राजेंद्र नाथ तिवारी
अब समय आगया है भारत में जो"एक देश, एक चुनाव" (One Nation, One Election) की नीति का प्रस्ताव वर्षों से चर्चा में लम्बित है। इस नीति का उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना है, ताकि चुनाव प्रक्रिया में एकरूपता लाई जा सके। और देश को अनावश्यक खर्चे के भार से निजात दिलाया जा सके.आइए इसके फायदे और नुकसान पर नज़र डालते हैं. इसकी राष्ट्रव्यापी वह भी अपेक्षित है.
लाभ ही लाभ
सबसे बड़ा लाभ तो यह होगा देश में राष्ट्रवाद,सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की सुगंधित बयार आसेतु है_हिमाचल सबको एक में निरूपित करेंगी जगद्गुरु शंकराचार्य का संपूर्ण देश को एक में बढ़ने का विचार सूत्र एकाकार हो सकेगा.परस्पर संस्कृतियों को समझने की समझ विकसित होगी.खर्च में कमी: बार-बार होने वाले चुनावों से सरकार और राजनीतिक पार्टियों का खर्च काफी बढ़ता है। अगर लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाते हैं, तो चुनावी खर्च में कटौती हो सकती है, जिससे करदाताओं का पैसा बचेगा।
गवर्नेंस में सुधार: चुनाव के दौरान आचार संहिता लागू होती है, जो विकास कार्यों को बाधित कर देती है। "एक देश, एक चुनाव" से बार-बार आचार संहिता लागू करने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे योजनाओं और विकास कार्यों में निरंतरता बनी रहेगी।
लॉजिस्टिक्स और सुरक्षा में आसानी: बार-बार चुनाव कराने से बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती करनी पड़ती है। एक साथ चुनाव कराने से सुरक्षा बलों की ज़रूरत कम होगी और उनका इस्तेमाल अधिक कुशलता से किया जा सकेगा।
सत्ता में स्थिरता: बार-बार चुनाव होने से पार्टियों को अपनी राजनीतिक रणनीतियों में बदलाव करना पड़ता है, जिससे सत्ता में अस्थिरता आती है। एक साथ चुनाव होने से इस अस्थिरता से बचा जा सकता है।
सु परिणाम
स्थानीय मुद्दों की उपेक्षा: विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ होने पर स्थानीय मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दे हावी हो सकते हैं। इससे मतदाता उन समस्याओं पर ध्यान नहीं दे पाएंगे जो उनके राज्य या क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं।
संवैधानिक चुनौतियाँ: विभिन्न राज्यों की सरकारों का कार्यकाल अलग-अलग समय पर समाप्त होता है। इस नीति को लागू करने के लिए संविधान में बदलाव करना होगा, जो आसान नहीं है। इसके अलावा, राज्यों की स्वायत्तता को प्रभावित करने के आरोप भी लग सकते हैं।
संविधान के संघीय ढांचे पर प्रभाव: भारत का संविधान संघीय ढांचे पर आधारित है, जहां केंद्र और राज्य दोनों की अलग-अलग शक्तियाँ हैं। एक साथ चुनाव कराने से राज्यों की स्वायत्तता और संघीय ढांचे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
राजनीतिक चुनौतियाँ: कुछ पार्टियाँ इस नीति का विरोध कर सकती हैं, खासकर वे जिनके लिए छोटे-छोटे चुनाव जीतना आसान होता है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के बीच असंतुलन बढ़ सकता परिणति
"एक देश, एक चुनाव" नीति के फायदे और नुकसान दोनों हैं। इससे चुनाव प्रक्रिया में सुधार और खर्च में कमी आ सकती है, लेकिन इसके साथ संवैधानिक और संघीय ढांचे की चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं। यह नीति लागू करने के लिए गहन विचार-विमर्श और सभी हितधारकों के बीच सहमति की आवश्यकता होगी।जिस विमर्श की आवश्यकता अब आचूकी है.राहुल जैसे सिरफिरे कथित नेता के बयान का उत्तर भी होगा एकदेश एक चुनाव.भारत की अखंडता और के अतिरिक्त क्रियान्वतो विश्वमार्यम को बल भी.