श्रीअन्न मोटे अनाज भारत की पुरातन संस्कृति की देंन!

 बस्ती 08 अगस्त 2023 

 कृषि विज्ञान केन्द्र, बस्ती में मोटे अनाज मिलेट्स पुनरुद्धार कार्यक्रम के अंतर्गत कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि विभाग द्वारा मुख्य विकास अधिकारी डा. राजेश कुमार प्रजापति की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। उन्होने कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जहां खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। हमारे पुरखों की लंबी उम्र और सेहत का असली राज ही मोटे अनाज व सूक्ष्म अनाज हुआ करते थे, जो उन्हें सर्दी, गर्मी व बरसात से बेपरवाह रखते थे। पौष्टिकता से भरपूर इन अनाजों का कम लागत पर उत्पादन किया जा सकता है, इस दौर में मोटे व सूक्ष्म अनाज गरीबों की पौष्टिक भोजन की जरूरत को पूरा करने में सक्षम है।

       उन्होने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया है। किसान भाई सूक्ष्म व मोटे अनाजों को ज्यादा से ज्यादा बुवाई करें एवं अपने फसलों में मोटे अनाजों का समावेश करें। केंद्र के अध्यक्ष डॉ एस. एन. सिंह ने कहा कि सावंा, कोदो, मडु़वा ज्वार, बाजरा, मक्का आदि की बुवाई करके कम लागत में अधिक आमदनी पाई जा सकती है।
      इस अवसर पर उप कृषि निदेशक अनिल कुमार ने कहा कि मोटे अनाजों में गेहूं एवं धान की अपेक्षा 3.5 गुना अधिक पोषक तत्व पाया जाता है। कार्यक्रम के अवसर पर डॉ. डीके श्रीवास्तव ने कहा कि भारत के 21 राज्यों में मोटे अनाज की खेती होती है। भारत दुनिया का सबसे अधिक मोटे अनाज पैदा करने वाला देश है। सबसे अधिक मोटे अनाज की खेती महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में होती है।
      कार्यक्रम में सांसद प्रतिनिधि जगदीश शुक्ल, केन्द्र के वैज्ञानिक हरिओम मिश्रा, डा.. प्रेम शंकर, कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा, उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी हरेंद्र प्रसाद, राष्ट्रीय जिला सलाहकार अजीत त्रिपाठी, संकट हरण पांडे, राम मूर्ति मिश्रा, गोपाल सिंह तथा तमाम एफपीओ के निदेशक उपस्थित रहे।

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