अपराधियो को सजा दिलाने में सरकारी वकील नाकाम,कलक्टर .

 


बस्ती 19 अक्टूॅबर 

, जिला मजिस्ट्रेट श्रीमती प्रियंका निरंजन ने अपराधियों को कड़ा से कड़ा दंड दिलवाने हेतु पैरवी करने के लिए सभी अभियोजन अधिकारियों तथा शासकीय अधिवक्ताओं को निर्देशित किया है। कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित अभियोजन कार्यों की समीक्षा बैठक में उन्होंने पाया कि सितंबर माह में अपराधियों की कम संख्या में सजाएं हुई है। उन्होंने कहा कि सभी न्यायालयों में काफी संख्या में मुकदमे लंबित हैं लेकिन कुछ अभियोजन अधिकारियों एवं शासकीय अधिवक्ताओं द्वारा सजा दिलाने की उपलब्धि रिपोर्ट में शून्य दिखाई दे रहा है। उन्होंने निर्देश दिया है कि प्रत्येक अभियोजन अधिकारी प्रत्येक माह 15 से 20 मुकदमों की पैरवी करके सजा दिलाने का कार्य करें। 323 तथा 504 के पुराने मुकदमों की लिस्ट तैयार करें तथा प्रत्येक माह इनकी पैरवी करके निस्तारण कराएं।
      उन्होंने निर्देश दिया कि 323, 504 तथा 506 के 5 साल से ऊपर के सभी मुकदमों की सूची तैयार रखी जाए तथा समय-समय पर आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालतों में इसका निस्तारण कराया जाए। ऐसे मुकदमों की अलग सूची बनाई जाए, जिसमें वादी या प्रतिवादी की मृत्यु हो चुकी है। ऐसे मुकदमों का भी निस्तारण कराया जा सकता है।
      उन्होंने बैठक में उपस्थित उप जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि धारा 67 के बेदखली आदेश करके कायमी का आदेश पारित मुकदमों की अलग सूची तैयार करें तथा समीक्षा करके रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि ऐसा किन परिस्थितियों में किया गया। उल्लेखनीय है कि जिलाधिकारी ने हर्रैया तहसील के विसुनदासपुर ग्राम पंचायत में आंगनबाड़ी के बगल में एक व्यक्ति द्वारा अस्थाई टिनशेड डालकर ग्राम समाज की अवैध भूमि पर कब्जा किया गया है। पिछले माह जिलाधिकारी ने स्वयं इस स्थल का निरीक्षण किया था और इसको हटाने का निर्देश दिया था परंतु अभी तक उक्त अवैध कब्जा हटाया नहीं गया है। जिलाधिकारी ने इस स्थिति पर असंतोष व्यक्त करते हुए कार्यवाही कर रिपोर्ट देने के लिए उप जिलाधिकारी को निर्देशित किया है। जिलाधिकारी ने कहा कि एक बार बेदखली का आदेश करने के बाद उसे तामील कराया जाए और यदि वादी को कोई आपत्ति है तो वह उनके कोर्ट में कायमी का मुकदमा दर्ज करें।


      अपर पुलिस अधीक्षक दीपेंद्रनाथ चौधरी के अनुरोध पर जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि थानों में पडे माल मुकदमाती वाहनों का निस्तारण करने के लिए मजिस्ट्रेट तथा पुलिस क्षेत्राधिकारी की टीम गठित की जाए। अपर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि एआरटीओ द्वारा भी वाहनों का चालान करके थानों में जमा कर दिया जाता है परंतु उसका निस्तारण नहीं होने से थाने भरे पड़े हैं, जिसके कारण असुविधा हो रही है। जिलाधिकारी ने इस संबंध में तत्काल कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।
       समीक्षा में जिलाधिकारी ने पाया कि पिछले माह कुल 1245 सम्मन जारी किए गए, जिसमें से 621 तामील होने के बाद वापस आए। शेष सम्मनों के संबंध में कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं है। जिलाधिकारी ने थानों से तामील ना कराए गए के संबंध में रिपोर्ट तलब किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा भी होता है कि प्रभावशाली लोग ऐसे सम्मन को दबाए रखते हैं और तामील नहीं होने देते हैं। जिलाधिकारी ने ऐसे सबसे पुराने सम्मन की सूची भी तलब किया है। उन्होंने कहा कि गुंडा एक्ट के मामले में भी तामील एवं गैर तामील सम्मनो की रिपोर्ट प्रस्तुत करंे।
      बैठक का संचालन अपर जिला मजिस्ट्रेट कमलेश चंद्र ने किया। इसमें उप जिलाधिकारी शैलेश दुबे, जी के झा, आनंद श्रीनेत, गुलाबचंद, पुलिस क्षेत्राधिकारी आलोक प्रसाद, डी.जी.सी. फौजदारी परिपूर्णानन्द पाण्डेय, राममिलन यादव, एसपीओ पाक्सों एक्ट कमलेश कुमार चौधरी, रामप्रकाश दूबे, अखिलेश कुमार दूबे, लाल अभय प्रसाद, कुमार उत्कर्ष, अरविन्द कुमार पाण्डेय, अभियोजन अधिकारी तथा सहायक डीजीसी उपस्थित रहें।

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