योगी जी!गोंडा की तर्ज पर बस्ती सहित सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश को खड़ाऊ राज से मुक्ति दिलाए

 श्री राम के प्रतिनिधि भरत ने खड़ाऊ राज का प्रचलन चालू किया था .यह तब चालू किया गया था जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम वन गमन से वापस नहीं आए थे. राम के प्रतिनिधि के रूप में उन्होंने उनका खड़ाऊ अपने अनुज भक्तशील भरत को दिया था और भक्तशील भरत ने उस खड़ाटूट को बड़ी ईमानदारी से 14 वर्ष तक निर्वाह किया.तब से खड़ाऊ कल्चर ने गलत धारणा के साथ रूप ले लिया है .


आए दिन यह समस्या आती है एमपी ,एमएलए और ब्लॉक प्रमुख, प्रधान सारे लोग अपनी शक्ति से ज्यादा रुपए खर्च करके वह पद हासिल करते हैं .हासिल करने के बाद राजा हरिश्चंद्र भी दो-चार महीना में उनके सामने फेल हो जाते हैं ,परंतु जैसे विभागीय स्वाद मिलने लगता हैं वैसे-वैसे हरिश्चंद्र बेईमान और हम ईमानदार प्रासंगिक हो जाता है .ऐसा कोई जनपद नहीं है जहां प्रतिनिधियों का बोलबाला न हो. उनकी की जगह पर उनका प्रतिनिधि एमपी की जगह पर उनका प्रतिनिधि, ब्लॉक प्रमुख की जगह पर उनका प्रतिनिधि प्रधान की जगह पर उनका प्रतिनिधि आखिर जब प्रतिनिधि भेजना है तो वह चुनाव क्यों लड़ें .एक प्रस्ताव की चर्चा हो रही है लगातार 10 बार तक जो प्रतिनिधि भेजेगा उसकी सदस्यता या उसका चुनाव भी निरस्त कर दिया जाना चाहिए. बस्ती जनपद में आम बात हो गई है असली और नकली प्रमुखों के इतनी भरमार हो गई है कि कुकरमुता भी फेल हो गया है.

असली कौन है और न.कली कौन है माल्थस थिअरी है खोटा सिक्का अच्छे सिक्के को चलन से बाहर कर देता है अब आपको गोंडा जिले का हाल बताते हैं वहां के सुयोग्य जिलाधिकारी ने खड़ाऊ राज पर प्रतिबंध लगा दिया है .उन्होंने कहा है कि अगर कोई प्रतिनिधि बैठकों में आकर के हस्तक्षेप करता है तो उसके खिलाफ सुसंगत धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई जाए .विशेष कर क्षेत्र पंचायत ,ग्राम पंचायत और ब्लॉक प्रमुखों के स्थान पर उनके प्रतिनिधियों के दखल की नाराजगी जताई है. डीएम ने कहा है कि निर्वाचित सदस्यों के स्थान पर होते हैं उनके प्रतिनिधि स्थानीय स्तर पर दबाव बनाते हैं .कई ब्लॉकों में सरकारी राजकाज प्रभावित होता है. डीएम ने चेतावनी दी है कि ऐसे जनप्रतिनिधि तत्काल अपनी गतिविधियों पर लगाम लगाएं .

अगर कोई भी प्रतिनिधि ब्लॉक स्तर या जिला स्तर की बैठकों में प्रतिभाग करता पाया जाएगा तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी .डीएमके इस फरमान से एक असली और नकली प्रतिनिधियों में असमंजस मच गई है. जिले के कई ब्लॉक व ग्राम पंचायत ऐसी हैं जहां आज भी खड़ाऊ राज बस्ती में भी चल रहा है.

सामंती सोच रखने वाले प्रतिनिधि निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के स्थान पर खुद सारा काम देखते हैं. ऐसे में जनता ने अपना जिसे नुमाइंदा चुना है वह नहीं मिल पाता यह कथित प्रतिनिधि सरकारी बैठकों में शामिल होते हैंऔर यह शिकायत पूरे उत्तर प्रदेश में में आम है .

कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर के कहा है कि नकली असली का भेद करें. नहीं तो यह परिणाम घातक हो सकता है .करें कोई भरे कोई का सिद्धांत न चले तो ज्यादा अच्छा है. यदि किसी कार्यालय में कोई प्रतिनिधि सरकारी कार्यों में हस्तक्षेप करता है या कराता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए जिलाधिकारी गोंडा ने निर्देश दे दिया है.

क्या बस्ती जिला अधिकारी भी या उत्तर प्रदेश के जिलाधिकारी भी गोंडा के खड़ाऊ राज के तर्ज पर उसके खत्म के लिए कोई प्रयास और पहल करेंगे ?अगर करते हैं कि योगीराज में शुचित्रा का नया अध्याय लिखा जाएगा और करें कोई भरे कोई के सिद्धांत से असली नकली की मुक्ति मिल जाएगी.

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