बसपा ने विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर को पार्टी से निकाला,
मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ।
बहुजन समाज पार्टी के राज्य यूनिट ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि पार्टी के टिकट से निर्वाचित दो विधायकों (राम अचल राजभर और लालजी वर्मा) को उनके द्वारा पंचायत चुनावों के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण तत्काल प्रभाव से बहुजन सामज पार्टी ने निष्कासित कर दिया गया है। इतना ही नहीं, बसपा ने सभी पदाधिकारियों को यह भी निर्देश दिए हैं कि इन दोनों विधायकों को पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में न बुलाया जाए। इसके साथ ही पार्टी ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को नए विधायक दल का नेता चुना है।
बता दें कि राम अचल राजभार और लालजी वर्मा दोनों बसपा सुप्रीमो मायावती के काफी करीबी थे। दोनों विधायक अम्बेडकरनगर जिले में बसपा कटेहरी एवं अकबरपुर विधानसभा क्षेत्र में काबिज थे, लेकिन पंचायत चुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों एवं उससे पूर्व विभिन्न मौकों पर बरती गई अनुशासनहीनता ने लालजी वर्मा व राम अचल राजभर को बहुजन समाज पार्टी से बाहर होने पर विवश कर दिया। पूर्व मंत्री राम अचल राजभर के विरुद्ध शासन स्तर पर विभिन्न जांचें भी लंबित है।दोनों लोगों से बसपा छुटकारा भी पाना चाहती थी शायद उनके निष्कासन की यह भी बड़ी वजह रही। दोनों बसपा के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे हैं। बसपा के स्थापना के समय से दोनों पार्टी से जुड़े रहे। दोनों नेताओं का बसपा से निष्कासन सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव के पूर्व बसपा में हुये इस घटनाक्रम को राजनीतिक तौर पर बहुत गंभीरता से देखा जा रहा है। नेता विधानमंडल दल की कुर्सी मुस्लिम को सौंप कर मायावती ने भी दलित-मुस्लिम फैक्टर को अमलीजामा दिया है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पूर्व ही आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन असदुद्दीन ओवैसी ने पहले ही यूपी में विधानसभा चुनाव मायावती के साथ मिल कर लड़ने का संकेत दिया है। इस बीच गुरुवार को बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर और दिग्गज नेता लालजी वर्मा को पार्टी ने निष्कासित कर मुस्लिम विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को विधानमंडल दल की कुर्सी पर बैठा दिया।