समर्पित पत्रकार अनिल श्रीवास्तव की पुण्यतिथि पर रक्तदान व श्रद्धांजलि कार्यक्रम

 खबरों की खोज में सायकिल से जेल  से  रेल तक की अवाध


पत्रकारिता के मिशनरी पत्रकार

समर्पित पत्रकार अनिल श्रीवास्तव की पुण्यतिथि पर रक्तदान व श्रद्धांजलि कार्यक्रम

बस्ती।उत्तरप्रदेश

 पत्रकारिता जगत में अपनी निष्पक्ष, सक्रिय और संघर्षशील पहचान बनाने वाले वरिष्ठ पत्रकार अनिल श्रीवास्तव की पुण्यतिथि पर बृहस्पतिवार को प्रेस क्लब में श्रद्धांजलि व रक्तदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम उनके पुत्र और पत्रकार अनुराग श्रीवास्तव व आलोक श्रीवास्तव के संयोजन में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकारों, समाजसेवियों, युवाओं और बुद्धिजीवियों की सहभागिता रही।

अनिल श्रीवास्तव का नाम बस्ती जनपद में पत्रकारिता की उस परंपरा से जुड़ा है, जिसमें न तो साधन-सुविधाओं की प्रचुरता थी और न ही आधुनिक तकनीक का सहारा, फिर भी साइकिल से जेल रोड से लेकर रेलवे स्टेशन तक दौड़कर हर छोटी-बड़ी खबर को एकत्र कर वे समाचार एजेंसी और पाठकों तक पहुँचाने का काम करते थे। उनकी पहचान एक ऐसे समर्पित पत्रकार के रूप में रही, जो पत्रकारिता को केवल पेशा नहीं बल्कि समाज और सत्य की सेवा मानते थे।

श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और योगदान को याद करते हुए कहा कि अनिल श्रीवास्तव ने पत्रकारिता को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से जिया। कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बावजूद वे अपने काम को पूरी जिम्मेदारी से निभाते रहे। उन्होंने पत्रकारिता में सादगी, साहस और सत्यनिष्ठा को प्राथमिकता दी। वक्ताओं ने कहा कि आज जब पत्रकारिता अनेक चुनौतियों से गुजर रही है, अनिल श्रीवास्तव जैसे पत्रकारों की जीवनशैली और आदर्श हम सबके लिए प्रेरणा हैं।

इस अवसर पर आयोजित रक्तदान शिविर में युवाओं और पत्रकारों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। रक्तदान करने वालों ने कहा कि यह आयोजन पत्रकारिता के उस स्वरूप को भी याद दिलाता है जिसमें समाजहित सर्वोपरि होता है। किसी की जान बचाने के लिए किया गया रक्तदान ही दिवंगत पत्रकार को सच्ची श्रद्धांजलि है।


कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने अनिल श्रीवास्तव के व्यक्तित्व पर संस्मरण साझा किए। किसी ने उनकी साइकिल से की गई खबरों की दौड़ को याद किया, तो किसी ने उनकी विनम्रता और सहजता का उल्लेख किया। सभी ने माना कि वे केवल पत्रकार ही नहीं बल्कि समाज के सच्चे प्रहरी थे।

कार्यक्रम के अंत में उनके पुत्र अनुराग श्रीवास्तव और आलोक श्रीवास्तव ने सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे अपने पिता की परंपरा और पत्रकारिता की उस ईमानदार धारा को आगे बढ़ाने का संकल्प दोहराते हैं।

इस तरह अनिल श्रीवास्तव की पुण्यतिथि एक सामाजिक सरोकार के आयोजन में बदल गई, जिसने न केवल उनके योगदान को याद किया बल्कि पत्रकारिता और समाज सेवा के गहरे रिश्ते को भी सामने रखा।

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