कानपुर के कलक्टर से हार कर भी जीते कानपुर के सीएमओ ,लगाया भ्रष्टाचार का आरोप

 कानपुर में डीएम और सीएमओ की लड़ाई योगी बनाम महाना बन गया?

किसका नैतिक बल मजबूत?



मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ। 

कानपुर में डीएम बनाम सीएमओ की जंग विस्फोटक रूप ले लिया है।अधिकारियों पर फिदा भाजपा जनप्रतिनिधियों के नग्न स्वरूप जिले की राजनीति में वर्चस्व के स्थापित करने के चर्मोत्कर्ष पर है। जिस सीएमओ के पक्ष में विधानसभा अध्यक्ष ने पत्र लिखा उसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सस्पेंड करते हुये कानपुर से हटा दिया।यह लड़ाई अब मुख्यमंत्री बनाम विधानसभा अध्यक्ष बनता जा रहा है। इसके पहले सीएमओ की तरफ से कई ऑडियो और वीडियो वायरल किए गये। जिससे नाराज डीएम ने पिछले दिनों सीएम डैश बोर्ड की बैठक से बाहर कर दिया था।विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, एमएलसी अरुण पाठक और विधायक सुरेंद्र मैथानी ने सीएमओ के समर्थन में उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को पत्र लिखे। इसके विपरीत विधायक अभिजीत सिंह सांगा और विधायक महेश त्रिवेदी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सीएमओ के खिलाफ जांचकर कार्रवाई को मांग की है।सभी विधायक भाजपा के ही हैं।


इस मामले में सपा मुखिया अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा था कि पहले इंजन लड़ते थे, अब तो डिब्बे भी लड़ने लगे हैं। गुरुवार को स्वामी मनोजानंद महाराज उर्फ गूगल गोल्डन बाबा ने डीएम के पक्ष में होर्डिंग लगा दिया। जिसमें लिखा कि कानपुर के अति ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ जिलाधिकारी के सम्मान में संत समाज मैदान में है। उन्होंने बताया कि इस मामले में वह मंडलायुक्त ज्ञापन देंगे। संत समाज मुख्यमंत्री से अच्छे जिलाधिकारी का सम्मान करने और सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेगा"।

सस्पेंड सीएमओ हरिदत्त नेमी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके डीएम जितेंद्र प्रसाद सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाये। उन्होंने अपने निलंबन में दलित एंगल जोड़ते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाने के संकेत दिया। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कवायद तेज कर दी है। सत्ता के गलियारों में इन दिनों यह चर्चा तेज है कि कानपुर के डीएम सही या फिर वहां के पूर्व सीएमओ? दोनों के झगड़े की फाइल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची तो झगड़े पर फुल स्टॉप लगाने का फैसला हुआ। उन्होंने सीएमओ नेमी को सस्पेंड कर दिया गया। कानपुर के डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह यही चाहते थे। इसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा को चिट्ठी भी लिखी थी।


निलंबन का आदेश मिलते ही सीएमओ हरिदत्त नेमी अपने घर पहुंचे। वहां उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाये। उन्होंने कहा कि 20 वर्षों से कानपुर में एक एसीएमओ सुबोध यादव तैनात थे। डीएम साहब चाहते थे कि उन्हें न हटाया जाए, पर ये नियमों के खिलाफ था तो मैंने यादव का तबादला कर दिया। डीएम चाहते थे कि सीबीआई ने जिस कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया है, मैं उसकी मदद करूं। मैंने मना कर दिया। बस यहीं से बात बिगड़ गई। वे चाहते थे कि जे जे फ़ार्मा को मैं 1 करोड़ 60 लाख का भुगतान कर दूं।


हरि दत्त नेमी ने कहा कि दलित होने के कारण उन्हें अपमानित किया जाता था।मुझे कहा गया कि सिस्टम में आओ। तुम्हें पैसा कमाना नहीं आता है। नेमी ने कहा कि जब मुझे बहुत परेशान किया गया तो मैंने सभी सीनियर अफ़सरों से शिकायत की। सीएम से लेकर डिप्टी सीएम तक को पत्र लिखा। लेकिन सजा मुझे ही मिली। ये मेरे साथ अन्याय है।मुझे निलंबन की उम्मीद नहीं थी। मुझे लगा था कि मुझे कहीं दूसरे पद पर भेज दिया जाएगा। अब मेरे पास कोर्ट जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर विपक्ष को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया। वरिष्ठ सपा नेता व अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि योगी सरकार में दलितों पर अत्याचार हो रहा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने तो यहां तक कह दिया कि बीजेपी सरकार घनघोर  दलित विरोधी है। बीजेपी के संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने पार्टी नेताओं को इस झगड़े से दूर रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि इससे पार्टी की किरकिरी हो रही है। लेकिन कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने दलित डॉक्टर के निलंबन के बहाने आंदोलन करने का ऐलान कर दिया है।

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