धर्म और राष्ट्रीय पर भी खतरा
चंदे की आड़ में फैला कट्टरपंथ का धंधा
कौटिल्य शास्त्री
नेपाल के भीतर नोमैंस लैंड के उस पार धर्मांतरण ओर भारत विरोधी गतिविधियां का धंधा तेजी से चल रहा.अभी लोक सभा 24 के चुनाव के दौरान हरैया पुलिस से कट्टर पंथियों की लक्जरी बस को पकड़ा था,पर किसके दबाव में छूट गया पता की शरणागति नहीं.पूरी नेपाल सीमा मस्जिदों से भारत विरोधियों की शरणागति का स्थान बन गई है.भारत के बिगड़ैल हिन्दू लड़के भी केसिनो के नाम पर अंतराष्ट्रीय षड्यंत्र और मानसिक शोषण के शिकार हो रहे.बढ़नी, टोलियावा,मोहन,कपिलवस्तु, और ककरहवा के रास्ते भारत विरोधी संदिग्ध गतिविधियां चल रही आखिर जिम्मेदार कौन?
नेपाल के भीतर नोमैंस लैंड के उस पार धर्मांतरण ओर भारत विरोधी गतिविधियां का धंधा तेजी से चल रहा.अभी लोक सभा 24 के चुनाव के दौरान हरैया पुलिस से कट्टर पंथियों की लक्जरी बस को पकड़ा था,पर किसके दबाव में छूट गया पता की शरणागति नहीं.पूरी नेपाल सीमा मस्जिदों से भारत विरोधियों की शरणागति का स्थान बन गई है.भारत के बिगड़ैल हिन्दू लड़के भी केसिनो के नाम पर अंतराष्ट्रीय षड्यंत्र और मानसिक शोषण के शिकार हो रहे.बढ़नी, टोलियावा,मोहन,कपिलवस्तु, और ककरहवा के रास्ते भारत विरोधी संदिग्ध गतिविधियां चल रही आखिर जिम्मेदार कौन?
नेपाल के कपिलवस्तु व अन्य सीमावर्ती जिलों में सक्रिय नेपाल जकात फाउंडेशन (एनजेडएफ) की गतिविधियों ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। गरीबों (खासकर मुस्लिमों) के लिए राशन, कपड़ा, शिक्षा, रोजगार, कौशल विकास के नाम पर चंदा जुटा रहा यह संगठन कट्टरपंथी विचारधारा को विस्तार और मजबूती दे रहा है। संस्था प्रमुख भारत विरोधी संगठन इस्लामिक संघ नेपाल (आइएसएन) के अलावा भारतीय मदरसों तथा विदेशी संगठनों से जुड़े हैं। क्षेत्रीय अभिसूचना इकाई की नेपाल बार्डर (एनबी) शाखा ने अधिकारियों को इसकी जानकारी देते हुए संभावित खतरे से आगाह किया है।
खुफिया एजेंसी की गोपनीय रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल 2022 में गठित नेपाल जकात फाउंडेशन शुरू में गरीबों को राहत देने के काम से लोकप्रिय हुआ। अब इसके इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने और भारत विरोधी संगठनों से संबंध की बात सामने आ रही है। फाउंडेशन का अध्यक्ष ताहिर महमूद फलाही उत्तर प्रदेश के एक मदरसे से जुड़ा रहा है, जबकि महासचिव अब्दुल सलाम नेनेपाल में इस्लामिक कट्टरता की जड़ें मजबूत कर रहा जकात फाउंडेशन तुर्की व भारत-विरोधी नेटवर्क से फंडिंग की आशंका, रोहिंग्या को संरक्षणसंस्था की बढ़ती गतिविधियों ने भारतीय खुफिया एजेंसियों की चिंता बढ़ाई
एयरोनाटिकल
हैदराबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। फाउंडेशन के दोनों प्रमुख पदाधिकारियों के संबंध इस्लामिक संघ नेपाल से हैं, जो पहले ही भारत विरोधी विचारधारा फैलाने वाले कार्यक्रमों में सक्रियता के लिए कुख्यात रहा है। आइएनएस की बैठकों में पाकिस्तान, तुर्की और खाड़ी देशों के प्रतिनिधियों की भी नियमित भागीदारी दर्ज की गई है। फाउंडेशन का कार्यालय तौलिहवा, कपिलवस्तु (नेपाल) में है और यह नेपाल के नबील बैंक में खाता खोलकर तथा क्यूआर कोड से माध्यम से चंदा जुटाने में सक्रिय है। खुफिया एजेंसियों, को आशंका है. कि यह रकम केवल मानवीय कार्यों के लिए नहीं, बल्कि वैचारिक कट्टरता और भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल हो रही है।
