बस्ती, हरैया
आज पूर्वाह्न बस्ती की हरैया तहसील परिसर सभ्य कहे जाने वाले अधिवक्ता समुदाय के वरिष्ठतम अधिवक्ता महीनाथ तिवारी का मानसिक धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने उपजिलाधिकारी को गाड़ी से उतरते ही तीन ,चार झापड़ रसीद कर दिया.70 वर्षीय अधिवक्ता को इस कुकृत्य का सहारा लेना पड़ा यह कार्यपालिका के लिए चिंता का विषय है.सामान्यतया महीनाथ शांत और समय प्रकृति के साथ ही बार के अध्यक्ष भी रहे.यह कृत्य उन्होंने क्यों किया यह चिंता का विषय है.
बताते हैं उनके पट्टीदारों को पुलिस,प्रशासन का सह था.112 के सामने ही पत्तीदार उन्हें ललकारते थे और पुलिस हतप्रभ.
जब व्यक्ति का धैर्य जवाब दे देता है तब कोई नहींनाथ पैदा होता है.व्यवस्था जब पक्षपात करती है और सर से पानी ऊपर जाने लगता हो तब व्यक्ति पागल हो यह कृत्य करता है.बताते हैं एडीएम,कप्तान पहुंच चुके हैं और कलक्टर साहब पहुंचने वाले हैं,यदि महीनाथ जैसे लोगों की मनसा प्रशासन और पुलिस समझने में चूक करेगी तो अप्रत्याशित कुछ भी होसकता है. अगर वादकारी का हित सर्वोच्च है तो प्रशासनिक पक्षपात और अनुग्रह करता के साथ वफादारी भी तो गलत है.
समस्या साधारण नहीं हैं जब जनता,व्यक्ति,अधिवक्ता अति से ऊपर अत्याचार का शिकार होगा तो धात प्रतिघात को कौन कहे व्यक्ति आत्मेत्सर्ग भी कर सकता है.
फिल हाल हरैया घटना प्रशासन के लिए सीख है,घटना घटने के कारणों को समाप्त किया जाय, न की कारक को बिना उसका मनोविज्ञान समझे कोई दमनात्मक निर्णय न प्रशासन ले.