यात्रा जरूरी है, मगर सावधानी और जानकारी के साथ.।
शौचालय सीट से भी 40 गुना ज़्यादा गंदे!" आपके शूटकेश
(एक अदृश्य संक्रमण का खुला द्वार)
लेखक: राजेंद्र नाथ तिवारी
यात्रा की चुपचाप फैली गंदगी जब हम किसी हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन या होटल में सूटकेस घसीटते हैं, तो हमारा ध्यान केवल उसकी मज़बूती और स्टाइल पर होता है। परंतु एक हालिया अध्ययन ने चौंका देने वाला खुलासा किया है – हमारे सूटकेस के पहिए शौचालय की सीट से 40 गुना ज़्यादा गंदे होते हैं।
यह एक ऐसा सच है जिसे जानने के बाद, अगली बार सूटकेस घर के अंदर लाने से पहले हम शायद दो बार सोचें।
क्या कहता है शोध? यह अध्ययन लंदन की एक माइक्रोबायोलॉजिकल लैब द्वारा किया गया। वैज्ञानिकों ने हवाई अड्डों पर यात्रियों के सूटकेस के पहियों और निचले हिस्सों से सैंपल लिए, और परिणाम चौंकाने वाले थे:
प्रत्येक पहिए पर औसतन 400 जीवाणु (बैक्टीरिया) पाए गए।
वहीं सामान्य शौचालय सीट पर मात्र 10 बैक्टीरिया होते हैं।
इसके अलावा, ट्रॉली हैंडल पर भी औसतन 280 बैक्टीरिया पाए गए।
यह गंदगी आती कहाँ से है?
सूटकेस यात्रा के दौरान तमाम सतहों से होकर गुजरते हैं:
एयरपोर्ट की गंदगी भरी ज़मीन,
सार्वजनिक टॉयलेट के फर्श,
बस स्टैंड, रेलवे प्लेटफार्म,
होटल की लॉबी और पार्किंग एरिया,
और ना जाने किन-किन जगहों पर।
हर बार जब ये पहिए ज़मीन पर घूमते हैं, ये वायरस, फंगस, बैक्टीरिया और धूल-मिट्टी को साथ लेकर चलते हैं। और जब हम इन्हें घर में लाते हैं, तो ये सारी गंदगी सीधे हमारे फर्श, बेड, दीवारों और बच्चों के खेलने की जगह तक पहुँच जाती है।
स्वास्थ्य के लिए खतरा माइक्रोबायोलॉजिस्ट के अनुसार, सूटकेस के पहिए और हैंडल पर जो बैक्टीरिया पाए गए, वे खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning), त्वचा संक्रमण, फेफड़ों के रोग और पाचन संबंधी बीमारियों से जुड़े हैं।
खासकर बच्चे, बुज़ुर्ग और बीमार लोगों के लिए यह एक संक्रमण का बड़ा स्रोत बन सकता है।
क्या करें? समाधान क्या है?
1. घर में घुसने से पहले पहियों को साफ करें – गीले कपड़े या सैनिटाइजर से पोछें।
2. सूटकेस को कभी बिस्तर या खाने की जगह के पास न रखें।
3. हैंडल भी सैनिटाइज करें क्योंकि यही हाथ बार-बार चेहरे तक पहुंचते हैं।
4. सूटकेस को खुले स्थान या बालकनी में कुछ देर रखें ताकि उसमें लगी धूल और रोगाणु सूखकर निष्क्रिय हो सकें।
5. यात्रा से लौटकर हाथ धोना और कपड़े बदलना जरूरी है।
उपचार हम अक्सर सफाई की बात सिर्फ शौचालय, किचन या हाथों तक सीमित रखते हैं, लेकिन सफर से लौटते समय जो सामान हमारे साथ आता है, वह संक्रमण का मौन वाहक बन सकता है।
(एक अदृश्य संक्रमण का खुला द्वार)
लेखक: राजेंद्र नाथ तिवारी
यात्रा की चुपचाप फैली गंदगी जब हम किसी हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन या होटल में सूटकेस घसीटते हैं, तो हमारा ध्यान केवल उसकी मज़बूती और स्टाइल पर होता है। परंतु एक हालिया अध्ययन ने चौंका देने वाला खुलासा किया है – हमारे सूटकेस के पहिए शौचालय की सीट से 40 गुना ज़्यादा गंदे होते हैं।
यह एक ऐसा सच है जिसे जानने के बाद, अगली बार सूटकेस घर के अंदर लाने से पहले हम शायद दो बार सोचें।
क्या कहता है शोध? यह अध्ययन लंदन की एक माइक्रोबायोलॉजिकल लैब द्वारा किया गया। वैज्ञानिकों ने हवाई अड्डों पर यात्रियों के सूटकेस के पहियों और निचले हिस्सों से सैंपल लिए, और परिणाम चौंकाने वाले थे:
प्रत्येक पहिए पर औसतन 400 जीवाणु (बैक्टीरिया) पाए गए।
वहीं सामान्य शौचालय सीट पर मात्र 10 बैक्टीरिया होते हैं।
इसके अलावा, ट्रॉली हैंडल पर भी औसतन 280 बैक्टीरिया पाए गए।
यह गंदगी आती कहाँ से है?
सूटकेस यात्रा के दौरान तमाम सतहों से होकर गुजरते हैं:
एयरपोर्ट की गंदगी भरी ज़मीन,
सार्वजनिक टॉयलेट के फर्श,
बस स्टैंड, रेलवे प्लेटफार्म,
होटल की लॉबी और पार्किंग एरिया,
और ना जाने किन-किन जगहों पर।
हर बार जब ये पहिए ज़मीन पर घूमते हैं, ये वायरस, फंगस, बैक्टीरिया और धूल-मिट्टी को साथ लेकर चलते हैं। और जब हम इन्हें घर में लाते हैं, तो ये सारी गंदगी सीधे हमारे फर्श, बेड, दीवारों और बच्चों के खेलने की जगह तक पहुँच जाती है।
स्वास्थ्य के लिए खतरा माइक्रोबायोलॉजिस्ट के अनुसार, सूटकेस के पहिए और हैंडल पर जो बैक्टीरिया पाए गए, वे खाद्य विषाक्तता (Food Poisoning), त्वचा संक्रमण, फेफड़ों के रोग और पाचन संबंधी बीमारियों से जुड़े हैं।
खासकर बच्चे, बुज़ुर्ग और बीमार लोगों के लिए यह एक संक्रमण का बड़ा स्रोत बन सकता है।
क्या करें? समाधान क्या है?
1. घर में घुसने से पहले पहियों को साफ करें – गीले कपड़े या सैनिटाइजर से पोछें।
2. सूटकेस को कभी बिस्तर या खाने की जगह के पास न रखें।
3. हैंडल भी सैनिटाइज करें क्योंकि यही हाथ बार-बार चेहरे तक पहुंचते हैं।
4. सूटकेस को खुले स्थान या बालकनी में कुछ देर रखें ताकि उसमें लगी धूल और रोगाणु सूखकर निष्क्रिय हो सकें।
5. यात्रा से लौटकर हाथ धोना और कपड़े बदलना जरूरी है।
उपचार हम अक्सर सफाई की बात सिर्फ शौचालय, किचन या हाथों तक सीमित रखते हैं, लेकिन सफर से लौटते समय जो सामान हमारे साथ आता है, वह संक्रमण का मौन वाहक बन सकता है।
अब वक्त है कि हम केवल दिखावे की सफाई नहीं, वास्तविक, वैज्ञानिक सफाई को अपनाएं।