किसान आंदोलन के प्रज्ञापराधी

 एनसीआर के आसपास किसान आंदोलन और उसको हवा देने वाले राजनीतिक दलों और राजनीतिक व्यक्तियों के मन में अब आंदोलन के प्रति विश्वास और अविश्वास की खाई बढ़ती जा रही है ।सरकार की ओर से निरंतर सकारात्मक पहल करने के


बावजूद किसान आंदोलन में राजनीति घुस गई है ।राजनीति इस बात की कि किसानों के सम्मान में कौन सबसे ज्यादा रक्तरंजित इतिहास लिख सकता है, इसके लिए काम,वाम,सपा, बसपा,और तथा विभिन्न प्रकार के स्थानीय दल जिसमें आप और शिवसेना भी शामिल है किसानों  के आंदोलन की हवन में अपने हाथ जला रहे है।जलस लिए रहे हैं कि उनके समक्ष एक इतनी बड़ी रेखा है ,जिसका नाम नरेंद्र मोदी ,उस रेखा की बराबरी करने के लिए सब मिलकर के भी नहीं कर सकते ।ऐसी स्थिति में कााा वाम की दुुर्भ भेद का सहारा लेकर किसान आंदोलन को कुछ राजनीतिक दल प्ररकारन्तर से हवा देने का काम कर रहे हैं ।

कईयों ने तो केंद्र सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपने भाषण में अपशकुन तक व्यक्त कर दिया, राजनीति अपनी जगह पर हो सकती है ,जीवन परमात्मा का दिया हुआ है ,वह जब चाहेगा तो वापस ले लेगा,क्या इतना अध:पतन सही है ? लेकिन जिस तरह से किसान आंदोलन के प्लेटफार्म पर अन्नदाता खेतिहर को बदनाम करने के लिए राजनीतिक दल राजनीतिक नेता अनाप-शनाप कर रहे हैं वह एक परिस्थिति को जन्म दे रही है ।

मूल्यों की राजनीति से परे किसान आंदोलन अपने तीन मांगों को लेकर के आप चाहे जो फैसला करें लेकिन  तीनों मांगे आप मानिए इसको लेकर के आंदोलित हैं। कुछ लोगों ने इसमें राजनीति देखी है ,कुछ लोगों ने इस में खालिस्तान की बू देखी है, कुछ लोग इसके वित्तीय व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह उठा रहे हैं ।लेकिन एक बात तो तय है यहां चार हजार से ऊपर गीजर लगे हुए हो ,रात में लंगर के रूप में भरपेट मिठाई और गाजर का हलवा खाने की भी व्यवस्था हो ,जहां किसी भी प्रकार के फाइव स्टार होटल से कम व्यवस्था नहो, उसको आंदोलन आप कैसे कहेंगे ? अन्नदाता किसान और अन्न उत्पादक खेतिहर  अभाव को  स्वभाव मानकर देश में अपने हर परिस्थिति से देश की जनता का पेट भरने के लिए तैयार रहता है ।लेकिन जिस तरह से कनाडा से लेकर के तिरुअनंतपुरम तक और द्वारिका से लेकर के पश्चिम बंगाल तक आंदोलन खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है यह सब कुछ नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी की दोस्ती है अत्यंत  आहत है,आखिर वह आत्म हत्या कब करेगा।देश का आम नागरिक सहमा है ।

मेरा व्यक्तिगत मानना है कि जितने भी राजनीतिक दल चाहे वह कांग्रेस हो चाहे बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी चाहे आप हो या फिर और कोई स्थान हो यह सारे के सारे लोग जानबूझकर समस्या के समाधान न होने देने के लिए पहल कर रहे हैं । एक बात और !इसमें एक वयोवृद्ध नेता जिनका एक अच्छा सा स्थान है उन्होंने भी आग में घी डालने का काम किया है जिनको हम अन्ना हजारे के रूप में जानते हैं।

 अन्ना हजारे वही हैं जिनके आंदोलन में उनके  पीठ पर पैर रखकर केजरीवाल और तमाम लोगों ने दिल्ली की सरकार हथिया लिया और शपथ में उनको बुलाने से परहेज किया। आज उन्हीं अन्ना हजारे का केजरीवाल और किसान प्रेम एक बार फिर उमड़ कर समाज के सामने आ रहा है ।

