भक्ति, पुरातत्व और लोकसंस्कृति का समागम: फुटहिया, बस्ती चौराहे पर तेज प्रताप सिंह द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक-अध्यात्मिक अनुष्ठान
(एक पुरातात्विक-सांस्कृतिक विश्लेषण)
उत्तर भारत की पावन भूमि सदियों से आस्था, संस्कृति और सभ्यता की निरंतर धारा बहाती आई है। बस्ती जनपद स्थित फुटहिया चौराहा, हाल ही में इस परंपरा का एक जीवंत प्रतीक बनकर उभरा, जहाँ भाजपा नेता तेज प्रताप सिंह उर्फ सुड्डू द्वारा आयोजित भव्य आयोजन ने न केवल धर्म को पूजनीय बनाया, बल्कि उसे एक लोक-जीवन से जुड़ी सांस्कृतिक अनुभूति में रूपांतरित कर दिया।
पुरातात्विक पृष्ठभूमि और जलाभिषेक की परंपरा
भारत की प्राचीन संस्कृति में ‘कांवड़ यात्रा’ केवल धार्मिक नहीं, सांस्कृतिक और पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रही है। यह परंपरा वैदिक युग से जुड़ी मानी जाती है, जहाँ नदियों, जलधाराओं और तीर्थों से लाया गया पवित्र जल शिवलिंगों पर अर्पित कर ‘जल-तत्व’ के माध्यम से ब्रह्मांडीय ऊर्जा की स्थापना की जाती थी।
बाबा भद्रेश्वर नाथ, जिनके लिए अयोध्या से पवित्र सरयू जल लाकर अभिषेक किया जाता है, स्वयं में क्षेत्र की सांस्कृतिक स्मृति और धार्मिक आस्था का केंद्र हैं। उनके नाम का ‘भद्रेश्वर’ शब्द भारत की मध्यकालीन शिव उपासना परंपरा से जुड़ा है, जहाँ बाल रूप में शिव की आराधना की जाती थी।
समारोह में संस्कृति की पुनर्प्रस्तुति
तेज प्रताप सिंह द्वारा इस आयोजन को जिस तरह सांस्कृतिक विरासत के साथ जोड़ा गया, वह उल्लेखनीय है। भोजपुरिया लोकगायक पवन सिंह और सांसद-गायक मनोज तिवारी भोजपुरी गायक पवनसिंह को आमंत्रण केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि लोकध्वनि के माध्यम से सांस्कृतिक जागरण का प्रयत्न था।
भोजपुरी संस्कृति, जो मौर्यकाल से लेकर गुप्तकाल और आगे चलकर लोक नाट्य परंपराओं तक फैली रही, आज भी अपनी सांगीतिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक गहराई में अद्भुत है। यह आयोजन उस पुरातन संस्कृति का एक समकालीन पुनराविष्कार था, जिसमें शास्त्र और लोक, दोनों एकाकार दिखाई दिए।
सामाजिक सेवा और ऐतिहासिक समाज-चिंतन
पुरातन भारत के यज्ञों और मेलों में, चिकित्सा व्यवस्था, अन्नदान, यातायात और सुरक्षा का जिम्मा स्थानीय राजा या यजमानों पर होता था। उसी परंपरा को आधुनिक स्वरूप में तेज प्रताप सिंह और उनकी धर्म पत्नी शिल्पी सिंह व उनके परिवार—विशेषतः उनके ससुर इंद्रपाल जी—ने निभाया। यह अनुष्ठान करोड़ों के व्यक्तिगत व्यय पर हुआ, जो समाज की ओर से बिना किसी कर संग्रह के हुआ—यह लोकधर्म का आधुनिक उदाहरण है।
फुटहीया : एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में उभरता क्षेत्र
पुटहीया या चौराहा अब केवल एक भौगोलिक स्थल नहीं, सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बनता जा रहा है। जैसे प्रयागराज कुंभ के कारण विश्व मानचित्र पर पुनः प्रतिष्ठित हुआ, वैसे ही पुठिया क्षेत्र भी लोक आस्था, लोक कल्याण और भारतीय परंपरा के जीवंत केंद्र के रूप में उभर रहा है।
तेज प्रताप सिंह द्वारा आयोजित यह आयोजन केवल एक व्यक्तिगत पहल नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति की सामूहिक स्मृति का आह्वान था। यहाँ धर्म कर्म में बदला, लोक गायन वेदों की गूंज बना, और सेवा ‘राजधर्म’ बन गई। यह केवल श्रद्धालुओं की आमद नहीं, भारत की उस आत्मा की पुकार थी, जो मंदिरों, लोकधुनों, कांवड़ियों और जलाभिषेक के माध्यम से पुनः जाग रही है। 5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं को अन्नदान एक अत्यंत महनीय परम्परा का पालन के लिए हृदय चाहिए।बस्ती के पूंजीपतियों,व्यापारियों और नेताओं के पास दर्पण नहीं है अन्यथा उन्हें अपना चेहरा देखना विद्रूप ही लगता।
