जाते जाते बस्ती नगरपालिका का अद्भुत कारनामा,पहले लोकार्पण बाद में शिलान्याश :हरिओम

 बस्ती, 


अचरज देखना है तो बस्ती तो बस्ती नगर पालिका आइये,!जहां अपने कारनामों के लिए वह निरंतर चर्चा में रही है ,परंतु चर्चा की हद तब हो गयी जब जाते-जाते उसने उद्घाटन को शिलान्यास में बदल दिया । यह दुनिया का पहला अजूबा है जहां पहले उद्घाटन होता है तब शिलान्यासः का काम बस्ती नगर पालिका के ही बस की बात है ।नगरपालिका के अध्यक्ष और उनकी काकस ने जाते-जाते ऐसी अपनी फजीहत करा ली जिसका नाम काले अध्याय में लिखा जाएगा ।

यद्यपि की चेयर पर्सन प्रकारान्तर से कहीं और से गवर्न होती है इसलिए उसका दोष कम है फिर भी जो चेक काटेगा अधिकार ,और अपराध् उसी का माना जाएगा अभी कौटिल्य का भारत समाचार पत्र में 3 दिन पहले वाहन स्थल के नाम पर सांसदों और विधायकों ,सभासदों सबका नाम लेकर के शीलापट्ट लगा था 

खबर छपते ही प्रतिक्रिया यह हो गई कि वहां चर्चा होने लगी कि यह तो शिलान्यास हुआ है लोकार्पण नहीं ।परिणाम होता है सूत्रों के अनुसार लोकार्पण की जगह को लकड़ी के तख्ते से ढक इस इस पाप  को यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि वस्तुतः तकनीकी त्रुटि हुई है ।अगर यह तकनीकी त्रुटि है तो उसके लिए भी कोई जिम्मेदार होगा ।उस व्यक्ति को उस ठेकेदार को उच्च प्रशासनिक अधिकारी को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं जो शिलान्यास और उद्घाटन का अंतर नहीं समझता ।संभवत अपने पाप पर पर्दा डालने के लिए नगर पालिका ने यह कृत्य किया है ।जन चर्चा है कि अगर समाचार पत्र और मीडिया माध्यम नगरपालिका पर पहले ही दबाव बनाए होते तो आज बस्ती नगर के नागरिकों को यह दिन नहीं देखना पड़ता।

विश्वास है कि जिला अधिकारी की अध्यक्षता में बनी कमेटी शुचिता के आधार  नीर क्षीर का विवेचन करते हुए आगे रचनात्मक काम करेगी ।जिससे उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के इस छवि को कोई टिप्पणी न कर सके।


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