मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप एक ऐसा नाम है, जिनकी सत्य घटनाओं के साक्ष्य से इतिहास के पन्ने भरे हुए हैं। उन पर बहुत सी फिल्में बनीं, शोध हुए और कई भाषाओं में किताबें भी लिखी गईं। बावजूद आज भी लोग महाराणा प्रताप के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं। आज भी देशवासी महाराणा प्रताप का नाम गर्व से लेते हैं और उनका नाम लेते ही रगों में देशभक्ति और बहादुरी अपने आप दौड़ पड़ती है। हम आपको महाराणा प्रताप के 10 वचन और उनसे जुड़ी 10 दिलचस्प कहानियों के बारे में बता रहे हैं। साथ ही हम आपको हल्दी घाटी में लड़े गए उनके युद्ध और उनके युद्ध के हथियारों से संबंधित रोचक जानकारी भी देंगे।
महाराणा प्रताप, मेवाड़ के 13वें राजपूत राजा थे। उनका जन्म मेवाड़ के शाही राजपूत परिवार में आज ही के दिन, 09 मई 1540 को हुआ था। राजस्थान के कुंभलगढ़ में जन्में महाराणा प्रताप, महाराणा उदयसिंह और महारानी जयवंती की संतान थे। महाराणा प्रताप को जितना उनकी बहादुरी के लिए जाना जाता है, उतनी ही उनकी दरियादिली और प्रजा व राज्य से उनका प्रेम जगजाहिर है। हल्दी घाटी में मुगल शासक अकबर के खिलाफ लड़ा गया उनका युद्ध इतिहास के सबसे चर्चित युद्ध में से है। इस युद्ध में अपनी छोटी सी सेना के साथ, उन्होंने मुगलों की विशाल सेना को नाकों चने चबवा दिए। जंगल में रहकर घास की रोटी खाने का महाराणा प्रताप का किस्सा सबसे ज्यादा लोकप्रिय है।
महाराणा प्रताप के युद्ध हथियार
1. महाराणा प्रताप युद्ध के वक्त हमेशा एक भाला अपने साथ रखते थे, जिसका वजन 81 किलो था। वह इस भाले को एक हाथ से नचाते हुए दुश्मन पर टूट पड़ते थे।
2. युद्ध के वक्त महाराणा प्रताप 72 किलो का कवच पहनते थे।
3. इतिहासकारों के अनुसार महाराणा प्रताप के भाले, कवच, ढाल और दो तलवारों का वजन कुल मिलाकर 208 किलोग्राम होता था।
4. महाराणा प्रताप के हथियार इतिहास के सबसे भारी युद्ध हथियारों में शामिल हैं।
महाराणा प्रतापः परिचय व परिवार
1. महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ में हुआ था।
2. महाराणा प्रताप ने राजनैतिक वजहों से कुल 11 शादियां की थीं।
3. महाराणा प्रताप के कुल 17 बेटे और 05 बेटियां थीं।
4. महारानी अजाब्दे से पैदा हुए पुत्र अमर सिंह को महाराणा प्रताप का उत्तराधिकारी बनाया गया था।
5. अमर सिंह भी अपने पिता महाराणा प्रताप की तरह काफी बहादुर और पारक्रमी थे।
6. इतिहासकारों के अनुसार हल्दी घाटी युद्ध के वक्त अमर सिंह की आयु 17 वर्ष थी।
7. मेवाड़ की रक्षा करते हुए महाराणा प्रताप की 19 जनवरी 1597 को मृत्यु हुई थी।
8. बताया जाता है कि महाराणा प्रताप की मौत पर मुगल शासक अकबर भी बहुत दुखी हुआ था।
9. अकबर दिल से महाराणा प्रताप के गुणों, उनकी बहादुरी और चरित्र का बहुद बड़ा प्रशंसक था।
महाराणा प्रताप के 10 वाक्य
1. समय इतना ताकतवर होता है कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है।
