कर्तव्य बोध,दायित्व बोध और दिशा बोध कराती डायनमिक डीएम


कर्तव्य बोध,दायित्व बोध और दिशा बोध कराती डायनमिक डीएम


 डॉ हीरालाल  जी  IAS बस्ती जनपद के एक सामान्य कुलीन परिवार से निकल कर उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठतम कुर्सी को हासिल करने वाले एक यशस्वी , मेधावी,साहित्यिक और प्रशासनिक क्षमता और दक्षता से पूर्ण परिश्रमश्रयी  प्रशासनिक अधिकारी हैं .उनकी पुस्तक  , जिसका नाम है "डायनेमिकसी डी एम."

 वस्तुत: यह पुस्तक एक प्रशासनिक अधिकारी के चाल, चरित्र और चेहरे को  भी प्रकट करती है .प्रशासन करना तो आसान है लेकिन  प्रशासनिक अनुभूति को लिपिबद्ध करना एक कठिन तो नहीं पर भगीरथ  प्रयास से कम नहीं. उनका जैसा नाम वैसा उनका व्यक्तित्व (काम )

संप्रति उत्तर प्रदेश सरकार में आयुक्त और एक निबंध सहकारी समितियां उत्तर प्रदेश के दायित्व का पदभारआसीन  हीरालाल जी खेती किसानी और कृषिजन्य समस्याओं के समाधान के विशेषज्ञता परिपूर्ण हैं.स्वाध्याय और सहजता के धनी भी हैं हीरालाल जी. एक किसान परिवार से निकल कर देश की एकमात्र प्रतिष्ठित  संस्था का अंग बनना बस्ती के लिए  गौरव का विषय है, अभी तक जब 100 साल पहले काशी से चलकर बस्ती आए वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र ने यह लिख दिया हो यदि "इसको बस्ती कहूं तो काको कहूं  उजाड़."

 ऐसा लगता है डायनेमिक डीएम का लेखक  का संदेश डाउन टू अर्थ  की भूमिका निर्माण करता है. इनके लेखन की  विषय वस्तु ,ग्राम जीवन, वैवाहिक जीवन और सामाजिक समस्याओं से सरोकार इंगित करते हैं की सीडायनमिक  डीएम पुस्तक को लोक प्रशस्ति  मिलनी चाहिए. लेखक ने बिनपानी  सब सून,पानी की समस्या को लेकर बांदा के कलेक्टर के रूप में श्लाघनीय भावना से किया गया कार्य,लोक समाधान ,लोकसभा के चुनाव में महती    भूमिका ,खेल, जेल सुधार अभियान ,वृक्षारोपण ,प्रकृति और पुरुष का तादात्म्य, योग: कर्मषु कौशलम योग को महत्व ,किसानो की दशा और दिशा के प्रति सार्थक पहल ,प्लास्टिक का मुद्दा ,नेकी की दीवार, बांदा जनपद को पर्यटन के नक्शे पर स्थापित करना, नारी शक्ति के विकास में या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता का विषय  महत्व पूर्ण परिणति ,सरकारी योजनाओं के अनुसार मॉडल गांव स्थापित  करना, घटित घटनाओं का  सार्थक समाधानपूर्ण समन्वयात्मक समाधान, अपने कार्य से आत्म संतुष्टि ,आत्म अवलोकन, सतत प्रयत्न ,आत्म चिंतन और भगवत प्रार्थना के प्रति अगाध श्रद्धा, जिसकी परिणति एक अच्छे कलेक्टर के रूप में या जनप्रतिनिधियों का परस्पर कोऑर्डिनेशन और उनके साथ -साथ संबंध . जो मिला वह उन्हीं का हो गया पुस्तक में अभिप्रेत है कि देश में पीएम और सीएम और  डीएम के तीन मुख्य दायित्व हैं.

 सीडायनमिक डीएमसी के लेखक ने पीएम, सीएम,डीएम  को पद बताया है .अच्छा होता जब उसे लेखक दायित्व नाम दे दिए होते .पद अहंकार को जन्म देता है और दायित्व गांभीर्य को. इसीलिए दायित्वधारियों को हमेशा यह विचार करना चाहिए कि ,"फर्स्ट पर्सन सिंगुलर नंबर" यही अच्छे पदाधिकारी का अधिकारी या जनप्रतिनिधि का लक्षण है .

