इंक्वास अवार्ड हेतु रुधौली के लिये कवायद

 


एनक्‍वास अवार्ड के लिए तैयार की जा रही है बघौली पीएचसी


-    दो बार इस ब्‍लाक स्‍तरीय पीएचसी को मिल चुका है कायाकल्‍प अवार्ड


-    त्रिस्‍तरीय मूल्‍यांकन के हिसाब से चल रही है पीएचसी बघौली पर तैयारियां


संतकबीरनगर, 15 जनवरी 2020,


दो बार कायाकल्‍प अवार्ड पाने वाली पीएचसी बघौली को अब एनक्‍वास अवार्ड के लिए तैयार किया जा रहा है। इस अवार्ड के लिए होने वाले त्रिस्‍तरीय मूल्‍यांकन की तैयारियों को अमली जामा पहनाने में जिले के उच्‍चाधिकारियों के साथ ही क्‍वालिटी एश्‍योरेंस मैनेजर तथा अन्‍य स्‍टाफ लगा हुआ है। विभाग की प्रतिबद्धता है कि पीएचसी बघौली को एनक्‍वास अवार्ड दिया जा सके।


जिले के क्‍वालिटी एश्‍योरेंस मैनेजर डॉ अबू बकर बताते हैं कि ब्‍लाक स्‍तरीय पीएचसी बघौली को दो बार कायाकल्‍प अवार्ड मिल चुका है। इस पीएचसी को एनक्‍वास अवार्ड के मानकों के आधार पर तैयार किया जा रहा है। एनक्‍वास अवार्ड की 250 बिन्‍दुओं की चेकलिस्‍ट के हिसाब से सीएचसी के मानक पूरे किए जा रहे हैं। ताकि त्रिस्‍तरीय मूल्‍यांकन में कोई कमी न रह जाए। पहले इसका जिलास्‍तरीय मूल्‍यांकन कराया जाएगा। इसके पश्‍चात रिसर्च इंस्‍टीच्‍यूट के विशेषज्ञों की मदद से राज्‍यस्‍तरीय असेसमेण्‍ट कराया जाएगा। इसके बाद एनक्‍वास के लिए भारत सरकार को भेजा जाएगा। इसकी पूरी तैयारियां की जा रही हैं। 


इस प्रकार की हो रही व्‍यवस्‍था


पीएचसी में मार्ग सूचक, गार्डन सहित विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग रंग के डस्टबिन लगाए गए हैं, ताकि बायोमेडिकल वेस्ट का सही ढंग से निस्तारण हो सके। ओपीडी ब्लॉक, वार्डों में अलग-अलग रंग के डस्टबिन। पार्कों में हरियाली बनाए रखना और डस्टबिन रखना। हर वार्ड के बाहर बोर्ड पर उपस्थित डॉक्टर, स्टाफ, स्वीपर का नाम। आपात स्थित में बाहर निकलने के लिए रास्ता बताती ड्राइंग। दिव्यांगों के लिए पर्याप्त व्हीलचेयर, विशेष शौचालय। ई-उपचार सुविधा को टोकन सिस्टम तक ले जाना। आशा वर्कर्स के लिए हेल्प डेस्क और रिटायरिग एरिया बनाना। अस्पताल की लैब को 24 घंटे सेवा के हिसाब से विकसित करना। मुख्य द्वार पर केटल ट्रैप लगवाना ताकि पशु प्रवेश न कर सकें।


गोरखपुर – बस्‍ती मण्‍डल मे अ‍भी तक एक पुरस्‍कार


जिले के क्‍वालिटी एश्‍योरेंस मैनेजर डॉ अबू बकर बताते हैं कि नेशनल क्‍वालिटी एश्‍योरेंस स्‍टैण्‍डर्ड के तहत अभी तक गोरखपुर और बस्‍ती मण्‍डल में केवल एक पुरस्‍कार प्राप्‍त हुआ है। वह पुरस्‍कार गोरखपुर जनपद की डेरवा पीएचसी को मिला है।


 


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