यदि बहोरी में विषधर बैठा हो ,तो किसी दुश्मन की क्या जरूरत??

अभी पाकिस्तान के किसी चैनल की  एक खबर का कुछ हिस्सा सोशल मीडिया पर किसीने भेजा,जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान के पैरोकार भारत में बहुत हैं,उसमे  नाम लिया गया  राहुल,अखिलेश,अरुंधति रॉय,ममता बनर्जी, सहित कई नाम गिनाए. अर्थात महाभारत के शल्य की भूमिका  में इन नामो की चर्चा माने रखती है.
ये लोग चाहते हैं कि मोदी लड़ाई का आदेश दे और हम, जाति गड़ना, वक्फ विल को ले सड़क पर जाय.देस ओर मोदी को अस्थिर करें. पर मोदी छटा ईमानदार और वास्तविक कौटिल्य का उत्तराधिकारी निकला. 
 उनके विचार देखिए पाकिस्तान पर भारत जल्द से जल्द हमले करे, चाहे तैयारी ठीक से हो या न हो, इसके पीछे ओवैसी, अब्दुल्ला, राहुल, अखिलेश सब लगे हुए हैं। उसी के साथ इन लोगों ने वक़्फ़ क़ानून के विरोध में जेहादियों को सड़क पर उतारने का प्लान भी बना लिया था। कांग्रेस की पूरी योजना थी कि उधर मुसलमानों को वक़्फ़ के नाम लड़की सड़क पर लाएंगे और हिंदुओं को ऐन युद्ध के समय उनके फाल्ट लाइन को उभारकर लाएंगे। उसके लिए कोई बहुत बड़ा नैरेटिव नहीं खड़ा करना है, केवल दुष्प्रचार करना है कि युद्ध में तो केवल फला फला जाति के सैनिक ही वास्तव में भाग ले रहे हैं। युद्ध होगा तो डैमेज दोनों पार्टी को होनी है, इसलिए सरकार ने एकदम सही समय पर चौतरफा वार किया हुआ है।

इसके अंर्तगत उत्तर प्रदेश नेपाल सीमा पर जेहादियों द्वारा बनाये गए सैकड़ों टैक्टिकल अवैध कब्ज़े हटाए जा रहे हैं, मुंबई में जिस जगह को पिछले 40 साल ले कोई ख़ाली नहीं करा पाया, उसे भी खाली कराया जा रहा है, अहमदाबाद में भी वहीं तेवर है। पाकिस्तानियों को भगाया जा रहा है जो कि जासूसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सैन्य तैयारी पूरे जोरों पर है। जातिगत फाल्टलाइन ही एकमात्र बिंदु था जिसे उभारने की उम्मीद लगाकर राहुल गांधी एंड गैंग सरकार को बिना तैयारी युद्ध में झोकने का दबाव बना रहे थे, उसे भी सरकार ने तुरंत बिना किसी देरी के हैंडल किया है। सरकार फिलहाल कोई भी फाल्ट लाइन नहीं छोड़ने वाली।

यह बात कभी मत भूलिए कि पहलगाम की घटना शुद्ध रूप से अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे डी वांस की उपस्थिति में चीन द्वारा इसलिए रची गई थी कि वांस की उपस्थिति को कमतर किया जा सके और भारत को युद्ध में उलझा कर टैरिफ़ वार के कारण उसके यहाँ से जो कम्पनियों की संभावित वापसी भारत की तरफ़ है, उसे रोका जा सके। राहुल गांधी का हर काम पहले से ऐसा रहा है जैसे वह चीन के एजेंट हों। राजीव गांधी फ़ाउनडेशन समेत कांग्रेस पार्टी का चीन के कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ाव बहुत पुराना है।

चीन इस इंतज़ार में है कि भारत किसी प्रकार सीमा पर अपने भूमि में युद्ध में बिना तैयारी के उलझे और इधर मौक़ा पाकर वह कांग्रेस और जेहादी ताकतों को एक्टिवेट कर भारत के अस्थिरता लाए। कांग्रेस को इससे यह फ़ायदा होगा कि भले देश चार सदी पीछे चला जाये लेकिन इससे उसके लिए सत्ता का रास्ता खुल सकता है।


लेकिन फ़िलहाल सरकार अत्यधिक सतर्क और सक्रिय है। वह वो प्रत्येक काम करेगी जो भारत को मातृभूमि पुण्यभूमि मानने वाले समाज, समूह और व्यक्ति के लिए दूरदृष्टि से आवश्यक है।

राजेंद्र नाथ

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