आखिर पीपल,पाकड़, बरगद से क्यों परहेज कर रही सरकारों और वन, उद्यान विभागों को?

 राजेंद्र  नाथ तिवारी 

भगवान के नाम पर चलने वाली सरकारों को  भी भगवान के वक्तव्यो का ही कोई परवाह नहीं,जा कम के लिए विश्व अरबों लुटा रहा भारत सरकार के मौन से हरित प्रेमी आश्चर्य जनक रूप से स्तब्ध है.श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को कर्मयोग का उपदेश देते हुए कहा था वृक्षानं पीपलोशमी.अर्थात पेड़ो में मैं पीपल हू यानी पीपल हमारे जीवन के पर्यावरण मूलाधार है. सरकारें विश्व बैंक,विश्व स्वास्थ्य संगठन,विश्व जलवायु संघ,भारत की हरित प्राधिकरण किसी को पर्यावरण नहीं सरकार की निगाह में अच्छीकनंबरो की तलाश है.वर् मरे या कन्या नौकरशाही को सरकार से अनावश्य पीठ थपथपाने की आदत सी बन गई है.

पीपल, पाकड़, वरग़द भारत में प्राण वायु केवबृक्ष माने जाते हैं पर सरकारों ने इन वृक्षों को लगाने में कोई रुचि नहीं दिखाई.जो उनकी असंवेदनशील कथ्य व तथ्य को प्रगट करता है.विदेशी पौधों पर करोड़ों खर्च करने वाली सरकारों या विभाग अपना कल्याण तो करते पर देश,समाज ओर संतति का क्या होगा?उत्तर कौन देगा?

.आप को लगेगा अजीब बकवास है, किन्तु यह सत्य है


पिछले 68 सालों में पीपल, बरगद और नीम के पेडों को सरकारी स्तर पर लगाना बन्द किया गया है।

पीपल कार्बन डाई ऑक्साइड का 100% एबजॉर्बर है, बरगद 80% और नीम 75 % ।

इसके बदले लोगों ने विदेशी यूकेलिप्टस को लगाना शुरू कर दिया, जो जमीन को जल विहीन कर देता है...

आज हर जगह यूकेलिप्टस, गुलमोहर और अन्य सजावटी पेड़ो ने ले ली है ।

अब जब वायुमण्डल में रिफ्रेशर ही नहीं रहेगा तो गर्मी तो बढ़ेगी ही, और जब गर्मी बढ़ेगी तो जल भाप बनकर उड़ेगा ही ।

हर 500 मीटर की दूरी पर एक पीपल का पेड़ लगायें,

तो आने वाले कुछ साल भर बाद प्रदूषण मुक्त भारत होगा । 

वैसे आपको एक और जानकारी दे दी जाए ।

पीपल के पत्ते का फलक अधिक और डंठल पतला होता है, जिसकी वजह शांत मौसम में भी पत्ते हिलते रहते हैं और स्वच्छ ऑक्सीजन देते रहते हैं ।

वैसे भी पीपल को वृक्षों का राजा कहते है ।

इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए ।

मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु, सखा शंकरमेवच।

पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम, वृक्षराज नमस्तुते।।

अब करने योग्य कार्य ।

इन जीवनदायी पेड़ों को ज्यादा से ज्यादा लगाने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ायें ।

बाग बगीचे बनाइये, पेड़ पौधे लगाइये, बगीचों को फालतू के खेल का मैदान मत बनाइये.. जैसे मनुष्य को हवा के साथ पानी की जरूरत है, वैसे ही पेड़ पौधों को भी हवा के साथ पानी की जरूरत है ।

बरगद एक लगाइये, पीपल रोपें पाँच।

घर घर नीम लगाइये, यही पुरातन साँच।।

यही पुरातन साँच, आज सब मान रहे हैं।

भाग जाय प्रदूषण सभी अब जान रहे हैं ।।

विश्वताप मिट जाये, होय हर जन मन गदगद।

धरती पर त्रिदेव हैं, नीम पीपल और बरगद।।

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