जनेश्वर मिश्र जयंती पर विशेष समाचार: "छोटे लोहिया" के विचारों की प्रासंगिकता और समाजवादी संकल्प बस्ती उत्तरप्रदेश

 

 "छोटे लोहिया" के विचारों की प्रासंगिकता और समाजवादी संकल्प

बस्ती उत्तरप्रदेश 


आज, 5 अगस्त को, भारतीय राजनीति के यशस्वी समाजवादी चिंतक, स्वर्गीय श्री जनेश्वर मिश्र की जयंती समाजवादी विचारधारा के अनुयायियों द्वारा श्रद्धा और संकल्प के साथ मनाई गई। "छोटे लोहिया" के नाम से विख्यात श्री मिश्र समाजवादी आंदोलन के उस तेजस्वी स्तंभ रहे, जिन्होंने गरीब, वंचित और शोषित वर्ग की आवाज़ को संसद से लेकर सड़क तक बुलंद किया।

बस्ती में आयोजित समारोह में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री दयाशंकर मिश्र, पूर्व विधायक श्री राजमणि पांडे, विधायकगण श्री अतुल चौधरी, श्री राजेंद्र चौधरी, जिलाध्यक्ष श्री महेंद्र यादव सहित बड़ी संख्या में समाजवादी कार्यकर्ताओं एवं आम नागरिकों ने भाग लेकर श्रद्धांजलि अर्पित की। वक्ताओं ने श्री जनेश्वर मिश्र के विचारों और उनके राजनीतिक दर्शन को वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत प्रासंगिक बताया।

जनेश्वर मिश्र का चिंतन: लोहियावादी समाजवाद की मशाल

श्री मिश्र का जीवन व कार्य संपूर्ण समाजवादी आंदोलन का एक प्रतीक रहा है। उन्होंने डॉ. राममनोहर लोहिया के समाजवादी सिद्धांतों को आत्मसात कर न केवल संसद में बल्कि जनमानस में भी उन्हें जीवंत किया। वे राजनीतिक शुचिता, सादगी, नैतिकता और लोकहित के प्रतीक थे। उनका मानना था कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होनी चाहिए, न कि लाभ और सत्ता का साधन।

प्रासंगिकता आज भी बरकरार

वर्तमान समय में जब राजनीति में मूल्यों का ह्रास दिखाई देता है, तब जनेश्वर मिश्र की विचारधारा समाजवादी पार्टी को नयी दिशा दे सकती है। उनके सामाजिक न्याय, समानता, धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए समर्पण की आज नितांत आवश्यकता है। उनके विचार ही आज की राजनीति को जनपक्षधरता की ओर पुनः मोड़ सकते हैं।

2027 की ओर: समाजवादी संकल्प

समारोह में उपस्थित नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के नेतृत्व में 2027 के विधानसभा चुनाव को जनेश्वर मिश्र की विचारधारा के अनुरूप लड़ने का संकल्प लिया। वक्ताओं ने कहा कि श्री मिश्र का मार्गदर्शन समाजवादी पार्टी के लिए एक प्रेरणा है, और यदि पार्टी उनके आदर्शों को आत्मसात करती है, तो यह आंदोलन पुनः उत्तर प्रदेश की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

जनेश्वर मिश्र केवल एक नेता नहीं थे, वे विचारों की एक जीवित धारा थे। आज जब देश और प्रदेश सामाजिक असमानता, बेरोज़गारी, महंगाई और लोकतांत्रिक संस्थाओं की गिरावट जैसी समस्याओं से जूझ रहा है, तब उनका चिंतन एक सामाजिक-राजनीतिक पुनर्जागरण का माध्यम बन सकता है।

उनकी जयंती पर लिया गया यह संकल्प - कि 2027 का चुनाव समाजवाद के मूल्यों और सिद्धांतों के आधार पर लड़ा जाएगा - समाजवादी आंदोलन के पुनः उत्कर्ष की दिशा में पहुंचाने का संकल्प भी लिया गया.

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