प्रयागराज,उत्तरप्रदेश
कर्नलगंज के मूल निवासी आईआरएस अफसर शशांक यादव के माथे पर छह महीने में ही जीवन भर का कलंक लग गया। गाजीपुर जनपद के अफीम कारखाने के इतिहास में यह पहला मामला है, जिसमें कदाचार के मामले में महाप्रबंधक स्तर के बड़े अधिकारी की गिरफ्तारी हुई है। जनवरी में ही उन्होंने कार्यभार संभाला था
एक दिन पहले रिश्वत के 16 लाख रुपये के साथ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की कोटा यूनिट ने शशांक को उदयपुर हाईवे स्थित हैंगिंग ब्रिज टोल नाके के पास से पकड़ा था। महाप्रबंधक की गिरफ्तारी की जानकारी मिलते ही रविवार को फैक्ट्री के कर्मचारियों और अधिकारियों में सन्नाटा पसर गया। हालांकि इस मामले में अफीम फैक्ट्री के अलावा जिले के आला अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
महाप्रबंधक के पास नीमच स्थित अफीम फैक्ट्री का अतिरिक्त प्रभार भी था। उधर उनके कर्नलगंज के म्योर रोड स्थित आवास पर सन्नाटा पसरा रहा। संभावना इस बात की भी थी कि एसीबी की टीम उनके मूल निवास पर भी छापेमारी के लिए आ सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पुलिस अफसरों का कहना है कि उनसे किसी ने भी इस मामले को लेकर संपर्क नहीं किया।
प्रति किसान 60 से 80 हजार की वसूली
कार्रवाई करने वाली एसीबी की ओर से बताया गया कि आरोपी अफसर के बारे में सूचना मिली थी कि दो कर्मचारियेां की मदद से वह घटिया क्वालिटी की अफीम को बढिय़ा बताकर ज्यादा पट्टे देकर प्रति किसान 60 से 80 हजार की वसूली कर रहे हैं। इनमें चित्तौडग़ढ़, कोटा, झालावाड़ के साथ ही प्रतापगढ़ के अफीम की खेत ी करने वाले किसानभ्भी शामिल हैं। जो किसान रुपये नहीं देता, उसकी अफीम को घटिया बताकर उसके पट्टे कम कर देते थे। सटीक सूचना पर एसीबी की टीम ने सुबह 10.30 बजे के करीब उन्हें पकड़ा।
गाड़ी पर लगा मिला पुलिस का लोगो
आरोपी अफसर जिस स्कॉर्पियो गाड़ी से जा रहे थे, उस पर पुलिस का लोगो लगा मिला। स्कार्पियो के नंबर की जांच पड़ताल पर पता चला कि गाड़ी फिरोजाबाद आरटीओ में रजिस्टर्ड है।