“गूगल बाबा की जय हो – जहां रास्ता नहीं, वहां भी पहुंचा दें”
जो लोग गूगल के सहारे यात्रा कर रहे हैं वे सभल जाए अन्यथा गूगल भगवान आपको कही का नहीं छोड़ेंगे .
अब तो यात्रा से पहले आदमी भगवान का नहीं, गूगल मैप का नाम लेता है।
"हे गूगल बाबा! बस तू बता दे – रस्ता चाहे कुएं में हो या जंगल में!"
हमारे गांव के पंडित हरिराम ने जब पहली बार गूगल मैप खोला, तो स्क्रीन पर नीली लाइन देखकर बोले –
"ई कौन सी नहर है? इहाँ से त हमार खेत जाता है!"
मैंने समझाया, "पंडित जी, ये रस्ता है!"
पंडित बोले – "रस्ता? नहर मा? अब तो भगवान ही मालिक है!"
गूगल मैप्स की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह आपको वहाँ-वहाँ तक ले जाता है, जहाँ आप खुद भी नहीं जाना चाहते।
एक बार हम गूगल के कहने पर बाइक से शादी में जा रहे थे।
गूगल ने जो शॉर्टकट बताया, वह खेतों से होते हुए भैंसों के स्नानघर तक पहुंचा दिया।
वहाँ खड़ा बैल हमें देखकर खुश हुआ और हम... गिरते-गिरते बचे!
लेकिन गूगल मैप सिर्फ भटकाता ही नहीं, हास्य का भंडार भी है!
एक बार हमारे मित्र संजय बाबू को गूगल ने 'मॉल' की जगह "मल" गांव पहुंचा दिया।
अब वहां वो घूमते रहे कि "डिस्काउंट कहाँ है?"
गांव वाले बोले – "यहां सिर्फ गाय-भैंस डिस्काउंट में गोबर देती हैं!"
गूगल बाबा का सबसे दिलचस्प सुझाव होता है –
"500 मीटर आगे U-Turn लें!"
अब भैया! जब सामने शमशान घाट है और दाएं बाएं नदी-तालाब, तब यह U-turn सिर्फ जन्म के अगले चक्र में ही हो सकता है!
निष्कर्ष:
गूगल बाबा से यात्रा करना ऐसा है जैसे बिना ब्रेक की साइकिल पर रोलर कोस्टर चलाना।
आप जहां पहुंचें, वहाँ आपका भाग्य, गूगल की नेट स्पीड, और सैटेलाइट की तबीयत पर निर्भर करता है।
तो अगली बार जब गूगल बोले –
"Turn right in 50 meters"
तो पहले देख लेना – वो सड़क है या सांप का बिल!
"गूगल है तो जीवन में रोमांच है – पर सावधानी हटी, दुर्घटना घटी!"
अगर आप चाहें तो इसका एक हास्य नाटक या मंचीय प्रस्तुति भी तैयार की जा सकती है।