वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण सारी दुनिया के हाथ-पैर फूल गए हैं। धरती पर भय और त्रात्रि-त्राहि के हालात बन चुके हैं I तब भारत के लिए एक अवसर बन रहा है। अवसर यह है कि भारत दुनिया का मैन्यूफैक्चरिंग हब बन सकता है । भारत चाहे तो चीन के खिलाफ दुनिया की नफरत का इस्तेमाल अपने लिए एक बड़े आर्थिक अवसर के रूप में कर सकता है। इस बेहतरीन मौके को किसी भी सूरत में भारत को छोड़ना नहीं चाहिए । यह ऐसा वक्त है जब देश के नीति निर्धारकों को बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश आकर्षित करने के उपाय तलाशने होंगे।
पर क्या ये संभव है? असंभव तो दुनिया में कुछ भी नहीं है । पर इसके लिए भारत के सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर हल्ला बोलना होगा। सरकारों को इस दिशा में कठोर कदम उठाने होंगे। काहिल और निकम्मे सरकारी अफसरों पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई करनी होगी । निवेश संबंधी नियमों को सरल और लचीला बनाना होगा। विदेशी निवेशकों का यथोचित सम्मान करना होगा जो हमारे यहां निवेश करने के इरादे से पूंजी लेकर आते हैं। उन्हें सारी सुविधायें मुहैया अक्र्वानी पड़ेगी । उन बाबुओं को प्रोत्साहित भी करना होगा जो श्रेष्ठ कार्य करते हैं।
चीन-जापान से कैसे आए बड़ा निवेश
कोविड-19 के बढ़ते असर के बीच खबरें आ रही हैं कि जापान ने चीन से अपने कारोबार को समेटने की घोषणा भी कर दी है। यही अमेरिका से सैकड़ों कंपनियों ने किया है जो चीन में अभी उद्योग चला रहे हैं । भारत के जापान के साथ बहुत ही मधुर संबंध हैं। जापान भारत में तगड़ा निवेश भी करता है। जापान भारत को भगवान बुद्ध की धरती होने के चलते भी बेहद आदर से देखता है। जापान भारत में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को शुरू करवा रहा है। इस परियोजना को अमली जामा पहनाने के लिए जापान ने भारत के साथ जो समझौता किया है वह भी सिद्ध करता है कि जापान भारत को अपना घनिष्ठ मित्र मानता है। जापान दूसरे देशों को जिस दर पर ऋण देता है उससे काफी कम दर पर भारत को मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परि
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