‌अखिलेश जी ‌!पारस राय को कोसने के बजाय,प्रो रामगोपाल का आई क्यू देखे,जो केशव मौर्य से पंचर बनवा रहे!

 गाजीपुर के सांसद प्रत्याशी पारस राय का एक बयान सामने आया है ,जिसमे किसी पत्रकार के पूछने पर उन्होंने कहा मैं चाणक्य का शिष्य हू नंद वंश का नाश केसे होगा मुझे पता है,उनके बयान पर अखिलेश यादव ने अपने पर लेकर कहा यह पारस राय या भाजपा का अहंकार झलकाता है,l



वस्तुत:अखिलेश का बयान यह दर्शाता है कि वास्तव में अखिलेश अक्ललेश हैं ,उनकी एकमात्र योग्यता मुलायम सिंह की संतान होना ही है,इसका लाभ उन्होंने औरंगजेब जैसा कृत्य कर उठालिया है.इनकी   चोर की दादी में तिनके की कहावत  चरितार्थ होती है.

राजनीति का हताशापन ही उनका बोल रहा है उनका विवेक मर गया है सिखवल बुद्धि उपराजल माया ही इनका मंतव्य है,दुर्भाग्य है दोहों कथित युवा नेता उस चिप का इस्तेमाल करते है जो कोई पहले से ही रिकार्ड होता है.जातीय और सांप्रदायिक उन्माद किसी का भला नहीं कर सकते,ऐसी ही दिनों ही प्रेमचंद के हीरा .मोती की सोच है.

चाणक्य की संतान बनने का आधिकार देश के ईमानदार नागरिक का है, नंद वंश जेसे उतावले और उत्तेजक बाते करने वालों से यह अधिकार चाणक्य ने ही नंद वंश के विनाश का  संकल्प अपनी शिखा खोल कर ही कर दिया था. अब भारत की राजनीति में नंद प्रवृतियां अहंकार और प्रतिकार का प्रति निधित्व करती है,राष्ट्र वादी होने के नाते पारस राय का वक्तव्य और मंतव्य शत प्रतिशत सही है.,पारस राय संगठन की वैचारिक भट्टी तपे तपाए स्वर्ण भ्ष्म है,जो सदा सबको फायदे मंद ही रहेगा,अखिलेश को भी. पारस राय का कथन बहुत ही सही व समीचीन है.

अखिलेश जी  राजीतिक फिसल तो खूब होरही,आपके राम गोपाल यादव तो उप मुख्य मंत्री केशव मौर्य से चुनाव बाद पंचर सड़क पर जोड़वा रहे है,बताते है वे प्रोफेसर भी रहे है,क्या उन्होंने चाणक्य से कुछ भी नहीं सीखा?सिखाना भी नही चाहिए,राजनीति हो या कोई अन्य क्षेत्र अल्प विद्या भंकरी . राजनीति के प्रथमा में यही बताया जाता है,जो जानते हो उसे सही मान कर बोलो,भले भी वक्तव्य पूर्ण असत्य  ही क्यों न हो.

पारस राय ने चाणक्य को स्मरण कर बड़ा काम किया और राम गोपाल यादव?? ध्यान रहे अब स्मृति शेष मुलायम सिंह जी की वैचारिकी व उनकी थाती सहेजने का दायित्व आपका है,राम गोपाल यादव का नहीं.



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