जिस कांग्रेस को लाल बहादुर शास्त्री पूर्व प्रधानमंत्री का नाम नहीं पचपा रहा,उसे जनता क्यों पचाए?

 बस्ती, उत्तरप्रदेश 


कहने को तो नाम है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,पर आप उसका प्रासंगिक नाम है  भागती  राष्ट्रीय कांग्रेस!

वस्तुत:यह क्यू सत्य है कांग्रेस की वैचारिक खरही खर खरा कर गिरती ती जारही है  बताते हैं गत दिनों कांग्रेस ने बस्ती में दो कार्यक्रम राष्ट्रीय निर्देश पर किया,एक गांधी नेहरू परिवार को नेशनल हेराल्ड मामले में चार्जशीटेड होने पर दूसरा राहुल नेहरू गांधी के हाथ में जो लाल किताब संविधान रूपी है उनके हाथ से छुटने न पाए इसलिए संविधान बचाओ अभियान.


यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बस्ती में संविधान बचाओ कार्यक्रम बस्ती क्लब में आयोजित हुआ,आज कल उस स्थान को प्रायः अटल आडिटोरियम नाम से सम्मान मिलता है.अटल बिहारी बाजपेई नेहरू गांधी परिवार के स्वाभाविक विरोधी थे,इसलिए स्थान का नाम बस्ती क्लब का मैदान समझ में आता है,पर शास्त्री चौक  जो देशके सबसे सम्मानित प्रधान मंत्रियों में एक लालबहादुर शास्त्री के नाम पर सुविख्यात व उनकी आदम कद प्रतिमा स्थापित है,वह से कांग्रेस का एक आंदोलन आयकर विभाग बस्ती तक आयकर अधिकारी को ज्ञापन देने हेतु कांग्रेसी जनमानस इकट्ठा होने के लिए एक बैनर स्थान साथ पर  टंगा,जिसपर लिखा शास्त्री चौक न लिख कर झंडा चौराहा लिखा गया.जो कांग्रेस की शास्त्री विरोधी दुर्नीति और नियति का पता चलता है.अर्थात कांगरेस पार्टी गांधी नेहरू परिवार के आगे किसी को भी सम्मान देना नहीं चाहती, चाहे उन्हीं का प्रधान मंत्री ही क्यों न हो.

कितनी निम्न सोच के साथ  कांग्रेस दुनिया की सभी बड़ी पार्टी से लड़ने का दिवास्वप्न देख रही है.अभी उनका जिला अध्यक्ष ज्ञानेंद्र पांडे नामक युवा तेज ओर कांग्रेसी वैचारिकी के समर्पित को हटा कर एक ऐसे युवा को जिला ध्यक्ष घोषित किया जो अपने परिचय का ही मोहताज है. ऐसी विकलांग विचार धारा ओर विकलांग सोच के पाप तले धंसती कांग्रेस  आखिर कैसे जीवंत होगी? जिसे शास्त्री के नाम न लेने पड़े का बहाना ढूंढना पड़े उसके दुर्भाग्य पीछा कैसे और क्यों छोड़ेगा?उनके पोस्टर पर भी  कांग्रेस की सतही मानसिकता का द्योतक है.

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