💐** परिशुद्ध हिन्दू चेतना की राजनीति **💐
*💐-- वर्तमान भाजपा केन्द्र सरकार की नीतियों को लेकर यदि जनता के भीतर २ प्रतिशत लोग भी अतुष्ट हो नए समीकरण और पार्टी के लिए सोचें तो हिन्दू राजनीति को भारी हानि होगी।खराब ग्रह दशा और विपत्ति काल में लिया गया निर्णय प्रतिकूल और विफलतादायी होता है।
वर्तमान परिस्थितियाँ केवल आगे बढ़ने को कहती हैं या घात लगा कर एक लम्बी प्रतीक्षा को साधने के लिए बाध्य करती हैं।
*💐-- परिशुद्ध हिन्दू चेतना की जब हम बात करते हैं तो प्रश्न उठता है क्या अभी तक हिन्दू राजनीतिकी पूर्ण शुद्धि नहीं हुई है? सभी राष्ट्रवादी चिंतक असंतुष्ट हैं हिन्दू राज- नीतिकी चालऔर रीति से।पर ऐसा क्यों हो रहाहै किसके कारण हो रहा है इस पर सब मौन हैं।
*💐-- हिन्दू राजनीति के दो पक्ष हैं१---जो पहले से कांटे पैर में चुभेहैं उनको निकालनाऔर २-नये स्तम्भों को खड़ा करना जो हमारी संस्कृति को थाम कर छत देने वाले हैं।
मोदी जी हिन्दू राजनीति के द्वितीय प्रधानमन्त्री हैं।उनमें पहले प्रधानमन्त्री की अपेक्षा अधिक आवेग और त्वरा है।
उन्होंने अंग्रेजों की ठोकी अनेक कीलों को बाहर निकाल कर फेंक दिया जिससे हिन्दुत्व का शरीर कष्ट मुक्त हुआ।
द्वितीय पक्ष मोदी जी का बहुत कमजोर है।परिशुद्ध हिन्दू नीति को वे कहाँ से लायें जिसे संस्कृति की अट्टालिका पर मणि दीप की तरह जलायें।यही कमी मोदी जी के साथ हमेशा लगी रहेगी।विक्रमादित्य से लेकर राजा भोज तक ने परिशुद्ध हिन्दू राजनीति की समझ के लिए अपनी सभा में चुनिंदा विद्वानों को रखा।इसका शुभ परिणाम धर्म और जनता दोनों को मिला।
*💐-- परिशुद्ध चेतना का एक उदाहरण-- जिसे हम तुष्टि करण कहते हैं वह तुष्टिकरण न होकर मजहबकी पुष्टि है।
अतः परिशुद्ध हिन्दू राजनैतिक चेतना का प्रधानमंत्री वह कहलायेगा जिसमें हिन्दू धर्म को राज संपोषित करने की दृढ़ लालसाऔर कर गुजरने की क्षमता होगी।इससे हिन्दू धर्म अभेद्य बनेगा। यदि कोई यह कहे कि लोकतंत्र में यह सम्भव नहीं है तो उदाहरण देकर केरल,बंगाल आदि के संदर्भ से उससे पूछना होगा कि यह क्या है?यदि यह है तो यह भी होगा।
*💐-- परिशुद्ध हिन्दू राजनीति के जागरण को आरम्भ करना होगा। इसे आरम्भ करने में सहायक अनेक लोग देश में हैं। जो लोग प्रथम पक्ष को जगाये हुए हैं वे अपना काम कर रहे हैं। हिन्दू राजनीति का मन उद्वेलित तो है पर आत्मा अभी भी सोई हुई है।राजनीति कीभी आत्मा होती है जिसे हमें अपनी पृष्ठभूमि से ढूंढ करनए सिरेसे स्थापित करना होगा।यह कैसे होगा इस पर प्रकाश भी डालेंगें और मन्थन भी करायेंगे।
----💐💐*** आज का युवा हिन्दू परिणाम मन लायक चाहता है पर परिश्रम से नहीं लघुवीथि से राजमार्ग को लांघ जाना चाहता है।वनवास,कष्ट और संकटों को झेल कर जो हिन्दू नीति को स्थापित करना चाहता है उसे ज्ञान का अवसर विद्वत परिषद दिलाएगी।जो लोग परिक्रमा से प्राप्त करना चाहते हैं वे ही औंधे मुंह गिरते हैं। उनको हमेशा राजधानी के निकट मंडराते रहना चाहिए।यदि आप श्रेष्ठ हिन्दू नीति की एक झलक देखना चाहते हैं तो आचार्यों के साथ मुद्राराक्षस नाटक पढिये वह भी संस्कृत में हिन्दी अनुवाद के साथ।💐💐***
** क्या आप सभी परिशुद्ध नीति पर अधिकारी विद्वानों को सुनना गुनना चाहेंगे?? **.साभार
अखिल भारतीय विद्वत्परिषद
५ / ५ / २०२१
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