बस्ती विकास का पहिया पंचर!!??? ले दे गनयी उत्तर गए पार

 बस्ती,13 जनवरी,उत्तरप्रदेश

सुविज्ञ सूत्रो का कहना है कि 4 अरब रुपया बस्ती जनपद में खर्च करने के बाद भी विकास का पहिया पूरी तरह से पंचर हो गया है । बताते हैं मनरेगा में पूरे प्रदेश में धन धन खर्च करने का रिकॉर्ड बस्ती के नाम है ।जिम्मेदारों ने जिले में 100 दिन के रोजगार देने की जो योजना निकाली थी, उसको यहाँ की कार्यवृति ने पंचर कर दिया है।। प्रतीकात्मक फोटो


 14 ब्लाकों में ऐसा कोई नहीं है जिसने नए कीर्तिमान स्थापित न  किया हो। खर्च करने की होड़ लगी है सर्वत्र ।विकास ही विकास है चाहे अपना विकास हो जाए  या पराया हो और विकास की वैतरणी पार करने का काम सभी जगह हो रहा है ,किसी का नाम लिए बिना यह कहना  ठीक है कहां तो तय था चिराग  हर घर के लिए ,अब पर मयस्सर नहीं है अब शहर के लिए । 95% लोगों को वास्तव में कार्य नहीं मिला पर हम दिखा रहे हैं सब जगह रामराज्य है ।इस रामराज्य में प्रधान सचिव, रोजगार सेवक ,कंप्यूटर ऑपरेटर ए तीनों की तिकड़ी फर्जी कार्ड धारकों को बना करके लूटपाट कर रही है ।

श्रमिकों के नाम पर तिजोरी भरने वालों को  संरक्षण मिल रहा है उनको राजआश्रय भी है ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ जी   दोनों की इमानदारी  वेश्विक  जग जाहिर है पर नोकरशाही ???उत्तकोच प्रधान को उनका भी भय नहीं.।



 14 ब्लॉक में बस्ती के  कथित ईमानदार तिकड़िया सबको जयश्रीराम करने में जुटी है।सबसे बड़ा झोल है अस्थाई संविदा व् आउटसोर्सिग कर्मी? न कोई जिम्मेदारी और नही कोई उत्तरदायित्व, वे किंकर्तव्यविमूढ़ हो  सन्निपात रोगिब्की तरह अनाप सनाप कर  रहे हैं ,पर वे किस चौराहे पर खड़े हैं इसका पता नहीं है ।


 कितनी अच्छी बात है नान टेनिक्ल के हवाले टेक्निकल काम ?आने वाले दिनों में कार्य की रिपोर्टिंग तो अच्छी होगी पर काम के बारे में कहना कठिन है ।आखिर ₹4 अर्ब खर्च का हुआन???? न तो सड़कें बनी और अमृत सरोवर बने। रुपया गया कहां ?आज नहीं तो कल कल नहीं तो परसों इन खर्चों का हिसाब तो देना ही होगा ,परंतु जो लोग कमा रहे हैं उनको ईश्वर का भी डर नहीं है, उनको यह ध्यान देना चाहिए की कमाई से स्वर्ग तो नहीं मिल सकता है ,आसाराम की कमाई उन्ही के काम नही आई।आप

 विना अनैतिक स्रोत के फॉर्च्यूनर और उसके ऊपर की गाड़ियों से चल सकते हैं क्या??

पर नैतिक रूप से आप किसी के भी सामने खड़े होकर सीना तान करके नहीं कह सकते कि मैं ईमानदार ग्राम प्रधान हूं, ईमानदार जिला पंचायत सदस्यों और इमानदार ब्लॉक प्रमुख हूँ।इसके लिए लोकशाही और नौकरशाही का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध है और यही से भ्रष्टाचार के स्रोत की परिणति को प्राप्त होता है।

 यह परिणति है कहीं भी कुछ भी हो जाए पर हमने गांधी जी के तीनों बंदरों के चरित्र को सिद्ध कर लिया है और भ्रष्टाचार को बैठते हुए देखेंगे ,ना हम बोलेंगे ,ना हम सुनेंगे ,ना हम कहेंगे ।नई जनरेशन भ्रष्टाचार की परिभाषा को मानती है सोने की जंजीर फॉर्च्यूनर गाड़ी लका- लका कपड़े आगे पीछे 2-4 गाड़ियां ईमानदारी की पर्याय है ।पर्याय यह  क्याअधिकाश जनप्रतिनिधि आपके मानक के अनुरूप हे?भी ।क्या लिखने,पढ़ने वाले लोग जनप्रतिनिधि बन जा रहे हैं आगे वे क्या करेंगे इसलिए तर्कशील और संघर्षशील जिलाधिकारी और विकास को ज्यादा महत्व देने वाले मुख्य विकास अधिकारी को विकास की  रैंडम समीक्षा करनी चाहिए ।

विकास को  तो स्थापित करना चाहिए यह सबको पता है कि विकास और भ्रष्टाचार एक दूसरे के पूरक हैं ,परंतु कैसे क्या होगा यह देखना पड़ेगा   जिस तरह से संगठित गिरोह बनाकर फर्जी कार्ड धारकों के माध्यम से लूट हो रही है वह अपने आप में इस तत्व का बखान करता है 100 दिन का रोजगार मिला ।एक ब्लॉक में कार्ड की संख्या 28655 है और इतिहास उन लोगों को माफ नहीं करेगा जिसमें ग्राम प्रधान सचिव रोजगार सेवक तकनीकी सहायक और कंप्यूटर ऑपरेटरों का ही कार्य धन  संस्थाओं में बनाने और बिगाड़ने का काम कर रहा है ।साक्षर कंप्यूटर ऑपरेटर  के पासभ्रष्टाचार की बैटरी  है

 इसलिए आवश्यकता इस बात की है उत्तरदाई प्रशासनिक अधिकारियों को मिलकर विकास की पुनर्र्  समीक्षा तो करनी चाहिए। कहीं भी अगर 51 परसेंट कार्य हो गया है तो मान लिया जाए कि 100 परसेंट हुआ है लेकिन अगर दो चार प्रतिशत भी नहीं हुआ है तो उस विकास को क्या नाम देंगे ?इसीलिए भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कहा था कि बस्ती हमेशा उजाड़ रहेगी, उन्होंने कहा शायद इस को  कहा होगा,बस्ती-बस्ती कहूं तो क्या कहूं उजाड़। सरकार और जनप्रतिनिधि बसाने का काम कर रहे हैं ,विकास का काम कर रहे हैं लेकिन त्रिस्तरीय पंचायतों में ग्राम पंचायत और क्षेत्र पंचायतों की भूमिका संदिग्ध है ।

आखिर इनकी भूमिका को कौन तय करेगा नियंत्रक सत्ता का अभाव है बिना नियंत्रण,और भय के कोई काम हो नहीं सकता ।इसलिए प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार की इमानदारी प्रधान और क्षेत्र पंचायतों की भ्रष्टाचार करने की लाचारी को इंगित करती है ।परंतु लंबे समय तक यह  नहीं चलेगा। समर शेष है किंतु पाप का भागी केवल व्याध, जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।। जो लोग सामाजिक कार्यकर्ता राजनीतिक पार्टियां जनप्रतिनिधि इसको तटस्थ भाव से देख रहे हैं वह ईमानदार नहीं है बल्कि वह भी अपराधी हैं।

वस्तुतः असली माल काटकर असली उत्तरदायी भाग गए.



Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form