चाणक्य ने कहा है अध्यापक हमेशा असामान्य रहता है ,शिक्षक को कदापि हल्का नहीं समझना चाहिए.उसकी गोद में निर्माण और प्रलय दोनों एक साथ पलते हैं अगर निर्माण करता है तो चाणक्य चन्द्र गुप्त पैदा होगा और अगर प्रलय पलता है तो शुक्राचार्य राक्षस पैदा होगा,जो वर्ग संघर्ष,परस्पर विभेद और लंपट बाद का प्रदुभाव करेगा.
शिक्षक की कोई जाती नहीं होती,उसका केवल एक ही वर्ग होता है विद्यादाता या शिक्षक.अपने कर्तव्यों से विरत शिक्षक देश द्रोह और वाम मार्गी पैदा करेगा.वाम मार्गी का अर्थ कम्युनिस्ट नहीं अपितु दुराचारी,कुविचारी और अधर्मी से है.आज किसी शिक्षक ने अपना स्तर गिरकर कुछ ऐसी टिपडिया करदी,जिसको खाने का उसका मंतव्य नहीं रहा होगा,पर यह बात सत्य है कि शिक्षक को अपना चरित्र बचाकर रखना चाहिए.ब्राह्मणवाद ,ठाकुर वाद,पिछड़ा बाद,अनुसूचित वाद भारतीय मनीषा स्वीकारती ही नहीं.वाद अगर होता या चलता तो वाल्मीकि ,व्यास,शुकदेव,रैदास,महात्मा फुले, डॉ आंबेडकर की स्वीकार्यता क्यों होती?किसी ने अपनी कुत्सित मानसिकता का परिचय ऐसे समय प्रगट करदी जब आज प्रदेश एकजुट हो राष्ट्र का हाथ मजबूत करने की आवश्यकता है.वॉट्सएप ग्रुप में जो कुविचार आया उसे वही रोककर ,सकारात्मक पहल की जरूरत थी,पर होगया उल्टा.
बताते हैं कि एक अध्यापक ने कुछ असभ्य ,असामाजिक टिप्पणियां करके पूरे बस्ती जिले की शिक्षा सारिणी को अपमानित किया है. दोनों पक्ष धरने पर बैठकर अपनी अशोभनीय मंतव्य प्रगट कर चुके हैं.जातिवादी मंतव्य से सामाजिक घृणा, असहिष्णुता और मर्यादा हीन आचरण जन्म लेते हैं ,जो सभी वर्गों के लिए अहित कर है.
बस्ती के जिला बेसिक अधिकारी ने कारण बताओ नोटिस जारीकर पूछा है उस शिक्षक से आपकी बात जो सोशल मीडिया पर आई है वह अनैतिक आचरण की परिधि में आता है.यदि अध्यापक को आचार विचार संबंधी शिकायत करनी पड़े इसका अर्थ है वह आदर्श और उत्तरदाई शिक्षक नहीं.
दोबारा सामाजिक वातावरण बिगड़ने का वक्तव्य यदि आता है तो शिक्षक अपनी पात्रता खो दिया है.उस शिक्षक को भरी भरकम वेतन मिलता है उसे सोचना चाहिए उसकी केवल एकही जाती है और वह है शिक्षक.अगर शिक्षक अपनी मर्याद भूलता है तो उसने सेवा धर्म का परित्याग कर दिया है
स्थान भ्रष्टा न शोभन्ते दांत केशा नखा नरा