“प से पाप, प से पाकिस्तान — क्या नेहरू का स्वयंभू ‘भारत रत्न’ वापस लिया जाना चाहिए?”क्या नेहरू स्वयंभू भारत रत्न थे?

 


“प से पाप, प से पाकिस्तान — क्या नेहरू का ‘भारत रत्न’ वापस लिया जाना चाहिए?”क्या नेहरू स्वयंभू भारत रत्न
थे?

जब इतिहास की दराज़ खोली जाती है, तो कुछ नाम सोने-से  चमकते हैं और कुछ धुंधली परछाइयों की तरह डराते हैं। पाकिस्तान का निर्माण और उससे उपजी विभाजन की त्रासदी ऐसी ही एक परछाई है, और इसके पीछे जिन हाथों की कलम चली, उनमें सबसे प्रमुख थे पंडित जवाहरलाल नेहरू।


प से पाकिस्तान — इतिहास का वह पाप1947 का भारत विभाजन केवल भूगोल का नहीं, आत्मा का भी विभाजन था। लाखों लोग मारे गए, करोड़ों उजड़ गए, बहनों की अस्मतें लुटीं और देश में नफ़रत की लकीर खिंच गई — ये सब एक निर्णय के कारण हुआ: धार्मिक आधार पर देश का बाँटना।

नेहरू सत्ता-साझेदारी में जिन्ना को समायोजित नहीं कर पाए।

सरदार पटेल तक को विभाजन के लिए मजबूर होना पड़ा।


महात्मा गांधी तक आख़िरी वक्त तक "पाकिस्तान न बनने देने" के लिए आमरण अनशन करते रहे, लेकिन नेहरू ने "एक जल्दी प्रधानमंत्री बनने" की भूख में पूरा देश बाँट दिया — यह केवल एक राजनीतिक सौदा नहीं था, यह “प से पाप” था।

वही पाप — आज भी भारत को झेलना पड़ रहा है
पाकिस्तान एक आतंकी फैक्ट्री बन चुका है।
भारत के सैनिक आज भी सीमाओं पर जान दे रहे हैं।


कश्मीर समस्या, बंटवारे की विभीषिका और हिंदू शरणार्थियों की पीड़ा — ये सब विभाजन का जहर आज तक रिस रहा है।

क्या यह सब किसी नासमझी भरे राजनीतिक फैसले का नतीजा नहीं था?
 नेहरू का भारत रत्न — विचारणीय है पंडित नेहरू को 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया — वह भी तब जब वे स्वयं प्रधानमंत्री थे। यानी खुद ही निर्णय लिया, खुद ही सम्मान पाया।भोजपुरी की एक कहावत हे 
"माई द्विया ग्वनहरू बाप पूत  बराती" यह भारत रत्न क्या सच्चे राष्ट्रनिर्माण के लिए था या सत्ता के लिए देश को तोड़ देने की क्षमता के लिए?  क्या भारत रत्न वापस लिया जाना चाहिए यह प्रश्न  केवल नेहरू की आलोचना नहीं है, यह एक वैचारिक आत्ममंथन  भी है। क्या कोई व्यक्ति जो देश के टुकड़े पर सहमत हुआ हो, उसे "भारत रत्न" कहा या दिया  जाए?

क्या विभाजन के कारण लाखों लाशों पर मिली सत्ता, किसी पुरस्कार की हक़दार है?


 भारत रत्न वापस लेना एक संवैधानिक प्रश्न हो सकता है, लेकिन राष्ट्रीय चेतना में इसे पुनर्विचार के लिए प्रस्तुत करना अब आवश्यक है।

"प से पाकिस्तान और प से पाप — जब इतिहास चीख कर बताता है, तब समय की जिम्मेदारी है कि सम्मान भी न्यायपूर्ण हो।
भारत रत्न वही पाए, जिनकी धरोहर केवल सत्ता नहीं, संघर्ष और समर्पण हो — न कि विभाजन।"
वस्तुत:सत्ता की भूख ने जल्दबाजी में पाकिस्तान बनवाया और सस्ती लोकप्रियता ने स्वयंभू भारत रत्न.
राजेंद्र नाथ तिवारी






 

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