लेखक का कलेक्टर के रूप में अनुभव बेहद जमीनी है .कभी भी अहंकार को उन्होंने अपने जीवन में आने नहीं दिया इसलिए कहा जाता है कि गति के जीवन में सादगी सदस्यता और समर्पण की भावना अगर है तो अच्छा प्रशंसक है जो प्रशासक जनता को देखकर डर से काट खाता हो चर्चा तो उसकी भी होती है और कोई उसे अच्छा नहीं मानता और लेखक को आज भी उनके कार्य क्षेत्र के लोग बेहतर प्रशासक के रूप में याद करते हैं और बातें l डायनेमिक डीएम का लेखक धनात्मक सोच का धनी है नैतिकता पप्रत्युत्पन्नमति और आदत का स्वागत करने की भारतीय मनीषा का समर्थन है. विचार और विश्वास से परस्पर समन्वय स्थापित करते हुए छोटे, बड़े सबको  सबका साथ,सबका विश्वाश और सबका विकास प्रधानमंत्री का मूल कर्तव्य भाव इन्हें प्रिय है.

यथा योग्य को सम्मानऔर उपयुक्त का समाधान पुस्तक की वैचारिकी है . हमारे अभिमत  से,पैसा, पावर और सत्ता का नशा लेखक को छू तक नहीं पाया है अन्यथा एक गांव का आदमी लखनऊ दिल्ली जैसे शहर को देखने के बाद भारतेंदु हरिश्चंद्र के उजाड़ बस्ती की तरफ फिर दोबारा मुंह नहीं करता. यह हीरालाल  जी का ही प्रेजेंट्स ऑफ माइंड है कि वह आज भी जमीन से जुड़े हुए हैं .

यह पुस्तक आज के प्रशासनिक दायित्व धारी युवाओं के लिए पाथेय और मिल  का पत्थर से कम नहीं है. लेखक ने बड़े बड़ी तर्कशीलता और लगन से पुस्तक का संपादन कर ,व्यस्त समय से लेकर सौम्यता पर  संपादन  का माननीय कार्य किया है .उच्च स्तरीय लेखन की सामग्री, जमीनी समस्याओं का सतही समाधान ,प्रशासनिक दक्षता,   सामाजिक समरसता, समाजिक न्याय और सामाजिक सद्भाव के प्रति मन वचन कर्म से समर्पित लेखक श्री हीरालाल जी को उनका लेखन महान विद्वत जनों की कतार  में खड़ी  करती है.

  संदेश, पुस्तक के लेखक ने आसेतु हिमालय इकट्ठा करके अपनी मेधा का लेखन  में सम्यक समिति सार्थक समिति प्रतिपादन किया है यह पुस्तक इस और आईपीएस और अन्य सेवा भाव में जुड़े युवाओं के लिए एक करनी है वैचारिकी का काम करेगी जहां से उन्हें प्रशासनिक सेवाओं में कर्तव्य निर्वहन में बाधा आए यह पुस्तक हताशा और निराशा में मददगार साबित हो सकती है



जनपद बाँदा में स्टार्टअप इनोवेशन सम्मिट, मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 90 प्लस जागरूकता अभियान, जेल सुधार कार्यक्रम, जल संकट से निपटने के लिए गर्मियों में' कुआँ तालाब बचाओ' अभियान, कुपोषण तथा अन्ना प्रथा को मिटाने व कालिंजर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के साथ-साथ प्रदेश सरकार की योजनाओं, कार्यक्रमों एवं प्राथमिकताओं को सफलतापूर्वक लागू करना, यह कुछ विशेष उपलब्धियाँ और परियोजनाएँ हैं डॉ. हीरा लाल की बाँदा के डी.एम. के रूप में 

इन्होंने स्वयं को एक अधिकारी न मानकर समाज का साधारण सेवक समझते  हुए बाँदा को उच्च प्रतिमानों से संप्रिक्त करने में में अपनी कर्मशीलता, दूरदर्शिता, टीमवर्क और समर्पण का अद्भुत एवं अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है. यदि हर जिले के डी.एम. एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारी इसी कर्तव्य बोध से अपने दायित्व का निर्वहन करें तो कोई कारण नहीं कि भारत का हर गाँव, हर जिला और पूरा देश आवश्यक सुविधाओं से परिपूर्ण होगा.हर भारतीय का जीवन सुखी होगा और भारतवर्ष उन्नति प्रगति की एक नई परिभाषा लिखेगा ,ओर देश,सांस्कृतिक,सामाजिक एवं राष्ट्रीय पुर्जागण  के लक्ष्य को फिर प्राप्त कर सकेगा.पुस्तक स्पष्ट,त्रुटिहीन और सादगी को समर्पित है.

'डायनमिक DM' न केवल एक प्रेरक एवं पठनीय पुस्तक है अपितु समाजोत्थान का एक सशक्त सोपान  भी है। 

पुस्तक दायित्व बोध, कर्तव्य बोध, दिशा बोध के गुरु दायित्व का भान  की कृति है.


राजेंद्र नाथ तिवारी
समीक्षक

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