इस दृष्टिकोण से फुटहीया चौराहा अब केवल एक संगम स्थल नहीं, संस्कृति और सामाजिक समरसता की प्रयोगशाला बन गया है—जहाँ भूत, वर्तमान और भविष्य एक साथ संवाद कर रहे हैं।
एक साथ एकत्रित होकर एक नई सामाजिक ऊर्जा का संचार कर रहे हैं। अयोध्या से जल लेकर बाबा बालेश्वर नाथ को जलाभिषेक करने आए भक्तों के स्वागत में भाजपा नेता श्री तेज प्रताप सिंह उर्फ गुड्डू के नेतृत्व में एक अत्यंत भव्य आयोजन संपन्न हुआ है, जो सामाजिक सेवा और लोक परंपरा के नए मानक प्रस्तुत कर रहा है।
भक्तों का स्वागत नहीं, सम्मान का पर्व
इस आयोजन की सबसे विशेष बात यह रही कि लाखों की संख्या में आए श्रद्धालु केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं रहे, बल्कि उन्हें पूर्ण भोजन, चिकित्सा सेवा, यातायात सहयोग और संगीत-संस्कृति का सौंदर्यपूर्ण अनुभव भी प्राप्त हुआ। यह आयोजन किसी सरकारी तामझाम या राजनीतिक प्रचार का परिणाम नहीं, बल्कि एक निजी समर्पण का परिचायक बना, जिसमें तेज प्रताप सिंह ने बिना किसी सरकारी सहयोग के करोड़ों रुपये की सेवा अपने निजी संसाधनों से की।
सेवा का दूसरा नाम: तेज प्रताप सिंह
तेज प्रताप सिंह का व्यक्तित्व इस आयोजन में सिर्फ आयोजक का नहीं, अपितु सेवक का रहा। ‘जैसा नाम, वैसा काम’ की तर्ज पर उन्होंने हर भक्त को भगवान का रूप मानते हुए उनके स्वागत में तन, मन और धन से पूर्ण समर्पण किया। उनके पारिवारिक सदस्य—विशेषकर उनके ससुर इंद्रपाल जी—की भी भूमिका उल्लेखनीय रही। यह आयोजन केवल उनका व्यक्तिगत प्रयास नहीं, बल्कि पूरे परिवार की सामाजिक चेतना और धार्मिक श्रद्धा का परिणाम था।
सांस्कृतिक रंगत: पवन सिंह से मनोज तिवारी तक
भक्ति रस के साथ-साथ यह आयोजन लोकसंस्कृति और मनोरंजन से भी परिपूर्ण रहा। भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह की संगीत यामिनी ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। साथ ही, 22 जुलाई की रात को सांसद एवं भोजपुरी गायक मनोज तिवारी का कार्यक्रम भक्तों के मनोरंजन और सांस्कृतिक चेतना को और भी ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
संगठनों और सेवाभावियों की सहभागिता
इस आयोजन में केवल तेज प्रताप सिंह ही नहीं, बल्कि कई सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवकों और स्थानीय लोगों ने मिलकर सेवा भावना का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया। मेडिकल कैम्प, ट्रैफिक व्यवस्था, साफ-सफाई और सुरक्षा व्यवस्था को सुचारु बनाना सहज नहीं होता, पर यह कार्य अत्यंत सौहार्द और अनुशासन के साथ संपन्न हुआ।
फुटहीया चौराहे का यह आयोजन केवल एक धार्मिक कांवड़ यात्रा का पड़ाव नहीं रहा, बल्कि यह एक जीवंत सामाजिक प्रयोग बन गया है, जिसमें आस्था, सेवा, संस्कृति और सामाजिक समरसता एक साथ बहती दिखीं। भाजपा नेता तेज प्रताप सिंह का यह प्रयास अन्य जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों के लिए एक प्रेरणा है कि जनसेवा केवल भाषणों या वादों से नहीं, बल्कि कर्म और समर्पण से होती है।
ऐसे आयोजनों की आवश्यकता और सराहना दोनों ही समय की मांग है—जहाँ राजनीति, सेवा, और संस्कृति आपस में विलीन हो जाएं, और समाज को केवल एक नेता नहीं, एक पथदर्शक भी मिले।