रोहिंग्या व अवांछनीय तत्वों को दे रहे संरक्षण
एनजेडएफ और आइएनएस द्वारा नेपाल में रोहिंग्या मुसलमानों व अवांछनीय तत्वों को वैचारिक संरक्षण, आर्थिक सहायता देने की आशंका भी रिपोर्ट में जाहिर की गई है। इससे उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्यों में भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ गया है।
एजेंसियों की लापरवाही
खुफिया रिपोर्ट में जताए गए संभावित खतरे को देखते हुए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने नेपाल जकात फाउंडेशन और उससे जुड़े अन्य संगठनों की गतिविधियों की निगरानी शुरू कर दी है। सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन को सतर्क किया गया है। जनजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सतर्क किया जा रहा है ताकि स्थानीय लोग ऐसे संगठनों के प्रभाव से बच सकें
खुफिया एजेंसी की गोपनीय रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल 2022 में गठित नेपाल जकात फाउंडेशन शुरू में गरीबों को राहत देने के काम से लोकप्रिय हुआ। अब इसके इस्लामिक कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने और भारत विरोधी संगठनों से संबंध की बात सामने आ रही है। फाउंडेशन का अध्यक्ष ताहिर महमूद फलाही उत्तर प्रदेश के एक मदरसे से जुड़ा रहा है, जबकि महासचिव अब्दुल सलाम नेनेपाल में इस्लामिक कट्टरता की जड़ें मजबूत कर रहा जकात फाउंडेशन तुर्की व भारत-विरोधी नेटवर्क से फंडिंग की आशंका, रोहिंग्या को संरक्षणसंस्था की बढ़ती गतिविधियों ने भारतीय खुफिया एजेंसियों की चिंता बढ़ाई
एयरोनाटिकल
हैदराबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। फाउंडेशन के दोनों प्रमुख पदाधिकारियों के संबंध इस्लामिक संघ नेपाल से हैं, जो पहले ही भारत विरोधी विचारधारा फैलाने वाले कार्यक्रमों में सक्रियता के लिए कुख्यात रहा है। आइएनएस की बैठकों में पाकिस्तान, तुर्की और खाड़ी देशों के प्रतिनिधियों की भी नियमित भागीदारी दर्ज की गई है। फाउंडेशन का कार्यालय तौलिहवा, कपिलवस्तु (नेपाल) में है और यह नेपाल के नबील बैंक में खाता खोलकर तथा क्यूआर कोड से माध्यम से चंदा जुटाने में सक्रिय है। खुफिया एजेंसियों, को आशंका है. कि यह रकम केवल मानवीय कार्यों के लिए नहीं, बल्कि वैचारिक कट्टरता और भारत विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल हो रही है।
रोहिंग्या व अवांछनीय तत्वों को दे रहे संरक्षण
एनजेडएफ और आइएनएस द्वारा नेपाल में रोहिंग्या मुसलमानों व अवांछनीय तत्वों को वैचारिक संरक्षण, आर्थिक सहायता देने की आशंका भी रिपोर्ट में जाहिर की गई है। इससे उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्यों में भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ गया है।
एजेंसियों की लापरवाही
खुफिया रिपोर्ट में जताए गए संभावित खतरे को देखते हुए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने नेपाल जकात फाउंडेशन और उससे जुड़े अन्य संगठनों की गतिविधियों की निगरानी शुरू कर दी है। सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय प्रशासन को सतर्क किया गया है। जनजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को सतर्क किया जा रहा है ताकि स्थानीय लोग ऐसे संगठनों के प्रभाव से बच सकें
सरकार की सतर्कता के बावजूद सब खेल कैसे ओर क्यों होता है.।