सीतामढ़ी: क्या यह संभव है कि कोई क्लर्क डीएम का ही आदेश नहीं माने और अपने अधिकारी का पत्र फाड़ कर फेंक दे? यह जानकर भले ही कुछ लोगों को लग सकता है कि ऐसा संभव नहीं है, लेकिन यह बात सच है। संबंधित लिपिक से अधिकारी/कर्मी ही नहीं, बल्कि कार्यालय में आने वाले लोग भी परेशान रहते हैं। लिपिक की कार्यशैली से परेशान होकर डीएम ने उनका तबादला कर दिया है। हालांकि वह डीएम का तबादला का आदेश भी मनाने को तैयार नहीं है। यानी लिपिक तबादले के बाद भी संबंधित कार्यालय में ही जमे हुए हैं।
सहयोगी कर्मियों से अभद्र व्यवहार
डीएसओ की तीसरी चिट्ठी के आलोक में लिपिक पर कार्रवाई की गई। तीसरी चिट्ठी छह अक्टूबर को डीएम को भेजी गई थी। डीएसओ ने मोहम्मद कैशर पर मनमानी और लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था। पत्र में लिखा था कि इनके चलते आपूर्ति कार्यालय के कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। आरोप था कि मोहम्मद कैशर अन्य कर्मियों के कार्यों में भी बाधा उत्पन्न करते हैं। कर्मी और आगंतुक के साथ अभद्र व्यवहार एवं बेवजह वाद-विवाद करने का भी आरोप लगाया गया था।
अधिकारी का आदेश पत्र फाड़ डाला
डीएसओ ने डीएम को जानकारी दी थी कि कर्मियों के बीच प्रभार को लेकर उनके स्तर से दो पत्र निर्गत किया गया था। इन दोनों पत्रों को लिपिक मोहम्मद कैशर ने फाड़ दिया था। एक पत्र को तो चार टुकड़े कर दिए थे। यह भी बताया था कि मो. कैशर के उग्र व्यवहार के चलते कार्यालय में कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है। रिपोर्ट पर नौ अक्टूबर को ही डीएम ने कैशर का तबादला कर दिया। साथ ही 10 अक्तूबर को पत्र भेज उनसे स्पष्टीकरण भी पूछा है। हालांकि सच है कि मो. कैशर ने पत्र स्वीकार नहीं किया था। यानी पत्र लेकर जिला आपूर्ति कार्यालय में पहुंचा डीएम का कर्मी बैरंग लौट गया था। डीएसओ कुमार ने बताया कि मो. कैशर अब भी उनके कार्यालय में ही जमे हुए हैं।