2. मनुष्य का गौरव व आत्म सम्मान उसकी सबसे बड़ी कमाई होती है। इसलिए इनकी सदैव रक्षा करनी चाहिए।
3. अपने व अपने परिवार के साथ जो अपने राष्ट्र के बारे में भी सोचते हैं, वही सच्चे नागरिक होते हैं।
4. तब तक परिश्रम करो, जब तक तुम्हे तुम्हारी मंजिल न मिल जाए।
5. अन्याय व अधर्म आदि का विनाश करना पूरी मानव जाति का कर्तव्य है।
6. जो अत्यंत विकट परिस्थिति में भी हार नहीं मानते हैं, वो हार कर भी जीत जाते हैं।
7. जो सुख में अतिप्रसन्न और विपत्ति में डर कर झुक जाते हैं, उन्हें न तो सफलता मिलती है और न ही इतिहास उन्हें याद रखता है।
8. अगर सांप से प्रेम करोगे तो भी वह अपने स्वभाव अनुरूप कभी न कभी डसेगा ही।
9. शासक का पहला कर्तव्य अपने राज्य का गौरव और सम्मान बचाए रखना होता है।
10. अपना गौरव, मान-मर्यादा और आत्म सम्मान के आगे जीवन की भी कोई कीमत नहीं है।
महाराणा प्रताप के 10 रोचक किस्से
1. महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय घोड़े का नाम चेतक था। महाराणा प्रताप की तरह उनका घोड़ा भी बहुत बहादुर और समझदार था।
2. महाराणा प्रताप को बचपन में प्यार से कीका कहकर बुलाया जाता था।
3. महाराणा प्रताप और मुगल शासक अकबर के बीच हल्दी घाटी का विनाशकारी युद्ध 18 जून 1576 को हुआ था। इतिहास में हल्दी घाटी के युद्ध की तुलना महाभारत के युद्ध से की गई है।
4. इतिहासकारों के अनुसार हल्दी घाटी के युद्ध में न तो अकबर की जीत हुई थी और न ही महाराणा प्रताप हारे थे। इसकी वजह महाराणा प्रताप के मन में राज्य की सुरक्षा का अटूट जज्बा था।
5. हल्दी घाटी के युद्ध को टालने के लिए अकबर ने छह बार महाराणा प्रताप के पास अपने शांति दूत भेजे, लेकिन राजपूत राजा ने हर बार अकबर के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
6. हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने मात्र 20 हजार सैनिकों के साथ मुगल बादशाह अकबर के 80 हजार सैनिकों का डटकर सामना किया था। बावजूद अकबर महाराणा प्रताप को झुका नहीं सका था।
7. महाराणा प्रताप के सबसे प्रिय और वफादार घोड़े ने भी दुश्मनों के सामने अद्भुत वीरता का परिचय दिया था। हालांकि इसी युद्ध में घायल होने से उसकी मौत हुई थी।
8. चित्तौड़ की हल्दी घाटी में आज भी महाराणा प्रताप के प्रिय घोड़े चेतक की समाधि मौजूद है।
9. चेतक ने अंतिम दम तक महाराणा प्रताप का साथ दिया। युद्ध में मुगल सेना से घिरने पर चेतक महाराणा प्रताप को बैठाकर कई फील लंबा नाला फांद गया था।
10. महाराणा प्रताप जितने बहादुर थे, उतने ही दरियादिल और न्याय प्रिय भी। एक बार उनके बेटे अमर सिंह ने अकबर के सेनापति रहीम खानखाना और उसके परिवार को बंदी बना लिया था। महाराणा ने उन्हें छुड़वाया था।
आज भारत पाक तनातनी में राणा का स्मरण हर भारतीय को करना चाहिए,उनके त्याग,तपस्या समर्पण को याद करना हर भारतीय का दायित्व है.कम केवल इतना ही स्मरण करें कि यदि आप प्रताप होते तो क्या होता पाकिस्तान.
राजेंद्र नाथ तिवारी
संपादक