उत्पीड़न पर बढता जा़ रहा पत्रकारों का आक्रोश

 




जौनपुर। 
पत्रकर उत्पीड़न की घटनायंे और उस पर सत्ताधारी दल का सहयोग जहां शर्मनाक है वहीं पुलिस की मनमानी पूर्ण कार्यप्रणाली और
फर्जी मुकदमें में पत्रकार को द्वेषपूर्ण भावना से फर्जी मुकदमा कायम कर जेल भेजे जाने से मीडिया में रोष बढ़ता जा रहा है। पत्रकारों का कहना है कि एक ओर जहां पुलिस की असलियत अपने समाचार पत्र में लिख कर पाठकों के समक्ष उसका असली चेहरा दिखाने वाले सम्पादक अरूण कुमार यादव को मनमानीे तरीके से  मुकदमा कायम कर उन्हे हिरासत में लेकर यातना देना खिसियानी बिल्ली खंभा नोचै की कहावत पुलिस ने चरितार्थ किया। उक्त पत्रकार के साथ पहले भी कई बार पुलिसिया हथकण्डा अपना कर उनपर मुकदमा कायम कर क्षवि खराब करने का प्रयास किया गया। दूसरे मामले में पत्रकार के पुत्र पर दिनदहाड़े जानलेवा हमला कर दुकान से लूटपाट करने और सामानों को क्षतिग्रस्त किया गया और पत्रकारों के दबाव में सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया लेकिन 6 दिन बाद भी हमलावरों को पकड़ने से परहेज किया गया। 
कई संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज होने पर भी पुलिस मेडिकल रिपोर्ट आने की बात कह कर यह साबित कर रही है कि कहीं से दबाव है। चर्चा है कि सत्ताधारी दल के कई नेताओं द्वारा हमलावरों की पैरवी की जा रही है जिससे उनको दबोचने से परहेज किया जा रहा है। पत्रकारों से सम्बन्धित इन दो घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया कि पत्रकार पुलिस के निशाने पर है और उन्हे न्याय पानेे के लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाने मांग करनी पड़ रही है। सपा के कई नेताओं ने कहा कि जब पुलिस पत्रकारों के साथ अन्याय कर रही हे तो आम जनता राम भरोसे है।
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