लखनऊ,
जिस तरह से जिस तरह से मां-बाप की संभावनाओं और सपनों को साकार करने के लिए राजस्थानके कोटा शहर कोटा कोशैक्षिक केंद्र सबके सपनों को बना और बिगाड़ रहा है ,यह चर्चा का विषय है. यह संभावनाओं शहर को मौत का शहर भी है . परंतु आने वाले दिनों में जिस तरह की भयावह स्थिति यहां की पैदा हो रही है, इसके लिए माता-पिता और सरकार को भी ध्यान देना चाहिए इस साल 17 आत्महत्याओ को गले लगा चुका कोटा शहर अपने आप में व्यथा कथा का ज्वलंत साक्षी है.
डीएसपी धर्मवीर सिंह ने बताया कि मृतक छात्र मनजोत छाबड़ा उत्तर प्रदेश के रामपुर का रहने वाला था। उसके पिता का हरजोत सिंह छाबड़ा है, जो मिलक के रहने वाले हैं। 18 वर्षीय मनजोत छाबड़ा नीट की तैयारी कर रहा था। कोटा के एक हॉस्टल में रह रहा था। उन्होंने बताया कि मनजोत छाबड़ा 4 महीने पहले ही कोटा आए थे और हॉस्टल के कमरे में अकेले रहते थे। वह रात करीब 8 बजे वहां से वापस आया था। बुधवार को कोचिंग क्लास अटेंड करने के बाद तब से वहीं था। एक निराशाजनक कहानी कह रहा है.
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