शिक्षक संघ ने राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री को भेजा ज्ञापन
टीईटी की अनिवार्यता पर पुनर्विचार की मांग, शिक्षकों के भविष्य को लेकर जताई चिंता
बस्ती। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने सेवारत शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य किए जाने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा है।
जिलाध्यक्ष उदय शंकर शुक्ल के नेतृत्व में दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि यह निर्णय शिक्षकों के लिए दूरगामी क्षतिकारी परिणाम वाला होगा। वर्षों से सेवा दे रहे शिक्षकों के भविष्य और आजीविका पर संकट गहराने से शिक्षा प्रणाली की स्थिरता और गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
श्री शुक्ल ने बताया कि ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया है कि नियुक्ति उस समय की सेवा नियमावली के अनुसार हुई थी, इसलिए पुराने शिक्षकों को नए मानदंडों के आधार पर अयोग्य ठहराना न्यायसंगत नहीं है। संगठन ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि इस मामले में सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए संगठन प्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर नीतिगत समाधान निकाला जाए।
उन्होंने कहा कि संपूर्ण भारत के शिक्षक इस मांग के समर्थन में हैं और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए केंद्र सरकार की पहल आवश्यक है।
ज्ञापन सौंपने के दौरान जिला मंत्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह, जिला उपाध्यक्ष महेश कुमार, जिला प्रवक्ता सूर्य प्रकाश शुक्ला सहित बड़ी संख्या में शिक्षक मौजूद रहे। प्रमुख रूप से अभय सिंह यादव, शैल शुक्ल, रक्षा राम वर्मा, अरविन्द पाण्डेय, नरेन्द्र द्विवेदी, प्रणव मिश्रा, अविनाश मिश्रा, शुभम मिश्रा, चन्द्र मिश्रा, देवेंद्र वर्मा, विजय कन्नौजिया, त्रिलोकी नाथ, रवीन्द्र नाथ, राजीव पाण्डेय, पीयूष मौर्या, बुद्धिराम यादव, अरविन्द यादव, मो. सलाम, राजेश पाठक, योगेश्वर शुक्ला, सुशील कुमार, मारूफ खान समेत दर्जनों शिक्षक शामिल रहे.