लखनऊ,उत्तरप्रदेश,12 दिसम्बर 20
उत्तर प्रदेश में डॉक्टरों की कमी से जूझ रही सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहां है कि मेडिकल शिक्षा में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले डॉक्टरों को 10 वर्ष तक सरकारी सर्विस करना अनिवार्य होगा यह निर्णय उस समय आया है जब उत्तर प्रदेश सरकार डॉक्टरों की कमी से भयंकर हो से जूझ रही है और किसी तरह से पैबंद लगाकर के मेडिकल कॉलेजों तक में डॉक्टरों की व्यवस्था की जा रही है ।
उक्त आशय की जानकारी प्रमुख, सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने देते हुए कहा है की सरकारी सेवा में हर छात्र को 10 बरस की सर्विस अनिवार्य होगी ,यदि कोई छात्र सरकारी सेवा से विरत होता है या नहीं करना चाहता है ऐसी स्थिति में उस छात्र को एक करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति देनी। इन्हें तुरंत प्रभाव से लागू माना जाएगा। प्रमुख सचिव स्वास्थ्य उत्तर प्रदेश के आदेश के बाद चिकित्सा सेवा में शिक्षा ग्रहण कर रहे डॉक्टरों के बीच असहमति और सहमति के स्वर उठने लगे हैं कुछ लोगों ने इसको अपने ऊपर अन्याय बताया है और कुछ सकारात्मक सोच वाले विद्यार्थियों ने कहा है कि यह अनिवार्य था बिना दंडात्मक कार्यवाही के कोई गांव में या सरकारी व्यवस्था में नहीं रहेगा ।
अनेक सामाजिक संस्थाओं ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है पूर्वांचल विद्वत परिषद के अध्यक्ष राजेंद्र तिवारी ने कहा है कि सरकार का यह निर्णय बहुत ही सराहनीय और स्वागत योग्य है।
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