प्रज्ञापराधी

मेरा व्यक्तिगत मानना है किसान आंदोलन को जानबूझकर समाप्त न होने देने और हवा देने के लिए जो लोग भी जिम्मेदार हैं ,वह प्रज्ञा अपराधी हैं ,प्रज्ञा अपराध होता है कि जो परिणति जानते हैं किसका क्या है लेकिन जानबूझकर जो ढिठाई करते हैं वह प्रज्ञा अपराधी हैं ।मैं किसान आंदोलन से जुड़े हुए सारे नेताओं से और सभी संबंधित पक्षों से निवेदन करूंगा कि हर हालत में नेशन फर्स्ट की बात को स्वीकार करते हुए नरेंद्र मोदी से बातचीत करने के लिए स्वयं पहल करे। आपका  देवता के बाद अगर का स्थान है ।

इस आर्यावर्त में तो किसान का है ।और किसान अगर निराश हो जाएगा तो देश की दशा और दिशा दोनों घबरा जाएगी ऐसी स्थिति में किसानों के साथ राजनीति करने का  प्रयास काम वाम जैसे लोग कर रहे हैं ,वह निंदनीय कृत्य है।

उनको अलग करके और किसान नेताओं को स्वयं आगे आना चाहिए एक बात और राकेश सिंह टिकैत नाम के किसान नेता ने एक जाति विशेष ब्राह्मण पर भी तमाम टिप्पणियां की हैं यह बात सत्य है कि राकेश टिकैत के मन में आंदोलन के प्रति आस्था वह भी और नरेंद्र मोदी के प्रति विश्वास नहीं है परंतु इसका यह मतलब नहीं है कि कोढ़ी  की तरह अपना घर फूकने के लिए राकेश टिकैत तैयार हो जाए इस देश में ब्राह्मणों का योगदान किसी से कम नहीं है उसको अगर कोई ब्राह्मण कोई जाति नहीं है ब्राह्मण एक व्यवस्था है

ब्राह्मण जाति नही धर्म की अस्मिता है 

ब्राह्मण एक धर्म है ब्राह्मण एक कर्म है और जो यह ब्राह्मण को जाति से जोड़ता है उसको यह नहीं पता है कि ब्राह्मण होता क्या है राकेश सिंह टिकैत के पिता महेंद्र सिंह टिकैत स्वयं ब्राह्मणों के प्रति विशेष सम्मान और आदर किया करते थे आज राकेश सिंह टिकैत के मन में पूजा से लेकर के मंदिर तक के प्रति आस्था व्यक्त करना और आंदोलन के प्रति एक विशेष प्रकार की टिप्पणी करना यह किसी भी प्रकार से सही नहीं हो सकती राकेश सिंह टिकैत भी एक तरह के अपराधी हैं सारे किसान प्रजापति हैं जिन्होंने जानबूझकर किसान आंदोलन को बढ़ाने के लिए और देश की अर्थव्यवस्था को खोखला करने के लिए मेरा पूरा विश्वास है अगर इसकी विशेष जांच कराई जाए इसके तार कहीं न कहीं विदेश और खालिस्तान से जुड़े हुए मिलेंगे इसलिए मेरा से आग्रह है कि हर हालत में इस आंदोलन को समाप्त करना चाहिए और किसान नेता ईमानदारी से विचार करके प्रज्ञा अपराधियों से अपने को दूर करते हुए नरेंद्र मोदी के ऊपर विश्वास करते हुए कम से कम 1 साल का समय उन्हें 1 साल का समय कोई बात नहीं होता है आपकी सारी मांगों को मान लेने के बावजूद भी नरेंद्र मोदी का इतना हक है कि आपको प्रति दुलार और प्यार के साथ आपसे निवेदन करें कि बंदना हे कठिन कर्मी कृषक जनकी भू ?

 नेता पर विश्वास करें

आपके साथ हैं आप धन्य हैं और आप अन्नदाता हैं इसलिए मेरा आप सब से आग्रह है कृपया अपराधियों से दूर रहते हुए किसान आंदोलन को फिलहाल स्थगित करते हुए आगे की रणनीति पर विराम लगाते हुए देश समाज और सब प्रकार से सहयोग में आगे आएं किसी भी प्रकार की अव्यवस्था करना कानून को अपने हाथ में लेना टावर और वाहनों को फूंक देना और ट्रेनों को रोक देना यातायात को रोक ना कहीं से भी ऐसी नहीं माना जा सकता इसलिए आवश्यकता इस बात के किसान आंदोलनकारी समझ से काम लें और देश की समाज की दिशा और दशा को समझते हुए उनको नुकसान से बचें और देश के नेता पर विश्वास करना सीखें।

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