन्हें नहीं पढ़ाया जाना चाहिए।
वामपंथियों ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर अंग्रेजों से क्षमा माँगकर, अण्डमान के काला पानी जेल से रिहा होने जैसे निराधार आरोप लगाये और उन्हें वीर की जगह 'कायर' बताने की बात लिखीं। (ये बातें डॉ. अमरीश प्रधान द्वारा एक संगोष्ठि में बताई गयी हैं।)
देश का इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ हो नहीं सकता है कि हमारे बच्चे यह नहीं पढ़ पा रहे हैं कि औरंगजेब ने किस तरह से देश में हिन्दुओं का कत्लेआम करवाया था। इन लेखकों ने यह तो लिख दिया कि गांधी की हत्या नाथूराम ने की थी किन्तु यह नहीं बताया कि गुरू गोविन्द जी कैसे शहीद हुए थे…?
सबसे बड़ा मजाक यह है कि स्कूल की किताबों में कौन सा लेखक क्या लिख रहा है इसकी जाँच करने के लिए कोई भी बोर्ड नहीं है। कोई लिखता है कि राम नहीं थे, तो कोई महाभारत को एक कहानी लिखता है, किन्तु एक खास धर्म से पंगा नहीं लेता है आज भी कांग्रेस की दया के चलते ही कई वामपंथी लोग शिक्षा बोर्ड पर कब्जा किये बैठे हैं।
इसी योजना के तहत JNU जैसे अनेक तथाकथित 'स्वायत्त' विश्वविद्यालयों की स्थापना करके भी उन्हें वामपंथियों को सौंप दिया गया जो आज देशविरोधी जहर उगलने वाले 'बच्चों' का पोषण कर रहे हैं। इस विषय में केंद्र सरकार को एक आयोग बनाकर "इनके गठन के उद्देश्यों की पूर्ति" की जाँच करवाकर कार्यवाही करनी चाहिए।
शिक्षा बचाओ, इतिहास पढ़ाओ…!!
भारत बचाओ, भारतीयता बचाओ…!!