भारतीय मनीषा का अदम्य शौर्य,साहस और शक्ति की प्रतीक नारी
नारी अब श्रद्धा नहीं शक्ति का प्रतीक
#आपरेशन #सिंदूर #सेना #भारत,
कर्तव्य, करुणा और क्रांति की गाथा
“नारी अब केवल संकोच की मूर्ति नहीं, वह निर्णय, निर्माण की शक्ति है।
वह केवल सिंदूर की रेखा नहीं, वह रणभूमि की लकीर है।”
भारत की सांस्कृतिक चेतना में "सिंदूर" केवल सौंदर्य का प्रतीक नहीं, बल्कि स्त्री के आत्मगौरव, उसकी मर्यादा, समर्पण और सृजन की लाली है। परंतु जब यही सिंदूर प्रतिरोध, पराक्रम और चेतना का स्वरूप ले ले, तब वह इतिहास का निर्णायक क्षण बन जाता है। ऐसा ही एक क्षण रचा गया "ऑपरेशन सिंदूर" के रूप में।
यह केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि स्त्री-शक्ति के नवोदय का घोष था। भारतीय थलसेना और वायुसेना की दो अद्वितीय वीरांगनाएँ — कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह इस अभियान की अगुवाई कर रही थीं। इन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि भारतीय नारी अब केवल सिंदूरधारी नहीं, बल्कि राष्ट्रधारी भी है।
विगत दिनों जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला, जिसमें निर्दोष भारतीय श्रद्धालुओं को निशाना बनाया गया। वह केवल एक जघन्य अपराध नहीं था, बल्कि समूची मानवता पर प्रश्नचिन्ह था। उस दिन आँचल बारूद से झुलसे थे, किंतु कुछ ही दिन वही आँचल प्रतिशोध की पताका बनकर लहराया "ऑपरेशन सिंदूर" के रूप में।
यह एक संयुक्त सैन्य प्रतिउत्तर था, जिसमें महिलाओं ने नेतृत्व की अग्रपंक्ति संभाली। एक संदेश स्पष्ट था कि अब भारत की बेटियाँ केवल सीमा पर ही नहीं, निर्णय की धुरी पर भी खड़ी हैं।
कर्नल सोफिया कुरैशी, जिन्होंने 2016 में “Force 18” नामक अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारत का नेतृत्व कर विश्व पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी थी, इस ऑपरेशन की रणनीतिक रीढ़ बनकर उभरीं। उनका धैर्य, विवेक और नेतृत्व इस अभियान की सफलता की नींव बने।
वहीं विंग कमांडर व्योमिका सिंह, भारतीय वायुसेना की गरिमामयी योद्धा हैं, जिन्होंने 2500 से अधिक घंटे की उड़ानें पूरी कीं हैं। इस अभियान में लक्ष्य-सटीकता और हवाई मारक संचालन का नेतृत्व किया। उनके युद्धक विमानों की गरज ने आतंक के अंधकार को चीरते हुए राष्ट्र के माथे पर सिंदूर की लाली अंकित कर दी।
‘सिंदूर’ अब केवल मांग का श्रृंगार नहीं रहा, वह अब राष्ट्र की सुरक्षा-रेखा बन चुका है। यह एक चेतावनी है, उन दुश्मनों के लिए, जिन्होंने भारत की बेटियों को कमज़ोर समझा। वे भूल गए कि जब नारी के आँचल से अंगार झरते हैं, तब उसकी रक्षा की लाल रेखा रणभूमि की लकीर बन जाती है।
ऑपरेशन सिंदूर अब एक सैन्य अभियान नहीं, एक प्रतीक बन चुका है — उस स्त्री जागरण का, जो अब मौन नहीं, बल्कि सिंहनाद करता है। कर्नल सोफिया और विंग कमांडर व्योमिका केवल अधिकारी नहीं, वे उस चेतना की साक्षात मूर्तियाँ हैं, जो हर भारतीय बेटी के मन में विश्वास भरती हैं। यह अभियान आने वाले युग के लिए प्रेरणा बनेगा। यह सिद्ध करेगा कि जब नारी शक्ति रणभूमि में उतरती है, तब न केवल सीमा सुरक्षित होती है, बल्कि एक राष्ट्र की आत्मा भी।
जय - हिन्द जय हिन्द की सेना वन्दे - मातरम