कशमिरी पंडितो का कहना है श्रीराम का वनवास तो 14 वर्ष बाद समाप्त होगया हमसबका वनवास कब समाप्त होगा।काशमरी इस बात से आशनवित है उन्हें जल्दी धर वापसी मिलेगी।हमारा मन
, मस्तिष्क में 1990 की उस काली रात की यादें आज भी ताजा हैं। जब उन्हें न चाहते हुए भी अपनी माटी छोड़कर भागना पड़ा। उस समय जब उनकी पत्नी कालीन समेट रही थी, तब उन्होंने कहा था कि इसे ले जाने की क्या जरूरत है। महीने भर में तो लौट आएंगे। लेकिन वो दिन अभी तक नहीं आया। डबडबाई आंखों के साथ उन्होंने कहा, भगवान राम 14 साल वनवास काट कर अयोध्या लौट आए थे, लेकिन कश्मीरी पंडितों को आज भी उनके वनवास खत्म होने का इंतजार है।
यह पीड़ा अकेले मिस्री की नहीं है। उनके जैसे लाखों कश्मीरी पंडित हैं। देश के कोने-कोने में बसे हैं। अकेले दिल्ली-एनसीआर में दो लाख से ज्यादा विस्थापित हैं। दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-1 के पोंपोश एंक्लेव में भी इनके कई कुनबे रह रहे हैं। गाजियाबाद के शालीमार गार्डेन, रोहिणी, पीतमपुरा, अमर कॉलोनी में भी इनकी अच्छी खासी आबादी है। फरीदाबाद, नोएडा और गुरुग्राम को भी इन विस्थापितों ने अपना घर बना लिया है। इनका कहना है कि वे चाहें जहां भी रहें, उनके दिल में कश्मीर की सुकून देने वाली फिजा और खून-खराबे से पैदा हुई नफरत, हमेशा रहेगी।
'कोशुर' बताती है, अब कैसा है कश्मीर: लाजपत नगर की अमर कॉलोनी में कश्मीर समिति, दिल्ली का कार्यालय है। कई कश्मीरी पंडित यहां पर काम करते हैं। ये सब मिलकर यहां से कश्मीर के हालात पर 'कोशुर समाचार' नाम से पत्रिका भी निकालते हैं। इसी तरह ग्रेटर कैलाश-1 में 'समावार' नाम से सांस्कृतिक क्लब भी बनाया है। यहां हर दिन ये जुटते हैं।
बनाई क्षीर भवानी की प्रतिकृति: शालीमार गार्डेन में कश्मीरी पंडितों ने श्रीनगर में क्षीरभवानी के मंदिर की प्रतिकृति तैयार की है। यह मंदिर कश्मीरी पंडितों की आस्था का केन्द्र है।