यह खबर विचलित कर रही है, एक होनहार सफ़ल बेटी ने नौकरी छोड़ दी,
में समझ सकता हूं जब सिस्टम में कीड़े पड़ जाए तो साफ छवि और ईमानदार चरित्र को नौकरी करने पर बने रहने के लिए कैसे कैसे दबाव बनते है,
जब अधिकारी सिस्टम कहे आप हमारी बात माने और अपने घर बदलाव करें वर्ना , बस तभी संस्कारों पर दबाव स्वीकार नहीं होता,
ऐसा फैसला इंसान तभी लेता है क्योंकि ईमानदार बदनामी से डरता है उसके सामने एक ही रास्ता होता कम खा लूंगा पर गलत नहीं करूंगा
ऐसा फैसला तभी लिया जाता है,वर्ना संपूर्ण उत्तराखंड को खुश कर देने वाली खबर की उत्तराखंड की बेटी बनी आई पी एस पहले दिन बेटी और बेटी का परिवार कितना खुश रहा होगा
आज यह खबर की नौकरी छोड़ दी विचलित तो करेगी, ऐसे हालातों में अब भी उत्तराखंड के लोगों की आंखें नहीं खुलेगी तो क्या कहना कितना मुश्किल है गैर उत्तराखंडी कब्जा कर राज्य को बर्बाद कर रहे है जो साथ न दे सवाल करे उस के साथ ऐसा सलूक की वह नौकरी छोड़ ने को मजबूर, जो नागरिक बोले मुकदमा, जेल, हद हो गई भ्रष्ट भाजपा की, लुट लिया सब कुछ, इस बिटिया का इस्तीफा मंजूर नहीं होना चाहिए