जीतेगी भाजपा !जीतेगा देश!!

 कोई पार्टी चुनाव कैसे जीतती है उसके पास मतदाताओं के लिए अच्छी नीतियों व योजनाओं पर वोटरों का उसपर भरोसा है कि नहीं, लोगों में यह विश्वास होना चाहिए कि अगर वह पार्टी सरकार बनती है तो जनहित में तमाम काम करेंगी ,उस दल के पास ऐसा बड़ा चेहरा होना चाहिए जिसकी जनता के बीच स्वीकार्यता हो और सबसे बड़ी बात तो मतदाताओं को विश्वाश की गारंटी में भरोसा हो .

क्या इन सभी पैमानों पर आज आपको विपक्ष एका हुआ दिख रहा है ?निष्पक्ष आकलन करें तो यही दिखता है कि इस चुनाव में इंडि समूह भाजपा के मुकाबले टिमटिमाते दिए की तरह दिख रहा है,सर्वत्र भाजपा ही भाजपा . चाय, चौपाटी , खेत खलिहान, ट्रेन, बस सर्वत्र एक ही नाम पर चर्चा है.एक राजकुमार है जो अभी भी वैचारिकी उसकी समृद्ध नहीं हो पाई है. हर इंडी कुनबा भाजपा से अपना मुकाबला मान रही है. सबका परिणाम व परिणति जनता देख चुकी है. बीजेपी के लहर चल रही है और मोदी की गारंटी पर सबको भरोसा है

विपक्ष का आखिर लोग क्यों विश्वास करें

मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी लगातार सिमट रही है आलम में है कि जिन-जिन राज्य में उसकी सरकार थी वहां भी वह अंतर्द्ववंद से जूझ रही है .कुछ राज्यों में तो उसके अपने सरकार भी गवां बैठी है.

उसके पास न कोई स्पष्ट नीति दिखती है और न कोई नियत. वामो का हाल तो उससे भी बुरा है बंगाल और केरलबनके के गढ़ रहे हैं लेकिन पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने उसे पीछे बैठने को मजबूर कर दिया है. केरल के यूडियफ गठबंधन से उसका कांटे का मुकाबला है. इसलिए वहां इंडि ब्लॉक तो अस्तित्व में नहीं है.बाकी दल भी इससे अलग नहीं है.

बिहार में राजद पर भ्रष्टाचार का ऐसा आरोप चिपका हुआ है कि तेजस्वी यादव को लाख सफाई देने के बाद भी लोग चरा घोटाले को याद दिलाते रहते हैं. उत्तर प्रदेश में विपक्षी एकता समाजवादी पार्टी के भरोसे है.राम मन्दिर आंदोलन को मुस्लिम पक्ष में बाप पुत्र ने कुचलने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

विपक्ष के पास राष्ट्रीय स्तर पर कोई नेता नहीं है वहां ऐसे नेतृत्व का अभाव है जी जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष खड़ा हो सके .लेदे लेकर अगर राहुल गांधी को आगे करने की कोशिश हो रही है लेकिन सोशल मीडिया में उनकी छवि को काफी हद तक खराब कर दिया है .फिर विपक्षी दलों के बारे में यह भी कहा जाता है कि सभी की अपनी अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं ऐसे में जब सभी दलों को गिरी अलग-अलग है तो यह भला एकजुट कैसे होंगे अभी भी कथित एकजुट दिख रही है बहुत प्रभावित नहीं है देश के लोग समझते हैं कि वह दिल क्यों एक साथ आए हैं उनकी एकमात्र मनसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाना है देश के विकास में उनकी कोई मजा मतलब नहीं है इसलिए विपक्षी एकता गठबंधन के दिन अब लग गए.

पूरा विपक्ष ही प्रधान मंत्री पद का दावेदार है.सबको सब पर अविश्वास है.दूसरे चरण का पर्चा बिकना आरंभ होग्याए है,पर पूरा विपक्ष भारतीय जनता पार्टी की व्यूह रचना के आगे नत है.

भाजपा का कहना है देशवको महा शक्ति,विश्वगुरु,पांच ट्रिलियन की अर्थ व्यवस्था,समान नागरिक संहिता,धारा 370,नारी सम्मान और सुरक्षा,बिजली,पानी,खाद,ऊर्जा सौर ऊर्जा, गैस,आयुष्मान कार्ड सहित अनेक नागरिक सुविधाएं चाहिए तो भाजपा को ही वोट दें.

जागरूक और देश के प्रति चिंतित मतदाता का मन पूर्ववत मोदी और भाजपा के ही साथ है. औरों को अपनी पड़ी है और भाजपा को देश और देश की जनता ,उसके सर्वांगीण विकास की पड़ी है.जीतेगी भाजपा जीतेगा देश.


राजेंद्र नाथ तिवारी

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